प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को ‘स्वच्छ भारत मिशन-शहरी’ के दूसरे चरण की शुरुआत करते हुए कहा कि स्वच्छता केवल एक दिन या कुछ लोगों का काम नहीं है बल्कि यह पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाला अभियान है। स्वच्छता हमारी जीवन शैली और जीवन मंत्र बनना चाहिए। जिस प्रकार हम नियमित अपने दांतों को साफ करते हैं उसी तरह से हम स्वच्छता को भी जीवन का हिस्सा बनाएं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक ऐतिहासिक पहल के तहत यहां डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 और इसके साथ ही कायाकल्प एवं शहरी सुधार के लिए अटल मिशन (अमृत) 2.0 का शुभारंभ किया।

प्रधानमंत्री ने पिछले 7 सालों के अपने कार्यकाल में शहरी विकास को विशेष महत्व दिए जाने के विषय को रेखांकित किया। उन्होंने बताया की उनके पिछले कार्यकाल में शहरी विकास मंत्रालय का बजट सवा लाख से बढ़ाकर चार करोड़ कर दिया गया है। इसी के चलते शहरों में गरीबों को घर, देश को स्मार्ट सिटी और शहरों को नई मेट्रो परियोजनायें मिल रही हैं।

कचरा प्रबंधन की दिशा में हासिल की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अब देश का 70 प्रतिशत कचरा प्रबंधन से होकर गुजरता है। इसे 100 प्रतिशत किए जाने की आवश्यकता है। वह भी इस बात को ध्यान रखकर कि ‘वेस्ट टो वेल्थ’ तैयार हो। आधुनिक तकनीकों का प्रयोग करके कचरे की छंटाई हो, उसे रिसाइकल किया जाए, उसमें से रिकवर किया जाए और शहरों से बड़े-बड़े कूड़े के पहाड़ समाप्त किये जाएं। इस दौरान उन्होंने दिल्ली बॉर्डर पर कचरे के बने पहाड़ का जिक्र किया और कहा कि वह भी हटने का इंतजार कर रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कचरा प्रबंधन से देश में कई तरह की ग्रीन जॉब्स पैदा होंगी। हाल ही में भारत सरकार ने नई ‘ऑटोमोबाइल स्क्रैप पॉलिसी’ बनाई है। इससे ‘सर्कुलर इकोनामी’ तैयार करने में मदद मिलेगी। सरकार सड़क और घरों के निर्माण में कचरे से प्राप्त उत्पादों के प्रयोग को प्रोत्साहित कर रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अमृत-2.0 मशीन के जरिए शहरी सीवरेज का बेहतर ट्रीटमेंट सुनिश्चित होगा। इस ट्रीटमेंट से अंततः देश की नदियां साफ होगी। उन्होंने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी भी शहर का सीवरेज नदी में बिना ट्रीटमेंट के ना जाए।

कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने ‘पीएम निधि योजना’ का विशेष उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि यह रेहड़ी पटरी वालों के लिए आशा की किरण बनकर आई है। सालों तक हमारे इन साथियों की किसी ने कोई सुध नहीं ली। इन्हें अपने कामकाज के लिए अधिक ब्याज पर कर्ज लेना पड़ता था। सरकार के प्रयासों से अब 46 लाख से ज्यादा लोगों ने योजना का लाभ उठाया है। इससे 25 लाख रेहड़ी पटरी वालों को ढाई हजार करोड़ तक का ऋण दिया गया है। उन्होंने कहा कि रेहड़ी-पटरी वाले डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ाने में भी योगदान दे रहे हैं। उनके प्रयासों से 7 करोड से अधिक ट्रांजेक्शन हुए हैं। इन ट्रांजेक्शन हिस्ट्री के चलते उन्हें बैंकों द्वारा ऋण मिलना भी आसान हो गया है।

प्रधानमंत्री ने इस कार्यक्रम से जुड़े देश के कॉरपोरेटर और काउंसलर से अनुरोध किया कि वह इस दिशा में लोगों की मदद के लिए आगे आएं। इससे उनकी स्वयं की भी प्रतिष्ठा बढ़ेगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि शास्त्रों में कर्म पथ पर निरंतर चलते रहने की बात कही गई है। ऐसे में हमें चरैवेति-चरैवेति के मंत्र के साथ अपने शहर को स्वच्छ-समृद्ध बनाना है और दुनिया को एक ‘सस्टेनेबल’ जीवन शैली भी देनी है।

प्रधानमंत्री ने स्वच्छ भारत को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के सपनों को पूरा करने वाला अभियान बताया। उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान पूज्य बापू की प्रेरणा और आदेशों को सिद्ध करने की ओर बढ़ रहा है। वहीं गांव से शहरों में आए कठिन जीवन जी रहे लोगों को बेहतर सुविधाएं देकर असमानता दूर करने का प्रयास कर रहा है। बाबा साहेब इस असमनता को दूर करने पर विशेष जोर देते थे।

उन्होंने कहा कि स्वच्छता की यह यात्रा देश को गर्व से भर देने वाली है। इससे हमारी मान, मर्यादा और मातृभूमि के लिए हमारा प्रेम बढ़ेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वच्छता और सुख का गहरा संबंध है। गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने ‘निर्मल गुजरात’ अभियान की शुरुआत की जिसके अच्छे परिणाम प्राप्त हुए। उन्होंने युवा पीढ़ी के स्वच्छता अभियान को मजबूती देने में योगदान का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि आज देश के शहरों में स्वच्छता रैंकिंग में ऊंचा पायदान पाने के लिए स्पर्धा चल रही है और मीडिया भी ऐसे शहरों की प्रशंसा कर रहा है।

इस दौरान प्रधानमंत्री ने स्वच्छता कर्मियों को अभियान का महानायक बताया और कहा कि कोरोना में उनके योगदान को पूरे देश ने करीब से देखा है। उन्होंने स्वच्छ भारत को जन अभियान बताया और लोगों से अनुरोध किया कि वह इससे जुड़ें।

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के अनुरूप एसबीएम-यू 2.0 और अमृत 2.0 को हमारे सभी शहरों को ‘कचरा मुक्त’ और ‘जल सुरक्षित’ बनाने की आकांक्षा को साकार करने के लिए तैयार किया गया है। ये प्रमुख मिशन भारत में तेजी से शहरीकरण की चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान करने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ने का संकेत देने के साथ-साथ सतत विकास लक्ष्य 2030 की उपलब्धि में योगदान करने में भी मददगार होंगे।

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