आज का दिन कांग्रेस के लिए कई मायनों में खास है। 24 साल बाद कांग्रेस को गैर गांधी परिवार का कोई अध्यक्ष मिलेगा और साथ ही सोनियां गांधी अपनी जिम्मेदारी से मुक्त होंगी। एक तरह से कहा जाये तो यह कांग्रेस के लिए एक युग का अंत और नये युग का प्रारंभ है।
24 साल बाद किसी गैर गांधी के हाथ देश की सबसे पुरानी कांग्रेस पार्टी की कमान होगी। पार्टी के नवनिर्वाचित अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे आज पदभार ग्रहण करेंगे। इस समारोह में सोनिया, राहुल व प्रियंका के साथ कई वरिष्ठ कांग्रेसी शामिल होंगे।
हालांकि, खड़गे के लिए कांग्रेस अध्यक्ष का ताज किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। मौजूदा समय में केवल दो राज्यों राजस्थान और छत्तीसगढ़ में ही कांग्रेस की सरकार है. झारखंड में कांग्रेस समर्थित सरकार है. हिमाचल और गुजरात की परीक्षा के बाद 2023 में नौ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसमें उनका गृह राज्य कर्नाटक भी शामिल है. पार्टी में उनके लिए अनुभवी व युवाओं के बीच संतुलन बनाये रखना भी चुनौती होगा.
खड़गे के सामने कई चुनौतियां
खड़गे ऐसे वक्त पार्टी के अध्यक्ष चुने गये हैं, जब कांग्रेस को नई ताकत की जरूरत है। कांग्रेस लगातार देशभर में चुनाव हार रही है। ऐसे में खड़गे के सामने चुनौतियों का बड़ा अंबार लगा है। मौजूदा समय में केवल दो राज्यों राजस्थान और छत्तीसगढ़ में ही कांग्रेस की सरकार है। झारखंड में कांग्रेस समर्थित सरकार है। हिमाचल और गुजरात की परीक्षा के बाद 2023 में नौ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसमें उनका गृह राज्य कर्नाटक भी शामिल है। पार्टी में उनके लिए अनुभवी व युवाओं के बीच संतुलन बनाये रखना भी चुनौती होगा।
1. खुद से फैसला लेना
अभी कांग्रेस पर पूरी तरह से गांधी परिवार का राज है। भले ही गांधी परिवार के सदस्य पार्टी में किसी पद पर हों या न हों, लेकिन बगैर उनके कोई फैसला नहीं लिया जा सकता है। ये भी सही है कि कांग्रेस को गांधी परिवार से अलग रखकर बात भी नहीं किया जा सकता है। ऐसे समय में खड़गे के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी कि वह स्वतंत्र होकर पार्टी के लिए फैसला ले सकें, जिनमें गांधी परिवार का कोई दबाव न हो।
2. पार्टी में पड़ रही फूट को रोकना
राजस्थान में सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच लड़ाई जारी है। अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर भी थरूर ने एक तरह से मोर्चा खोल रखा है। एक के बाद एक कई कांग्रेस के दिग्गज नेता पार्टी छोड़ चुके हैं। महाराष्ट्र में भी कांग्रेस विधायकों के बीच नाराजगी है। ऐसी स्थिति में खड़गे के सामने दूसरी बड़ी चुनौती पार्टी में लगातार पड़ रही फूट को रोकना है।
3. जनता को विश्वास दिलाना और नये लोगों को जोड़ना
कांग्रेस फिर से तभी चुनाव जीत सकती है, जब वह जनता को ये भरोसा दिला पाये कि उनके लिए यही पार्टी बेहतर है। इसके लिए कांग्रेस को नए लोगों को पार्टी से जोड़ना होगा। खरगे के लिए ये भी एक चुनौती ही है।
4. विधानसभा और फिर लोकसभा चुनाव
अभी नवंबर में हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होना है। इसके बाद गुजरात में भी चुनाव होगा। अगले साल यानी 2023 में दस राज्यों में विधानसभा चुनाव है। इनमें कर्नाटक भी शामिल है, जहां से खड़गे खुद आते हैं। 2024 में भी सात राज्यों में विधानसभा के साथ-साथ लोकसभा चुनाव भी होगा। इन चुनाव में बेहतर परफॉरमेंस की चुनौती खड़गे के सामने है।