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    Home»Jharkhand Top News»जांच के दायरे में कारोबारी अमित अग्रवाल के हस्ताक्षर को सत्यापित करनेवाले जेल अधीक्षक
    Jharkhand Top News

    जांच के दायरे में कारोबारी अमित अग्रवाल के हस्ताक्षर को सत्यापित करनेवाले जेल अधीक्षक

    विपक्ष समेत कई नेताओं ने जेल अधीक्षक की कार्रवाई को बताया गलत
    adminBy adminOctober 18, 2022No Comments3 Mins Read
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    आजाद सिपाही संवाददाता
    रांची। कारोबारी अमित अग्रवाल की ओर से सुप्रीम कोर्ट में क्रिमिनल रिट याचिका दायर करने के मामले को लेकर राजनीति गरमा गयी है। अमित अग्रवाल के उस हस्ताक्षर, जिसका सत्यापन होटवार जेल के जेल अधीक्षक ने किया है, उस पर सवालिया निशान उठने लगे हैं। यह कहा जा रहा है कि जब आरोपी प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में था, तो जेल अधीक्षक ने किस बिना पर अमित अग्रवाल के हस्ताक्षर का सत्यापन कर दिया। इस मामले पर विपक्षी दल भाजपा और निर्दलीय विधायक सरयू राय ने सरकार पर निशाना साधा है। वहीं राज्य के निर्दलीय विधायक सरयू राय ने पूरे प्रकरण पर सरकार कठघरे में खड़ा किया है। सरयू राय ने अपने ट्वीट में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट में दाखिल इडी के अभियुक्त अमित अग्रवाल का वकालतनामा बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा होटवार के जेल अधीक्षक ने 12 अक्तूबर 2022 को सत्यापित (एटेस्टेड) किया है, जबकि उस समय अमित अग्रवाल जेल में था ही नहीं, उस समय वह इडी की हिरासत में था। जब अभियुक्त जेल में था ही नहीं, तब उसके हस्ताक्षर का सत्यापन किस आधार पर किया गया। सुप्रीम कोर्ट में दर्ज वकालतनामा पर अमित अग्रवाल के हस्ताक्षर को 12 अक्टूबर को बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल के अधीक्षक द्वारा सत्यापित किया गया था, जब वह न्यायिक हिरासत में नहीं था। वह प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में था। ा्रीम कोर्ट ने सुप्सोमवार को उसकी याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने अपने खिलाफ चार्जशीट को रद्द करने की मांग की थी। उसके वकील कपिल सिब्बल के तर्कों को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना चाहिए। झारखंड जेल प्राधिकरण द्वारा इडी की पुलिस हिरासत में वकालतनामा पर अमित अग्रवाल के हस्ताक्षर की पुष्टि चौंकाने वाली बात है। इडी ने अमित अग्रवाल को 7 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था और अगले दिन उसे विशेष पीएमएलए अदालत के समक्ष पेश किया गया था। विशेष अदालत ने उसे पूछताछ के लिए सात दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया। एजेंसी ने 14 अक्टूबर को अमित अग्रवाल और अधिवक्ता राजीव कुमार के खिलाफ अभियोजन की शिकायत दर्ज करायी थी। इस तारीख को उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। इसका मतलब है कि अमित अग्रवाल 7 अक्टूबर से 14 अक्टूबर की दोपहर तक प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में था। केवल 9 अक्टूबर को बिरसा मुंडा जेल में था। फिर उसने 12 अक्टूबर को वकालतनामा पर अपने हस्ताक्षर का सत्यापन कैसे किया, जब वह न्यायिक हिरासत में नहीं था। सूत्रों के मुताबिक इडी मामले की जांच कर रही है और कानूनी सलाह भी ले रही है।

    सबसे महंगे वकील कपिल सिब्बल को ही हायर करती है सरकार : बाबूलाल
    वहीं भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि झारखंड सरकार अपनी हर भ्रष्टाचार पर कानूनी दांव पेंच के लिए सबसे महंगे वकील कपिल सिब्बल को ही हायर करती है। हाल में प्रवर्तन निदेशालय (इडी) के हाथ लगे कारोबारी अमित अग्रवाल को भी राहत दिलाने के लिए एडवोकेट कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी दलील को एक सिरे से खारिज कर कहा कि जहां केस है, वहां के हाइकोर्ट में जाइये।

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