आजाद सिपाही संवाददाता
रांची। करीब दो महीने के बाद झारखंड का राजनीतिक पारा गुरुवार को अचानक चढ़ गया है। राज्यपाल रमेश बैस द्वारा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सदस्यता मामले में रायपुर में चुनाव आयोग के मंतव्य की बाबत दिये गये बयान के बाद सत्तारूढ़ झामुमो जहां राज्यपाल पर हमलावर है, वहीं भाजपा ने झामुमो की टिप्पणी को अनुचित बताते हुए उससे माफी की मांग की है। सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल कांग्रेस ने भी इस मामले में राजभवन को निशाने पर लिया है।
बम का जवाब तीर-धनुष से देते हैं झारखंडी : झामुमो
राज्यपाल रमेश बैस के बयान से सत्तारूढ़ झामुमो बेहद नाराज है। पार्टी ने राज्यपाल पर हमला करते हुए भाजपा को निशाने पर लिया है। पार्टी प्रवक्ता तनुज खत्री ने कहा है कि राज्यपाल के इस बयान से साफ हो गया है कि देश की संवैधानिक संस्थाओं का इस्तेमाल केंद्र कर रहा है। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री के खिलाफ की गयी शिकायत को दोबारा मंतव्य के लिए चुनाव आयोग के पास भेजा है। एक बार जब चुनाव आयोग ने इस पर अपनी राय दे दी, तो फिर क्यों उससे दोबारा राय मांगी गयी? यह साफ है कि यह चुनाव आयोग के मंतव्य को बदलने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि केंद्र अपना राजनीतिक फायदा देख रहा है। जाहिर है कि चुनाव आयोग के पहले मंतव्य में कोई ऐसी बात नहीं होगी। भाजपा ऐसी पार्टी है, जो रातों-रात सरकार बनाती और बिगाड़ती है। अगर चुनाव आयोग के मंतव्य में ऐसा कुछ होता, तो भाजपा अब तक चुप नहीं होती। इस मामले में जितना भी ओपिनियन ले लें, जनता ने जो ओपिनियन दिया है, वह पांच सालों के लिए है। डॉ खत्री ने कहा कि झारखंड प्राकृतिक रूप से अपनी पहचान रखता है और यहां के लोग तीर-धनुष चलाना जानते हैं। इतिहास गवाह है कि कई बार बम का जवाब तीर-धनुष से दिया गया है।
राजभवन को राजनीति का अखाड़ा ना बनाया जाये : कांग्रेस
कांग्रेस का पक्ष रखते हुए प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि इस मामले पर अब तक फैसला आ जाना चाहिए था। संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के द्वारा बयानबाजी गंभीर मामला है। इससे यही लग रहा है कि फैसले को अपने अनुसार बदलने की कोशिश है। राजभवन को राजनीति का अखाड़ा नहीं बनाया जाना चाहिए। एक नहीं, राज्यपाल चाहें, तो चुनाव आयोग से दस बार मंतव्य ले लें, लेकिन राज्यपाल की ओर से इस तरह की बयानबाजी उचित नहीं है।
झामुमो के नेताओं को माफी मांगनी चाहिए : भाजपा
भारतीय जनता पार्टी ने इस पूरे मामले पर झामुमो के नेताओं की बयानबाजी को अनुचित करार दिया है। पार्टी प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने इस बयानबाजी पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि उन नेताओं को माफी मांगनी चाहिए, जो राज्यपाल पर आरोप लगा रहे थे। उन्होंने कहा कि राज्यपाल के बयान पर टिप्पणी करने का अधिकार किसी राजनीतिक दल को नहीं है। भाजपा भी उनके बयान पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहती, लेकिन झामुमो बार-बार राज्यपाल पर आरोप लगा रहा था। लेकिन राज्यपाल ने नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत से एक कदम आगे बढ़ कर चुनाव आयोग से दोबारा मंतव्य मांगा है। राज्यपाल पर बदले की भावना से कार्रवाई करने का आरोप लगाने वाले नेताओं को माफी मांगनी चाहिए। इससे ज्यादा पारदर्शी तरीका और क्या हो सकता है।
राज्य की जनता हमारे साथ, लिफाफे की चिंता हमें नहीं: हेमंत सोरेन
इधर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बंद लिफाफे को लेकर चांडिल में पत्रकारों को कहा कि लिफाफा को बंद ही रहने दें। जब खुलेगा, तब देखा जायेगा। वैसे झामुमो हर संघर्ष को तैयार है। कहा कि जब राज्य की जनता उनके साथ है, तो किसी भी लिफाफे की चिंता करने की जरूरत नहीं है। इधर राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने चांडिल में कहा है कि लिफाफा को बंद ही रहने दें। जब खुलेगा, तब देखा जायेगा। वैसे झामुमो हर संघर्ष को तैयार है। उन्होंने कहा कि जब राज्य की जनता उनके साथ है, तो किसी भी लिफाफे की चिंता करने की जरूरत नहीं है। बता दें कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस मामले में जल्द फैसला सुनाने की मांग करते हुए पहले ही कहा था कि देश की यह पहली घटना है, जब सजा सुनने वाला राज्यपाल से गुहार लगा रहा है कि मेरी सजा तो बताओ। अगर मैं असंवैधानिक तरीके से मुख्यमंत्री पद पर बैठा हूं तो इसके लिए जिम्मेदार कौन है। केंद्र सरकार मेरे खिलाफ अपनी असीम ताकत का दुरुपयोग कर रही है। आसमान को जमीन से मिलाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमें इसकी चिंता नहीं है कि निर्वाचन आयोग की तरफ से राजभवन को भेजे गये लिफाफे में क्या है।
क्या कहा है राज्यपाल ने
राज्यपाल रमेश बैस ने बुधवार को रायपुर में एक निजी टीवी चैनल से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सदस्यता मामले पर चुनाव आयोग के मंतव्य की बाबत कहा था कि उन्होंने शिकायत को दोबारा मंतव्य के लिए भेजा है। उन्होंने कह दिया कि झारखंड में पटाखा बैन नहीं है और एकाध एटम बम फूट सकता है। उनका यह बयान राजनीतिक गलियारे में चर्चा का विषय बना हुआ है। इससे पहले राज्यपाल ने कहा था कि आयोग का लिफाफा इतनी मजबूती से चिपका है कि वह खुल ही नहीं रहा। उन्होंने यह भी कहा था कि लिफाफा कब खुलेगा, यह मेरी मर्जी।
इस मामले में कब क्या हुआ
11 फरवरी: राज्यपाल रमेश बैस से भाजपा नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात कर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा पत्थर खनन लीज लेने संबंधी दस्तावेज सौंपे और कार्रवाई की मांग की। राज्यपाल ने चुनाव आयोग से मंतव्य मांगा।
02 मई: चुनाव आयोग ने विशेष दूत के जरिये मुख्यमंत्री आवास को नोटिस सौंपा।
09 मई: मुख्यमंत्री ने मां की बीमारी और हैदराबाद में इलाज की जानकारी देकर अतिरिक्त समय मांगा।
20 मई: हेमंत सोरेन ने चुनाव आयोग को जवाब सौंपा।
14 जून: मां की बीमारी और राज्यसभा चुनाव में व्यस्तता का हवाला देते हुए आयोग से वक्त मांगा।
28 जून: भाजपा की तरफ से पक्ष रखा गया। हेमंत सोरेन को 14 जुलाई का समय दिया गया।
14 जुलाई: आयोग के समक्ष हेमंत सोरेन के वकील ने पक्ष रखा।
12 अगस्त: दोनों पक्षों की तरफ से बहस पूरी होने के बाद आयोग ने सुनवाई समाप्त की। दोनों पक्ष से 18 अगस्त तक लिखित जवाब देने को कहा।
25 अगस्त: चुनाव आयोग ने विशेष दूत के माध्यम से राज्यपाल को मंतव्य भेजा।
29 अगस्त: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन विधायकों के साथ खूंटी के लतरातू डैम पहुंचे।
30 अगस्त: सत्ताधारी गठबंधन के अधिकांश विधायक विशेष विमान से रायपुर गये।
01 सितंबर: यूपीए का उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिला और स्थिति स्पष्ट करने की मांग की।
02 सितंबर: राज्यपाल का दिल्ली प्रवास।
05 सितंबर: विधानसभा के विशेष सत्र में हेमंत सरकार ने हासिल किया विश्वास मत।