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    Home»विशेष»मोदी युग में प्रगाढ़ होती सनातन की चमक
    विशेष

    मोदी युग में प्रगाढ़ होती सनातन की चमक

    इस ब्रह्मांड में पैदा होनेवाले हर प्राणी को देर-सबेर, कभी न कभी सनातन की शरण में जाना ही होगा
    adminBy adminOctober 27, 2022No Comments12 Mins Read
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    विशेष
    सनातन का अर्थ है जो शाश्वत हो, सदा के लिए सत्य हो। जिन बातों का शाश्वत महत्व हो, वही सनातन कहा गया है। जैसे सत्य सनातन है। ईश्वर ही सत्य है, आत्मा ही सत्य है, मोक्ष ही सत्य है और इस सत्य के मार्ग को बताने वाला धर्म सनातन भी सत्य है। वह सत्य, जो अनादि काल से चला आ रहा है और जिसका कभी भी अंत नहीं होगा, वही सनातन या शाश्वत है, जिसका न प्रारंभ है, जिसका न अंत है, उस सत्य को सनातन कहते हैं। यही सनातन धर्म का सत्य है। इसी सत्य को आत्मसात किया है भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने। वह सनातन पथ से तनिक भी डिगे नहीं। भले लाख जतन कर, उनके प्रतिद्वंद्वियों ने उन्हें इस सत्य के रास्ते से डिगाने की पुरजोर कोशिश की। उनका मजाक बनाया। उनकी भक्ति पर सवाल उठाये, लेकिन जब परिणाम सामने आया, वही लोग आज सनातन का नकली चोला ओढ़ने को मजबूर हैं। मोदी युग में आज भव्य राम मंदिर के निर्माण से लेकर काशी विश्वनाथ मंदिर तक, महाकाल लोक से लेकर सोमनाथ मंदिर तक, केदारनाथ मंदिर से लेकर श्रीनगर में झेलम नदी के किनारे बने रघुनाथ मंदिर तक चहुंओर सनातन की रोशनी चमक रही है। इस चमक ने राहुल गांधी को कभी जनेऊ धारण करने को विवश कर दिया था, तो अखिलेश यादव के सपने में भगवान कृष्ण आने लगे थे। आज अरविंद केजरीवाल के मन में भी हिंदू हृदय सम्राट बनने का भाव जग गया है। गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव को लेकर केजरीवाल की हिंदू भक्ति जाग गयी है। वह प्रधानमंत्री से मांग कर रहे हैं कि भारतीय करेंसी पर गांधी जी के साथ-साथ गणेश-लक्ष्मी की तस्वीर भी प्रिंट की जाये। लगता है कि अरविंद केजरीवाल का सेक्यूलर झाड़ू की सीकें झड़ने लगी हैं और उन्हें हिंदू देवी-देवताओं की याद आने लगी है। उन्होंने बताना शुरू कर दिया है कि वह कितने हिंदू हैं। या यूं कहें कि कितने कट्टर हिंदू हैं। कभी 20 मई 2019 को अपने ट्वीट में अरविंद केजरीवाल ने एक पोस्ट शेयर किया था, जिसमें झाड़ू से स्वास्तिक चिह्न को भगाया जा रहा है। अब स्वास्तिक चिह्न की हिंदू धर्म में क्या मान्यता है, यह केजरीवाल जैसे लोगों को आज पता चल रहा है। यह वे लोग हैं, जिन्हें सनातन शब्द से ही एलर्जी थी। जिनकी पूरी राजनीति हिंदू विरोध से ही चलती थी। याद होगा, कैसे केजरीवाल ने कश्मीरी पंडितों पर बनी फिल्म कश्मीर फाइल्स का मजाक बनाया था। कभी अरविंद केजरीवाल ने बाबरी विध्वंस पर अपनी नानी से पूछा था कि नानी अब तो आप बड़ी खुश होंगी। अब आपके राम का मंदिर बननेवाला है। तो नानी ने कहा, ना बेटा, मेरा राम किसी की मस्जिद तोड़ कर ऐसे मंदिर में नहीं बस सकता। वही केजरीवाल आज गुजरात में सरकार आने पर फ्री में राम मंदिर घुमाने की बात कर रहे हैं। क्या राम भक्तों को अब राम मंदिर जाने के लिए अरविंद केजरीवाल से भीख लेनी पड़ेगी। जिन लोगों ने राम मंदिर निर्माण के लिए करोड़ों का चंदा इकठ्ठा कर लिया, वे केजरीवाल की फ्री वाली स्कीम के मोहताज होंगे। फ्री वाले केजरीवाल क्या जानें सनातन धर्म की ताकत को। सनातनी तो पैदल ही अपने राम के दर्शन करने निकल पड़ता है। एक वक्त था, जब स्वामी विवेकानंद ने 1893 में अमेरिका के शिकागो की धर्म संसद में हिंदुत्व को लेकर भाषण दिया था। उन्होंने हिंदुत्व की वह तस्वीर दिखायी कि हजारों की संख्या में उपस्थित विदेशी उस सनातनी के दीवाने हो गये थे। आज भारत पर दो सौ सालों तक राज करने वाला ब्रिटेन का प्रतिनिधित्व भी एक हिंदू के हाथ में है। धर्म ही किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास की पूंजी है। अगर धर्म ही नहीं रहेगा, तो उस व्यक्ति या देश की पहचान पर ग्रहण लगना तय है। यह ज्ञान नरेंद्र मोदी में बखूबी है, तभी वह देश की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को सहेजने ओर उसका पुनर्निर्माण करने में लगे हैं। कैसे चहुंओर सनातन का डंका बज रहा है, कैसे कभी हिंदुत्व को पानी पी-पीकर कोसने वाले लोग इसकी शरण में पहुंच रहे हैं, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

    स्वामी विवेकानंद का वह भाषण जो सनातन की सत्यता को दर्शाता है
    जब भी विश्व पटल पर सनातन का जिक्र होगा, स्वामी विवेकानंद के उस संबोधन को याद किया जायेगा, जब उन्होंने अपने शुरूआती शब्दों के इस्तेमाल मात्र से ही सनातन की सत्यता का लोहा मनवा दिया था। आज से 129 साल पहले स्वामी विवेकानंद ने अमेरिका के शिकागो की धर्म संसद में भाग लिया था। उन्होंने अपने भाषण की शुरूआत मेरे अमेरिकी भाइयो और बहनो कह कर की थी, जिसके बाद सभागार कई मिनटों तक तालियों की गूंज से गूंजती रहा। उन्होंने कहा था, अमेरिका के बहनो और भाइयो, आपके इस स्नेहपूर्ण और जोरदार स्वागत से मेरा हृदय अपार हर्ष से भर गया है और मैं आपको दुनिया की प्राचीनतम संत परंपरा की तरफ से धन्यवाद देता हूं। मैं आपको सभी धर्मों की जननी की तरफ से धन्यवाद देता हूं और सभी जातियों, संप्रदायों के लाखों, करोड़ों हिंदुओं की तरफ से आपका आभार व्यक्त करता हूं। मेरा धन्यवाद उन वक्ताओं को भी है, जिन्होंने इस मंच से यह कहा कि दुनिया में सहनशीलता का विचार सुदूर पूरब के देशों से फैला है। मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसे धर्म से हूं, जिसने दुनिया को सहनशीलता और सार्वभौमिक स्वीकृति का पाठ पढ़ाया। हम सिर्फ सार्वभौमिक सहनशीलता में ही विश्वास नहीं रखते, बल्कि हम विश्व के सभी धर्मों को सत्य के रूप में स्वीकार करते हैं। मुझे गर्व है कि मैं उस देश से हूं, जिसने सभी धर्मों और सभी देशों के सताये गये लोगों को अपने यहां शरण दी। मुझे गर्व है कि हमने अपने दिल में इसराइल की वो पवित्र यादें संजो रखी हैं, जिनमें उनके धर्मस्थलों को रोमन हमलावरों ने तहस-नहस कर दिया था और फिर उन्होंने दक्षिण भारत में शरण ली। मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसे धर्म से हूं, जिसने पारसी धर्म के लोगों को शरण दी और लगातार अब भी उनकी मदद कर रहा है। मैं इस मौके पर वह श्लोक सुनाना चाहता हूं, जो मैंने बचपन से याद किया और जिसे रोज करोड़ों लोग दोहराते हैं।

    रुचिनां वैचित्र्यादृजुकुटिलनानापथजुषाम।
    नृणामेको गम्यस्त्वमसि पयसामर्णव इव।।
    जिस तरह अलग-अलग जगहों से निकली नदियां, अलग-अलग रास्तों से होकर आखिरकार समुद्र में मिल जाती हैं, ठीक उसी तरह मनुष्य अपनी इच्छा से अलग-अलग रास्ते चुनता है। ये रास्ते देखने में भले ही अलग-अलग लगते हैं, लेकिन ये सब ईश्वर तक ही जाते हैं। मौजूदा सम्मेलन, जो कि आज तक की सबसे पवित्र सभाओं में से है, वह अपने आपमें गीता में कहे गये उपदेश इसका प्रमाण है।

    ये यथा मां प्रपद्यन्ते तांस्तथैव भजाम्यहम।
    मम वत्मार्नुवर्तन्ते मनुष्या: पार्थ सर्वश:।।
    इसका अर्थ है, जो भी मुझ तक आता है, चाहे कैसा भी हो, मैं उस तक पहुंचता हूं। लोग अलग-अलग रास्ते चुनते हैं, परेशानियां झेलते हैं, लेकिन आखिर में मुझ तक पहुंचते हैं। सांप्रदायिकता, हठधर्मिता और उनकी वीभत्स वंशधर धर्मांधता इस सुंदर पृथ्वी पर बहुत समय तक राज्य कर चुकी हैं। वे पृथ्वी को हिंसा से भरती रही हैं, उसको बारंबार मानवता के रक्त से नहलाती रही हैं, सभ्यताओं को विध्वस्त करती और पूरे-पूरे देशों को निराशा के गर्त में डालती रही हैं। यदि ये वीभत्स दानवी न होती, तो मानव समाज आज की अवस्था से कहीं अधिक उन्नत हो गया होता। पर अब उनका समय आ गया है, और मैं आंतरिक रूप से आशा करता हूं कि आज सुबह इस सभा के सम्मान में जो घंटाध्वनि हुई है, वह समस्त धर्मांधता का, तलवार या लेखनी के द्वारा होनेवाले सभी उत्पीड़नों का तथा एक ही लक्ष्य की ओर अग्रसर होनेवाले मानवों की पारस्पारिक कटुता का मृत्युनिनाद सिद्ध हो। स्वामी विवेकानंद द्वारा यह महज भाषण नहीं था, यह सनातन धर्म की वह तस्वीर है, जिस पर लोग गर्व भी करते हैं और कुछ ईर्ष्या भी। स्वामी विवेकानंद ने उसी वक्त सनातन की ताकत का आभास विश्व को करवा दिया था। आज 2022 है ओर विश्व में सनातन का डंका बजना शुरू हो चुका है।

    मोदी युग में सनातन की चमक
    आज सनातन की वही लौ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने हाथों में ले रखी है। आज मोदी युग गवाह बन रहा है भारत के सांस्कृतिक और धार्मिक उदय का। मोदी युग में ही पांच सौ वर्षों से लंबित राम मंदिर का मार्ग प्रशस्त हुआ और आज भव्य राम मंदिर का निर्माण कार्य भी चल रहा है। भारी प्राकृतिक आपदा झेल चुके हमारे चार धाम में से एक, केदारनाथ धाम का कायाकल्प भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इच्छाशक्ति से संपन्न हो चुका है। उत्तराखंड में चार धाम यात्रा नामक परियोजना परवान चढ़ चुकी है और लगभग सभी दुर्गम आस्था केंद्रों पर अब 12 महीने आसानी से पहुंचा जा सकता है। ऋषिकेश और कर्णप्रयाग को रेलवे मार्ग से भी जोड़ा जा रहा है, जो 2025 तक पूरा होगा। कश्मीर में धारा 370 की समाप्ति के बाद मंदिरों के पुनरुद्धार का काम जोरों पर है। श्रीनगर स्थित रघुनाथ मंदिर हो या माता हिंगलाज का मंदिर, सभी प्रमुख मंदिरों के स्वरूप को नवजीवन दिया जा रहा है। पिछले साल भारत की आध्यात्मिक राजधानी काशी का पुनरुद्धार नरेंद्र मोदी की इच्छाशक्ति से ही संभव हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जितना ध्यान देश के मंदिरों के पुनरुद्धार पर दिया है, उतना ही ध्यान विदेशों में भी जीर्ण-शीर्ण हालत में पड़े पुराने मंदिरों की योजनाओं पर भी लगाया है। इस दिशा में सबसे पहले बहरीन स्थित दो सौ साल पुराने श्रीनाथ जी के मंदिर के लिए 4.2 मिलियन डॉलर खर्च किये जाने की योजना है। इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी ने अबू धाबी में भी यहां के पहले मंदिर की 2018 में आधारशिला रखी। हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात में विशाल हिंदू मंदिर का लोकार्पण आधिकारिक रूप से वहां की सरकार ने किया। जबेल अली अमीरात के कॉरिडोर आॅफ चॉलरेस में स्थित इस विशाल मंदिर के बनने से वहां के हिंदुओं का दशकों पुराना सपना पूरा हुआ है, जिसके पीछे भारत की मोदी सरकार का अथक प्रयास है। गुजरात के मेहसाणा जिले में चालुक्य शासन में बनाये गये मोढेरा के सूर्य मंदिर का भी पुनरुद्धार हुआ। चाहे विंध्यवासिनी धाम हो या सोमनाथ मंदिर, पावागढ़ का महाकालिका मंदिर हो या उत्तराखंड का केदारनाथ धाम, पूरब से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण तक हर तरफ हिंदुत्व का डंका बज रहा है।

    ब्रिटेन का पहला हिंदू प्रधानमंत्री
    यह महज इत्तेफाक नहीं है, यह काल का एक चक्र है कि ऋषि सुनक ब्रिटेन के पहले हिंदू प्रधानमंत्री बने हैं। जिस देश ने भारत पर दो सौ साल तक राज किया था, उस देश का प्रतिनिधित्व भारतीय मूल के एक हिंदू के हाथों में है। ऋषि सुनक अपने हिंदू होने पर गर्व महसूस करते हैं। जब ऋषि सुनक ने 10 डाउनिंग स्ट्रीट में अपने पहले भाषण के दौरान वहां मौजूद लोगों का अभिवादन किया, तो उनके हाथ में पवित्र लाल कलावा देखा गया। हिंदू धर्म में हाथ पर कलावा, जिसे रक्षा सूत्र भी कहते हैं, पहनना बहुत ही शुभ माना जाता है। हिंदू धर्म में कोई भी पूजा-पाठ कलावे के बगैर संपन्न नहीं होता है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि कलावे की सूती डोर में स्वयं भगवान का वास होता है। इसे बांधने से व्यक्ति की तमाम विपत्तियों से रक्षा होती है। इसके अलावा व्यक्ति के अंदर सकारात्मकता आती है और उसके तमाम काम बनने लगते हैं। साल 2020 में ऋषि सुनक को वित्त मंत्री की शपथ दिलायी गयी। इस दौरान उन्होंने भगवद् गीता पर हाथ रख कर शपथ ली थी। ऋषि सुनक कहते हैं कि मैं अब ब्रिटेन का नागरिक हूं, लेकिन मेरा धर्म हिंदू है। भारत मेरी धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत है। मैं गर्व से कह सकता हूं कि मैं एक हिंदू हूं और हिंदू होना ही मेरी पहचान है। अपनी डेस्क पर भगवान गणेश की प्रतिमा रखने वाले सुनक धार्मिक आधार पर बीफ त्यागने की अपील भी कर चुके हैं। वह खुद भी बीफ का सेवन नहीं करते हैं।

    अरविंद केजरीवाल भी हिंदुत्व का अलाप रहे राग
    इधर आम आदमी पार्टी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के गढ़ में सेंध लगाने की हर कोशिश में जुट गयी है। इसी बीच अरविंद केजरीवाल ने हिंदू कार्ड खेलते हुए भाजपा को घेरने की कोशिश की है। केजरीवाल को दिवाली में पूजा करते वक्त एक ख्याल आया और उस ख्याल को उन्होंने जगजाहिर किया। उन्होंने कहा कि मेरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग है कि देश की करेंसी पर गांधी जी की तस्वीर के साथ-साथ लक्ष्मी गणेश की भी तस्वीर हो। यह भाव केजरीवाल को तब आया, जब गुजरात ओर हिमाचल का चुनाव नजदीक है। यह वही अरविंद केजरीवाल हैं, जिनकी सरकार ने कहा था कि दिवाली में पटाखा फोड़ने पर जेल होगी। आज अरविंद केजरीवाल गुजरात की जनता को कह रहे हैं कि अगर उनकी गुजरात में सरकार आयी, तो वह वहां के लोगों को फ्री में राम मंदिर के दर्शन करवायेंगे। मतलब अब वह धर्म में भी फ्री की पॉलिटिक्स कर रहे हैं। शायद वह भूल गये हैं कि राम भक्तों को किसी की खैरात की जरूरत नहीं होती। वह अपने राम से मिलने नंगे पांव भी निकल पड़ता है। एक वक्त अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि जब बाबरी मस्जिद का ध्वंस हुआ, तब मैंने नानी से पूछा कि नानी अब तो आप बड़ी खुश होंगी। अब तो आपके भगवन राम का मंदिर बनेगा। तो नानी ने कहा, ना बेटा, मेरा राम किसी कि मस्जिद तोड़ कर ऐसे मंदिर में नहीं बस सकता। एक और बयान में अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि मैं सोच रहा था कि अगर स्टील अथॉरिटी आॅफ इंडिया की जगह जवाहर लाल नेहरू मंदिर बना देते, तो क्या इस देश का विकास हो सकता था। लेकिन आज जब मोदी युग में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो रहा है, तो केजरीवाल को लग रहा है कि इसका पूरा क्रेडिट तो मोदी ही ले जायेंगे, तो फ्री में दर्शन करवाने वाला पासा ही फेंक दो। कभी पानी पी-पीकर हिंदुत्व विरोधी बयान देने वाले केजरीवाल आज बोलते फिर रहे हैं कि मैं एक धार्मिक आदमी हूं। हनुमान जी का कट्टर भक्त हूं। मेरा जन्म जन्माष्टमी के दिन हुआ था। मुझे भगवान ने एक स्पेशल काम देकर भेजा है। इन कंस की औलादों का नाश करने के लिए। उन्होंने खुद को भगवान कृष्ण नहीं बोला, यही गनीमत है।
    वास्तव में केजरीवाल का यह बयान और उनका बदला रुख सियासी ही नहींं, उस सनातन की विराट सत्यता को साबित करता है, जिससे कोई बच नहीं सका है। इस ब्रह्मांड में पैदा होनेवाले हर प्राणी को देर-सबेर, कभी न कभी सनातन की शरण में जाना ही होगा, चाहे वह कितना भी तीसमार खां क्यों न हो।

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