24 साल के बाद पार्टी की कमान गांधी परिवार के बाहर
राहुल सिंह
रांची (आजाद सिपाही)। सोमवार का दिन कांग्रेस पार्टी के लिए काफी अहम होनेवाला है। कांग्रेस की कमान किसके हाथों में जायेगी इसका फैसला सोमवार को हानेवाले चुनाव पर निर्भर करेगा। इसके लिए तैयारियां हो चुकी हैं। कांग्रेस के 9800 से ज्यादा मतदाता मल्लिकार्जुन खड़गे या शशि थरूर में से किसी एक का चुनाव करेंगे। कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के लिए सोमवार सुबह दस बजे से वोटिंग शुरू हो जायेगी। चार बजे तक वोटिंग का समय निर्धारित किया गया है। देश भर में 40 केंद्रों पर इसके लिए 68 बूथ बनाये गये हैं। करीब 9800 मतदाता इसमें हिस्सा लेंगे, जो अलग-अलग प्रदेशों के प्रतिनिधि हैं।
सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह, प्रियंका गांधी समेत अन्य सीडब्ल्यूसी के सदस्य कांग्रेस मुख्यालय में बने बूथ में मतदान करेंगे। एक बूथ भारत जोड़ो यात्रा के कैंप में भी बनाया गया है, जहां राहुल गांधी और करीब 40 मतदाता मतदान करेंगे। मल्लिकार्जुन बेंगलुरु और शशि थरूर तिरुवनंतपुरम स्थित प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में मतदान करेंगे। मतदान के बाद मतपेटियों को दिल्ली लाया जायेगा, जहां पार्टी मुख्यालय में 19 अक्टूबर को मतगणना होगी और नतीजे घोषित होंगे। कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए 22 साल बाद चुनाव होने जा रहा है और करीब 24 साल के बाद पार्टी की कमान गांधी परिवार के बाहर जाना तय हो गया है।
अलग-थलग पड़ गये शशि थरूर
चुनावी बिगुल बजते ही मल्लिकार्जुन खड़गे की दावेदारी सबसे मजबूत थी। सभी जानते थे कि गांधी परिवार की पहली पसंद खड़गे ही हैं। इसके बाद चाह कर भी न जाने कितने कांग्रेसियों ने, जिन्होंने मुंगेरीलाल के हसीन सपने संजोये थे, उन्हें अपना सपना त्यागना पड़ा। लेकिन शशि थरूर को कहीं ना कहीं उम्मीद थी और वह आगे बढ़े, लेकिन समय के साथ-साथ वह अलग-थलग पड़ने लगे।
शशि थरूर ने चुनाव पर कई प्रश्न खड़े किये
* मुझसे कांग्रेस के नेता मिलने से हिचकते हैं?
शशि थरूर ने कहा, ‘मल्लिकार्जुन खड़गे से कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता आसानी से मुलाकात करते हैं। उनका स्वागत करते हैं, लेकिन ऐसा मेरे साथ नहीं होता है। मुझसे मुलाकात करने में कांग्रेस के नेता हिचकते हैं।’
* मतदाताओं से संपर्क करने का समय ही नहीं मिला?
थरूर की बेचैनी दिन पर दिन बढ़ती गयी। 30 सितंबर को मतदाताओं की पहली सूची मिली। सूची मिलते ही उन्होंने चुनाव की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि ‘हमें 30 सितंबर को मतदाताओं की पहली सूची दी गयी, जिसमें केवल नाम थे। किसी का नंबर नहीं था। एक हफ्ते पहले दूसरी सूची दी गयी। ऐसे में हम कैसे किसी से संपर्क कर पाते।
* मुझे समान अवसर नहीं मिला ?
थरूर ने पार्टी के कुछ नेताओं की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े किये। उन्होंने कहा कि ‘कुछ नेताओं ने ऐसे काम किये हैं, जिसे पक्षपात कहा जा सकता है। सच कहें तो मुझे समान अवसर नहीं दिया गया। कई प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) में हमने देखा कि पीसीसी अध्यक्ष, विधायक दल के नेता और कई बड़े नेता खड़गे साहब का स्वागत करते हैं, उनके साथ बैठते हैं, पीसीसी से मतदाताओं को निर्देश जाते हैं कि आ जाओ, खड़गे साहब आ रहे हैं। यह सिर्फ एक ही उम्मीदवार के लिए हुआ। मेरे लिए ऐसा नहीं हुआ। इस किस्म की कई चीजें कई पीसीसी में हुईं। कई जगह तो पीसीसी अध्यक्ष तक ने मुझसे मुलाकात नहीं की।’
थरूर की दावेदारी कितनी मजबूत
- केरल और अन्य दक्षिण राज्यों से वोट मिलने की संभावना
शशि थरूर 13 साल से केरल के तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस के सांसद हैं। दक्षिण के राज्यों में कांग्रेस को मजबूत करने में भी थरूर काफी आगे रहे हैं। वह केवल दक्षिण नहीं, बल्कि उत्तर भारत में भी काफी चर्चित हैं। थरूर को दक्षिण राज्यों के अलावा उत्तर भारत से भी वोट मिलने की संभावना है। - कांग्रेस में अंदरूनी उठापटक का फायदा
कांग्रेस में बदलाव चाहने वाले युवाओं के बीच थरूर की लोकप्रियता पहले से ज्यादा है। कुछ राज्यों में भले ही कांग्रेस नेताओं ने खुलकर थरूर का समर्थन नहीं किया है, लेकिन अंदर तौर पर वे जरूर चाहते हैं कि पार्टी में बदलाव हो। ऐसे में पार्टी के अंदर बदलाव चाहने वाले नेता जरूर थरूर का साथ दे सकते हैं। थरूर भी ऐसी ही उम्मीद लगाकर बैठे हैं। - खड़गे से ज्यादा लोकप्रिय चेहरा : शशि थरूर के पास भले ही मल्लिकाअर्जुन खड़गे जितना संगठन का अनुभव न हो, लेकिन आम लोगों में थरूर खड़गे से ज्यादा लोकप्रिय चेहरा हैं। शशि थरूर एक पैन इंडिया पॉपुलर नेता हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर थरूर की फॉलोइंग कांग्रेस के अधिकतर नेताओं से ज्यादा ही रही है।
- वाद विवाद और तर्कशीलता में बेहतरीन
बेहतरीन अंग्रेजी, ठीक-ठाक हिंदी और कई अन्य भाषाओं में महारत होने की वजह से वह युवाओं के बीच अलग अपील लेकर पेश होते हैं। सोशल मीडिया पर उनकी तर्कशीलता को लेकर एक बड़ा तबका उनका फैन है। खासकर विदेश मामलों में भारत का पक्ष रखने को लेकर लोग उन्हें सुनना पसंद करते हैं।
खड़गे की दावेदारी कितनी मजबूत?
- पार्टी का समर्थन, वरिष्ठ नेताओं का भी मिला साथ
थरूर के मुकाबले मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ ज्यादा कांग्रेसी नेता खड़े दिखायी दे रहे हैं। खासतौर पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का साथ खड़गे को मिला हुआ है। कहा जाता है कि खड़गे को पार्टी की तरफ से पूरा समर्थन दिया गया है। गांधी परिवार भी खड़गे को ही अध्यक्ष बनाना चाहता है। - गांधी परिवार के करीबी
खड़गे गांधी परिवार के भरोसेमंद माने जाते हैं। इसका समय-समय पर उनको इनाम भी मिला। साल 2014 में खड़गे को लोकसभा में पार्टी का नेता बनाया गया। लोकसभा चुनाव 2019 में हार के बाद भी कांग्रेस पार्टी ने उन्हें 2020 में राज्यसभा भेज दिया। पिछले साल गुलाम नबी आजाद का कार्यकाल खत्म हुआ, तो खड़गे को राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष बना दिया गया। - विपक्ष के नेताओं से अच्छे संबंध
मल्लिकार्जुन खड़गे गांधी परिवार के करीबी तो हैं ही, विपक्ष के अन्य नेताओं से भी उनके अच्छे संबंध हैं। खड़गे का राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) अध्यक्ष शरद पवार और माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी जैसे विपक्ष के नेताओं के साथ अच्छे संबंध हैं। - मजदूरों में अच्छी पकड़, नौ बार विधायक रहे
खड़गे नौ बार विधायक रहे और दो बार लोकसभा सांसद। अभी वह राज्यसभा के सांसद हैं। केंद्र में मनमोहन सिंह सरकार में खड़गे श्रम और रोजगार मंत्री रहे। खड़गे का नाता महाराष्ट्र से भी है। खड़गे के पिता महाराष्ट्र से रहे। यही कारण है कि खड़गे बखूबी मराठी बोल और समझ लेते हैं। खड़गे मजदूरों के बीच काफी लोकप्रिय रहे हैं। लंबे समय तक उन्होंने मजदूरों के हक की लड़ाई लड़ी है। इसका फायदा भी उन्हें मिल सकता है। - कर्नाटक, महाराष्ट्र में दिला सकते फायदा
आने वाले समय में कर्नाटक और फिर महाराष्ट्र में भी चुनाव होंगे। ऐसे में खड़गे इन दोनों राज्यों के अलावा दक्षिण के अन्य राज्यों में कांग्रेस को अच्छा फायदा दिला सकते हैं। संगठन और प्रशासनिक कार्यों में माहिर खड़गे को प्लानिंग का मास्टर कहा जाता है।