अजय शर्मा
रांची। झारखंड के 24 डीएसपी को अभी आइपीएस में प्रोन्नति के लिए थोड़ा और इंतजार करना होगा। अधिकारियों के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। प्रोन्नति के लिए जो सूची संघ लोक सेवा आयोग को भेजी गयी थी, उस पर यूपीएससी ने सवाल खड़ा कर दिया है। इस संबंध में आयोग ने राज्य के गृह सचिव राजीव अरुण एक्का को एक पत्र भेजते हुए उसका जवाब भी मांगा है। इसमें कहा गया है कि सूची में शामिल कई अधिकारियों के एसीआर आधे-अधूरे हैं, तो कई पर केस हैं। कई के फॉर्म गलत तरीके से भरे गये हैं। झारखंड एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां इस तरह बगैर पत्र के अनुशंसा भेज दी जाती है।

क्या है मामला
झारखंड में तैनात डीएसपी स्तर के अधिकारियों को आइपीएस में प्रोन्नति दी जानी है। इसमें 2017 में नौ, 2018 में चार, 2019 में पांच और 2020 में छह अधिकारी शामिल हैं। इस तरह कुल 24 डीएसपी आइपीएस बनेंगे।
क्या लिखा है यूपीएससी ने
यूपीएससी ने गृह सचिव को लिखा है कि प्रोन्नति के लिए जो सूची भेजी गयी है, उसमें जिनकी सेवा नियमित नहीं हुई है, उनके भी नाम हैं। इसमें शिवेंद्र, राधा प्रेम किशोर और मुकेश कुमार महतो शामिल हैं। हालांकि इनके साथ जो बर्खास्त हुए थे, उनमें से छह अधिकारियों को नियमित कर दिया गया है और उनके नाम छोड़ दिये गये हैं। इसके लिए डीएसपी स्तर के अधिकारी दोषी नहीं हैं। यह दोष सीनियर अधिकारियों पर जा सकता है। अधिकारियों पर सीबीआइ ने मुकदमा कर रखा है। कई अधिकारियों के वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) अपूर्ण हैं। इसके साथ ही सूची भेजने के क्रम में कुछ तथ्य छिपा दिये गये हैं। उदाहरण के लिए मजहरुल होदा पर क्रिमिनल केस है, वहीं दीपक कुमार पांडेय को वर्ष 2014-15 में, अजय कुमार को वर्ष 2015-16 में और पीतांबर सिंह को वर्ष 2015-16 में जो ग्रेडिंग मिली, वह औसत है। सैयद अनवर रिजवी, विकास कुमार पांडेय, विजय आशीष कुजूर के एसीआर सही ढंग से नहीं भेजे गये हैं। सूची में शामिल दीपक कुमार, राज कुमार मेहता, शंभू कुमार सिंह, दीपक कुमार पांडेय और रोशन गुड़िया के बारे में भी भी टिप्पणी की गयी है।

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