रांची संसदीय निर्वाचन क्षेत्र की कमेटी की हुई घोषणा
रांची। राजधानी के करम टोली चौक स्थित रांची प्रेस क्लब में भारत जोड़ो अभियान की रांची इकाई ने नफरत की राजनीति के खिलाफ एक सद्भाव सम्मेलन का आयोजित किया। जुड़ेगा इंडिया जीतेगा भारत को आदर्श मान कर समाज के विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधि के तौर पर कई राजनीतिक दलों, स्वयंसेवी संगठनों, लेखकों, पत्रकारों, चिंतकों, महिला और मानवाधिकार कार्यकर्ताओंऔर समाज के विभिन्न तबके का प्रतिनिधित्व करनेवाले प्रबुद्धजनों ने इस सम्मेलन में शिरकत की।
कार्यक्रम का संचालन भारत जोड़ो अभियान के रांची लोकसभा के संयोजक नदीम खान ने किया और इसकी अध्यक्षता भारत जोड़ो अभियान की राज्य संयोजक बासवी कीडो ने की। कार्यक्रम में विषय प्रवेश सामाजिक कार्यकर्ता सुधीर पाल और अलोका कुजूर, संविधान की प्रस्तावना का पाठ भारत जोड़ो अभियान के सौरभ श्रीवास्तव और धन्यवाद ज्ञापन शहरोज कमर ने किया। इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री सुबोधकांत सहाय, पूर्व शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव, जदयू के महासचिव श्रवण कुमार, आम आदमी पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष नरेंद्र चौबे, सीपीआइ के अजय सिंह और झारखंड मुक्ति मोर्चा के परमिंदर सिंह नामधारी, सामाजिक चिंतक सुधीर पाल, कुमार विनोद, फादर टॉम फादर महेंद्र पीटर तिग्गा, कैलाश सत्यार्थी फाऊंडेशन की यशस्विनी सहाय, सामाजिक कार्यकर्ता हेमि गायकवाड आदि उपस्थित रहे।
सम्मेलन के प्रथम चरण में आनेवाले 2024 के चुनावों से पहले इंडिया के घटक दलों तथा सामाजिक और सामुदायिक प्रतिनिधियों के साथ एक परिचर्चा की गयी, जिस पर नफरत की राजनीति के खिलाफ कैसी तैयारी करके भारत जोड़ो अभियान, इंडिया एलायंस के प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित करेगा, इसकी रणनीतियां बनायी गयीं। वहीं दूसरे चरण में समाज के प्रबुद्ध तबके के प्रतिनिधियों ने नफरत की राजनीति के खिलाफ की जानेवाली जमीनी स्तर की तैयारी पर अपने-अपने विचार रखे और इससे संबंधित जिम्मेदारियां लीं।

तीसरे और अंतिम सत्र में भारत जोड़ो अभियान की रांची संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के कमेटी की घोषणा हुई। अंतिम सत्र में 75 सदस्यीय कमेटी की घोषणा की गयी। आने वाले समय में सद्भावना पर कार्य करने वाले युवाओं और संगठनों को सम्मानित करने का निर्णय भी लिया गया।

इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या सामाजिक-मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, सामुदायिक कार्यकर्ताओं, लेखक, पत्रकार, साहित्यिक औरसांस्कृतिककर्मी, अधिवक्ता, महिला और पंचायत प्रतिनिधियों तथा राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया।

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