पणजी,  । गोवा में चल रहे 37वें राष्ट्रीय खेलों में महाराष्ट्र की भारोत्तोलक दीपाली घुरसाले ने बुधवार को महिलाओं की 45 किलोग्राम में स्नैच और कुलभार वर्ग में राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाते हुए स्वर्ण पदक जीत लिया। घुरसाले ने स्नैच में 75 और क्लीन एंड जर्क में 90 किग्रा सहित कुल 165 किलोग्राम का भार उठाकर स्वर्ण पदक अपने नाम किया।

पश्चिम बंगाल की चंद्रिका तरफदार ने स्नैच में 67 किग्रा और क्लीन एंड जर्क में राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाते हुए 95 किग्रा सहित कुल 162 किलोग्राम भार के साथ रजत पदक जीता। चंद्रिका युवा विश्व भारोत्तोलन चैंपियनशिप में पदक जीतने वाली पहली भारतीय हैं। उन्होंने सितंबर 2019 में स्लोवाकिया में कुल 129 किग्रा भार के साथ कांस्य पदक जीता था।

तेलंगाना की टी प्रिया प्रियदर्शिनी ने स्नैच में 69 किग्रा और क्लीन एंड जर्क में 92 किग्रा सहित कुल 161 किलोग्राम भार वर्ग के साथ कांस्य पदक पर कब्जा जमाया।

राष्ट्रीय खेलों में स्वर्ण पदक जीतने के बाद दीपाली का लक्ष्य अब अंतराष्ट्रीय स्तर पर भारत को गोल्ड मेडल दिलाना हैं।

उन्होंने स्वर्ण जीतने के बाद कहा, “मीरा दीदी (मीराबाई चानू) मेरी आदर्श हैं और मैं भी उनकी तरह ही भारत के लिए अंतरष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण पदक जीतना चाहती हूं।”

दीपाली पहली बार राष्ट्रीय खेलों में पहली बार भाग ले रही थीं और उन्होंने अपने प्रयास में ही चैंपियन बनने का गौरव हासिल कर लिया। उन्होंने आगे कहा, “यह मेरा पहला राष्ट्रीय खेल है और मैंने पहली बार में ही गोल्ड मेडल जीता और मैं अपने प्रदर्शन से खुश हूं।”

युवा भारोत्तोलक आगे बताती हैं कि वह महाराष्ट्र के सांगली जिले से आती है। आठवीं कक्षा से ही भारोत्तोलन शुरू करने वाली दीपाली ने कहा कि यहां तक पहुचंने में उनके परिवार वालों ने उनकी काफी मदद की है। उन्होंने कहा, ” खेल को लेकर मेरे परिवार वालों ने हमेशा मुझे बहुत सपोर्ट किया है। स्कूल में भी हमारे कोच ने हमें काफी अच्छी ट्रेनिंग दी औऱ यही कारण है कि मैं आज मैं स्वर्ण पदक जीतने में सफल रही।

पिछले 13 सालों से भारोत्तोलन कर रही दीपाली ने जूनियर स्तर पर अब तक तीन स्वर्ण पदक जीते हैं। उन्होंने अपनी इस सफलता के पीछे की कहानी कड़ी मेहनत, बैलेंस औऱ अपने आदर्श मीराबाई चानू को बताती हैं। यह पूछने पर की आप मोटिवेट रहने के लिए क्या करती हो, उन्होंने कहा, ” मैं अपने से ही मुकाबला करती हूं। अपने खेल में अधिक से अधिक सुधार लाने की कोशिश करती हूं। मैं कभी भी नेगेटिव नहीं सोचती हूं। शायद यही वजह है कि मैं आज अच्छा कर पाई हूं।”

उन्होंने कहा, ”मैं अब मीरा दीदी की तरह ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए गोल्ड मेडल जीतना चाहती हूं और यही मेरा सपना है।”

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