मुंबई। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सूबे के सरकारी अस्पतालों में मरीजों की मौत होने के मामले की जांच सेंट्रल इंवेस्टिगेशन ब्यूरो (सीबीआई) से करवाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि अस्पतालों में मरीजों के मरने का मामला गंभीर है, इसलिए इस सरकार को बने रहने का अधिकार ही नहीं है, कम से कम स्वास्थ्य मंत्री को इस्तीफा देना ही चाहिए।

उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को पत्रकारों से कहा कि नांदेड़, संभाजीनगर, ठाणे, पुणे सहित कई जिलों के सरकारी अस्पतालों में इसी तरह की मौतें हुई हैं, लेकिन कहीं भी जाकर किसी ने डीन (अस्पताल के प्रमुख) से शौचालय साफ नहीं करवाया था, लेकिन नांदेड़ में शिवसेना सांसद हेमंत पाटिल ने डीन से शौचालय साफ करवाया था, जिसके बाद उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया। इसके बाद सरकार ने अस्पताल के डीन पर भी मामला दर्ज करवा दिया।

उद्धव ठाकरे ने कहा कि कोरोनाकाल में इसी मेडिकल स्टाफ ने लोगों की जान बचाई थी, उस समय कभी भी किसी भी अस्पताल में दवा की कमी नहीं महसूस की गई, लेकिन अब दवा की आपूर्ति क्यों नहीं हो पा रही है। साथ ही दवा की खरीद नीलामी पद्धति के बजाय दलालों के माध्यम से की जा रही है, इसलिए दवाएं अस्पताल तक नहीं पहुंच रही हैं और मरीजों के रिश्तेदारों को बाहर से दवा खरीदनी पड़ रही है। इसी तरह लोगों के लिए बहुत से योजनाएं शुरू करने का प्रचार सरकार करती है, लेकिन वह सारी योजनाएं आखिर कहां गई, इसकी भी छानबीन की जानी चाहिए।

उद्धव ठाकरे ने कहा कि सरकार के पास मरीजों का इलाज कराने के लिए पैसे नहीं हैं, जबकि सरकार झूठे विज्ञापनों पर लोगों का पैसा पानी की तरह बहा रही है। इन सभी की जांच करने पर दूध का दूध और पानी का पानी आम जनता के सामने आ जाएगा। उद्धव ठाकरे ने कहा कि भले ही सरकार झूठ पर झूठ बोले आम जनता सब कुछ समझ रही है।

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