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    Home»अन्य खबर»इतिहास के पन्नों में 20 अक्टूबरः जहां कभी चलता था उसकी ताकत का सिक्का, वहीं की सड़क पर उसका शव घसीटा गया
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    इतिहास के पन्नों में 20 अक्टूबरः जहां कभी चलता था उसकी ताकत का सिक्का, वहीं की सड़क पर उसका शव घसीटा गया

    shivam kumarBy shivam kumarOctober 19, 2024No Comments4 Mins Read
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    लीबिया के जिस सिर्ते शहर में तानाशाह मुअम्मर अल गद्दाफी का जन्म हुआ, 69 साल बाद 20 अक्टूबर 2011 को उसी शहर में विद्रोही लड़ाके गद्दाफी के शव को सड़क पर घसीटते देखे गए। कभी अमेरिका को चुनौती देने वाला गद्दाफी अपनी मौत से पहले विद्रोही और अंतरिम सरकार के सैनिकों से बचने के लिए सीवर पाइप लाइन में छिपने की कोशिश करता पकड़ा गया था। हालांकि बुरी तरह से घायल हालत में जब अंतरिम सरकार के सैनिक उसे ले जा रहे थे तो गद्दाफी ने किसी प्रकार का विरोध नहीं किया। उसे अपना अंत करीब होने का पूरा अहसास था।

    लीबिया के तानाशाह गद्दाफी ने 27 साल की उम्र में तख्तापलट किया और इस देश पर 42 सालों तक राज किया। 7 जून 1942 को लीबिया के सिर्ते शहर में जन्मा गद्दाफी हमेशा से अरब राष्ट्रवाद से प्रभावित रहा। 1 सितंबर 1969 को उसने विद्रोहियों के साथ मिलकर राजा इदरीस की सत्ता पर कब्जा कर किया और सेना प्रमुख की शपथ ली। पूरे देश की सेना को नियंत्रित कर लीबिया से मदद पा रहे अमेरिकी और ब्रिटिश सैन्य ठिकानों को बंद करने का हुक्म दिया। उसने ग्रेगोरियन कैलेंडर बदल कर इस्लामी कैलेंडर लागू कर दिया। शराब की ब्रिकी पर पाबंदी लगा दी। दिसंबर 1969 में राजनीतिक विरोधियों ने गद्दाफी की सत्ता को हथियाने की कोशिश की तो उसने एक-एक करके उन सभी की हत्या करवा दी। आगे चल कर उसका विरोध करने वालों को सरेआम फांसी दी जाने लगी।

    गद्दाफी शासन के खिलाफ लोगों में नाराजगी और गुस्सा बढ़ता रहा। इसी बीच गद्दाफी ने कई देशों की सरकारों को अपने देश में प्रतिबंधित कर दिया जिससे लीबिया की अर्थव्यवस्था बिगड़ने लगी। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने गद्दाफी के विद्रोहियों का समर्थन किया। नाटो गठबंधन ने हवाई हमले करने शुरू किए तो विद्रोहियों ने राजधानी त्रिपोली पर कब्जा कर लिया। जुलाई 2011 में दुनिया के 30 देशों ने लीबिया में विद्रोहियों की सरकार को मान्यता दे दी। इस दौरान गद्दाफी और उसके समर्थकों का प्रभाव समिटकर उसके गृहनगर सिर्ते तक रह गया। मगर गद्दाफी यहां भी सुरक्षित नहीं था। 20 अक्टूबर 2011 को गद्दाफी को सिर्ते में ही मार गिराया गया।

    अन्य अहम घटनाएंः

    1568- अकबर ने चित्तौड़गढ़ पर आक्रमण किया।

    1740- मारिया थेरेसा आस्ट्रिया,हंगरी और बोहमिया की शासक बनी।

    1774- कोलकाता (तत्कालीन कलकत्ता) भारत की राजधानी बना।

    1822- लंदन संडे टाइम्स का पहला अंक प्रकाशित।

    1880- एम्सटर्डम मुक्त विश्वविद्यालय की स्थापना।

    1904- चिली और बोलविया ने शांति और मित्रता की संधि पर हस्ताक्षर किया।

    1905- रूस में 11 दिनों तक चले ऐतिहासिक हड़ताल की शुरुआत।

    1946- वियतनाम की डेमोक्रेटिक रिपब्लिकन सरकार ने 20 अक्टूबर को वियतनाम महिला दिवस के रूप में घोषित किया।

    1962- चीन का भारत पर हमला, अरुणाचल प्रदेश के रास्ते भारत के अंदर तक प्रवेश की कोशिश।

    1963- दक्षिण अफ्रिका में नेल्सन मंडेला और आठ अन्य के खिलाफ मामला शुरू।

    1991- भारत के उत्तरकाशी में 6.8 तीव्रता के भूकंप से 1000 से ज्यादा लोगों की मौत।

    1995- संयुक्त राष्ट्र महासभा का विशेष स्वर्ण जयंती अधिवेशन आरम्भ।

    1998- मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल गयूम पांचवीं बार राष्ट्रपति पद पर निर्वाचित।

    2003- मदर टेरेसा को रोमन कैथोलिक चर्च की सर्वोच्च सत्ता पोप जॉन पाल द्वितीय का आशीर्वाद प्राप्त हुआ।

    2004- बांग्लादेश में 3 पूर्व सेनाधिकारियों को मौत की सजा मिली।

    2007- अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने म्यांमार के सैन्य शासकों के खिलाफ नये प्रतिबन्ध की घोषणा की।

    2008- आरबीआई ने रेपो दर में एक प्रतिशत की कटौती की।

    2011- लीबिया पर 40 साल तक राज करने वाले तानाशाह मोहम्‍मद गद्दाफी को गृहयुद्ध में मारा गया।

    जन्म

    1855- गोवर्धनराम माधवराम त्रिपाठी- आधुनिक गुजराती साहित्य के कथाकार, कवि, चिंतक, विवेचक, चरित्र लेखक तथा इतिहासकार।

    1920- सिद्धार्थ शंकर राय- पश्चिम बंगाल के भूतपूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता।

    1923- वी.एस.अच्युतानन्दन- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के राजनीतिज्ञ, जो केरल के ग्यारहवें मुख्यमंत्री रहे।

    1930- लीला सेठ- भारत में उच्च न्यायालय की प्रथम महिला न्यायाधीश थीं।

    1957- कुमार सानू- भारतीय सिनेमा के सर्वाधिक प्रसिद्ध और सफलतम पार्श्वगायकों में से एक।

    1978- वीरेन्द्र सहवाग- आक्रामक बल्लेबाजी के प्रसिद्ध भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी।

    1988- कृष्णप्पा गौतम- भारतीय प्रथम श्रेणी के क्रिकेट खिलाड़ी हैं।

    निधन

    1964- एच.सी. दासप्पा- भारत के क्रांतिकारियों में से एक।

    1982- निरंजन नाथ वांचू – वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी तथा केरल व मध्य प्रदेश के भूतपूर्व राज्यपाल।

    2019- दादू चौगुले दत्तात्रेय- भारत के प्रसिद्ध पहलवानों में से एक थे।

    महत्त्वपूर्ण अवसर एवं उत्सव

    विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस

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