नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि जीएसटी से जुड़े मतभेद वाले मुद्दों, विशेषतौर पर कर अधिकार क्षेत्र जैसे मुद्दों पर आम सहमति बनाने के हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं ताकि एक अप्रैल 2017 से इसे लागू किया जा सके। उन्होंने कहा, ‘‘हम वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) को एक अप्रैल 2017 से शुरू करने के सभी प्रयास कर रहे हैं। यदि देरी होती है तो भी इसे 16 सितंबर 2017 तक लागू कर दिया जाएगा और अगर यह तब तक लागू नहीं होता है तो राज्य कर में से अपना हिस्सा नहीं ले पायेंगे। इसलिये इस फैसले में और देरी करने की गुंजाइश नहीं है।’’
जेटली ने यहां दो दिवसीय आर्थिक संपादकों के सम्मेलन का उद्घाटन करने हुए कहा कि सरकार ने जीएसटी लागू करने के मामले में काफी लंबा रास्ता तय कर लिया है और इसलिये वह जीएसटी परिषद की बैठक में किसी भी मुद्दे को मतदान के जरिये तय नहीं करानी चाहती है। उन्होंने कहा, ‘‘हमने पहले ही 10 मुद्दों को सुलझा लिया है। दोहरे नियंत्रण का मुद्दा अभी बचा है और ऐसी कोई वजह नहीं है कि हम इस पर किसी तार्किक समाधान पर नहीं पहुंच सकें।’’
वित्त मंत्री की अध्यक्षता वाली जीएसटी परिषद की पिछली बैठक में जीएसटी की चार स्तरीय दर के बारे में निर्णय लिया गया है। परिषद में राज्यों के वित्त मंत्री और उनके प्रतिनिधि शामिल हैं। परिषद ने जीएसटी के तहत 5,12,18 और 28 प्रतिशत की दर तय की है। इसमें विलासिता वाली वस्तुओं पर सबसे ऊंची दर के साथ उपकर लगाने का भी प्रावधान किया गया है। दोहरे नियंत्रण का मुद्दा करदाताओं के किस वर्ग पर किसका अधिकार होगा, इससे जुड़ा है। इस मुद्दे पर अभी तक सहमति नहीं बनी हुई है। जेटली और राज्यों के वित्त मंत्री अब 20 नवंबर को अनौपचारिक बैठक करेंगे और इसमें राजनीतिक समाधान पर बातचीत करेंगे। इसके बाद 24-25 नवंबर को जीएसटी परिषद इस पर औपचारिक रूप से फैसला करेगी।