पुणे: जाने-माने पत्रकार दिलीप पड़गांवकर का आज यहां बीमारी की वजह से निधन हो गया। वह जम्मू कश्मीर पर वर्ष 2008 में बनाए गए तीन सदस्यीय वार्ताकार समूह के सदस्य थे। टाइम्स ऑफ इंडिया के पूर्व संपादक 72 वर्षीय पड़गांवकर पिछले कई सप्ताह से अस्वस्थ थे। उन्होंने आज यहां एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली जहां पिछले सप्ताह उन्हें गंभीर हालत में भर्ती कराया गया था।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रख्यात पत्रकार दिलीप पड़गांवकर के निधन पर आज शोक जताया और कहा कि वह एक प्रख्यात विचारक थे तथा पत्रकारिता में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। प्रधानमंत्री ने ट्विट किया, ‘मिस्टर दिलीप पड़गांवकर एक प्रमुख विचारक थे, पत्रकारिता में जिनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। उनके चले जाने से दुखी हूं।’
रूबी हॉल क्लीनिक के मेडिकल सेवा विभाग के निदेशक संजय पथारे ने बताया, ‘पड़गांवकर को 18 नवंबर को गंभीर हालत में प्रयाग अस्पताल से यहां रूबी हॉल क्लीनिक लाया गया था। जब उन्हें यहां लाया गया था तो वह गंभीर हालत में वेंटीलेटर पर थे और उनके अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। पहले ही दिन से वह डायलिसिस और वेंटीलेटर पर थे।’ पथारे ने बताया कि डॉक्टरों की एक टीम ने उन्हें बचाने के प्रयास किए लेकिन आज उन्होंने अंतिम सांस ली।
पुणे में 1944 में जन्मे पड़गांवकर ने सेंट विंसेंट हाईस्कूल से अपनी शिक्षा पूरी की और बाद में फर्ग्युसन कॉलेज से राजनीति शास्त्र में स्नातक की डिग्री हासिल की। पड़गांवकर ने बहुत कम उम्र में ही पत्रकारिता शुरू कर दी थी और 1968 में पीएचडी करने के बाद वह पेरिस संवाददाता के रूप में टाइम्स ऑफ इंडिया से जुड़ गए थे।
वह 1988 में टाइम्स ऑफ इंडिया के संपादक बने। इससे पहले उन्होंने इसी दैनिक में विभिन्न पदों पर काम किया। संपादक पद पर वह छह साल तक रहे। इस बीच 1978 से 1986 के बीच उन्होंने बैंकाक और पेरिस में यूनेस्को के साथ भी काम किया। वर्ष 2008 में घाटी में अशांति जारी रहने पर केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर को लेकर गठित तीन सदस्यीय वार्ता समूह में भी उन्हें शामिल किया गया था। वरिष्ठ पत्रकार ने एक बार कहा था कि प्रधानमंत्री के बाद वह देश में सर्वाधिक महत्वपूर्ण काम कर रहे हैं।