जालंधर: देश भर में एक हजार और पांच सौ रुपये के नोट अमान्य करार दिए जाने के बाद पंजाब बैंक कर्मचारी फेडरेशन ने दावा किया है कि जालंधर के बैंकों से अब तक जिले में केवल एक बार 300 करोड़ रुपये आए हैं और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कम से कम दो हजार करोड रुपये की जरूरत है।
पंजाब बैंक कर्मचारी फेडरेशन के जिला सचिव अमृतलाल शर्मा ने कहा कि जालंधर जिले में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की 650 शाखाएं हैं और सरकार ने जब से बड़े नोटों को अमान्य करार दिया है तब से जिले के बैंकों के लिए केवल एक बार पैसे आते हैं। उन्होंने दावा किया, जिले के बैंकों के लिए केवल 300 करोड रुपये भारतीय रिजर्व बैंक ने भेजे हैं। जालंधर के बैंकों में नकदी की भारी कमी है और इस दिशा में जल्दी कोई कदम नहीं उठाया गया तो स्थिति भयंकर हो सकती है।
अमृतलाल ने कहा कि जालंधर जैसे औद्योगिक शहर में 300 करोड में क्या होता है। ये तीन सौ करोड़ तो पहले तीन दिन में ही समाप्त हो गए हैं। जिले के सरकारी बैंकों को कम से कम दो हजार करोड़ रुपये चाहिए तब जा कर स्थिति फौरी तौर पर सुधरेगी नहीं तो नकदी की समस्या जस की तस बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक को तत्काल जिले के केवल सरकारी बैंकों की शाखाओं के लिए 2000, 500 और 100 रुपये के नोट भेजने चाहिए, क्योंकि बैंकों के पास मौजूद नकदी भी समाप्त हो गई है और बैंकों में कतारें अब भी लंबी होती जा रही है।
एक अन्य सवाल के उत्तर में अमृतलाल ने बताया, हमारे पास जो पहले से (100 रुपये या इससे छोटे) पुराने नोट थे अब हमने उनको बांटना शुरू कर दिया है। हालांकि, वो भी अब समाप्ति की ओर है और लोगों के समक्ष तो समस्या है ही, बैंक कर्मचारियों के समक्ष भी बड़ी समस्या है कि लोगों को भुगतान कहां से किए जाए।
उन्होंने कहा कि सरकार ने बिना किसी योजना और तैयारी के बड़े नोटों पर पाबंदी लगा दी है। सरकार और रिजर्व बैंक को तत्काल बैंकों में नकदी भेजने चाहिए ताकि बैंक अपने ग्राहकों को भुगतान दे सकें और लंबी कतारें भी समाप्त हो। एटीएम के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि यह तभी काम करना शुरू करेगी जब उसमें पैसे होंगे। एटीएम के लिए बैंकों के पास नकदी भी तो होना चाहिए। एक तरफ सरकार नकदी निकालने की सीमा बढ़ा रही है और दूसरी ओर रिजर्व बैंक लेन देन के लिए जिले के बैंकों को पैसे नहीं भेज रहा है।