नयी दिल्ली: केंद्र सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसने उच्च न्यायालयों में न्यायाधीश के तौर पर कॉलेजियम द्वारा अनुशंसित 77 में से 34 नाम मंजूर किए हैं। नियुक्ति की सिफारिश से संबंधित एक भी फाइल लंबित नहीं है।
सरकार ने प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर, न्यायमूर्ति शिवकीर्ति सिंह और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की पीठ को यह जानकारी दी। केंद्र की तरफ से अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने बताया कि कुल 77 नामों में से 34 नामों को नियुक्ति के लिए हरी झंडी दे दी गई है। शेष 43 सिफारिशों को पुनर्विचार के लिए शीर्ष अदालत की कॉलेजियम को वापस भेज दिया गया है। कहा, सरकार ने इस साल तीन अगस्त को पहले ही कॉलेजियम को विचार के लिए मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर का नया मसौदा (एमओपी) भेज दिया था, लेकिन अब तक सरकार को जवाब नहीं मिला है।
सरकार की दलील के बाद पीठ ने कहा कि वह कॉलेजियम की 15 नवंबर को बैठक बुलाएगी। इसमें प्रधान न्यायाधीश के अलावा शीर्ष अदालत के चार वरिष्ठ न्यायाधीश होते हैं। इस बीच पीठ ने 1971 के युद्ध में हिस्सा ले चुके लेफ्टिनेंट कर्नल अनिल कबोतरा द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की अगली तारीख 19 नवंबर निर्धारित की है।
इससे पहले शीर्ष अदालत ने कॉलेजियम की सिफारिशों के बावजूद जजों की नियुक्तियों में देरी पर केंद्र सरकार को फटकार लगाई थी। इस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा था कि एमओपी को अंतिम रूप नहीं दिया जाना नियुक्तियों में देरी का प्रमुख कारण है। उन्होंने पीठ को आश्वासन दिया था कि न्यायाधीशों की नियुक्ति पर निकट भविष्य में तेजी दिखेगी।