अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप पांच नवंबर से एशिया का 11 दिन लंबा मैराथन दौरे शुरू करने जा रहे हैं, हालांकि इतने लंबे एशियाई दौरे में वे भारत नहीं आएंगे.
इस दौरान वो जापान, दक्षिण कोरिया, चीन, वियतनाम और फिलीपींस का दौरा करेंगे.
पिछले 25 सालों में किसी अमरीकी राष्ट्रपति का ये सबसे लंबा एशियाई दौरा होगा. ये दौरा ऐसे समय हो रहा है जब परमाणु कार्यक्रम और मिसाइल परीक्षणों को लेकर उत्तर कोरिया के साथ तनाव अपने चरम पर है.
माना जा रहा है कि इस दौरे में ट्रंप दक्षिण कोरिया और जापान के साथ मिलकर प्योंगयांग के ख़िलाफ़ एक मज़बूत एकजुट फ्रंट का प्रदर्शन करेंगे, जबकि इस मुद्दे पर चीन पर दबाव बढ़ाएंगे.
ट्रंप पहले अमरीकी प्रांत हवाई जाएंगे, जहां वो पर्ल हार्बर में यूएसएस एरिज़ोना मेमोरियल का दौरा करेंगे. ये 1941 में उस जापानी हमले से संबंधित है, जिसकी वजह से अमरीका को द्वितीय विश्वयुद्ध में कूदना पड़ा.
वो अमरीकी प्रशांत कमांड को संबोधित भी करेंगे. यहां से वो और उनकी पत्नी मेलानिया जापान और फिर दक्षिण कोरिया जाएंगे.
पर्ल हार्बर: जिसने बदल दी दो मुल्कों की किस्मत
इससे पहले ट्रंप उत्तर कोरिया के साथ तल्ख टिप्पणियों का आदान प्रदान कर चुके हैं, लेकिन उनके सहयोगियों ने इस सप्ताह की शुरुआत में कहा था कि अमरीकी राष्ट्रपति दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया की तनावग्रस्त सीमा का दौरा करने नहीं जाएंगे.
हालांकि वो दक्षिण कोरिया की राजधानी सिओल के दक्षिण में अमरीकी सैन्य शिविर कैंप हम्फ़्रे का दौरा करेंगे.
ट्रंप वियतनाम भी जाएंगे, जहां वो एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग सम्मेलन में भी हिस्सा लेंगे और हनोई जाएंगे.
अपने दौरे के अंतिम में वो फिलीपींस की राजधानी मनीला में दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के सम्मेलन में हिस्सेदारी करेंगे.
पिछली बार जिस अमरीकी राष्ट्रपति ने एशिया का इतना बड़ा दौरा किया था, वो थे जॉर्ज एचडब्ल्यू बुश. जिन्होंने 1991 के अंत और 1992 के शुरुआत में इस महाद्वीप का दौरा किया था.
जापान के दौरे में बुश बेहोश हो गए थे और एक भोज के दौरान उन्हें उल्टी होने लगी थी.
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