झारखंड में रांची के कांटाटोली में फ्लाईओवर का निर्माण सरकार के लिए गले की फांस बन गई है. एक ऐसी फांस जिसने प्रशासन को भी अपनी चपेट में ले लिया है. कांटाटोली में फ्लाई ओवर के निर्माण की घोषणा के साथ ही विरोध के बैनर भी बन गए. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने फ्लाईओवर के निर्माण का शिलान्यास कर दिया. लेकिन फ्लाई ओवर कैसे बनेंगे. इसकी कवायद में अभी कई रो़ड़े हैं.

एक तरफ शिलान्यास और दूसरी तरफ विरोध की आवाज. एक तरफ पुल के निर्माण की खुशी तो दूसरी तरफ आशियाना छीन जाने का भय. ये वो तस्वीर है जिसने कांटा टोली और हरमू में फ्लाई ओवर के निर्माण पर ग्रहण लगा रखा है. कांटाटोली में फ्लाई ओवर निर्माण के लिए छह सौ से ज्यादा छोटी बड़ी दुकानों को तोड़ा जाना है. लेकिन प्रशासन की कवायद अभी बेहद ही नाजुक दौर में है. न तो मुआवाजा राशि तय की गी है और न ही यहां के निवासियों को विश्वास में लिया गया है.

दरअसल, हरमू और कांटाटोली फ्लाई ओवर निर्णाण के लिए प्रशासनिक कसरत अबतक अधूरी है. मिली जानकारी के अनुसार कांटा टोली फ्लाई ओवर की लंबाई आठ सौ मीटर और चौड़ाई तीस फीट के आसपास होगी. इसकी शुरूआत बहू बाजार के पास स्थित वाईएमसी बिल्डिंग से होगी जो कोकर चौक से थोड़ा पहले खत्म होगी. बननेवाले हरमू पुल का भी कुछ ऐसी ही तस्वीर है. राजनीतिक भाषणों में अक्सर जमीन मालिक को बाजार रेट से छह गुणा मुआवजा देने की बात होती रही है. लेकिन फाईलों में इसकी राशि बाजार रेट से दोगुनी तय की गई है.

इधर सूबे के नगर विकास मंत्री सीपी सिंह लोगों को विकास विरोधी बताने पर अड़े हुए हैं. उनका कहना है कि लोग जाम से मुक्ति चाहते हैं, लेकिन जमीन नहीं देना चाहते. उनकी बात मानें तो पूरे मामले में कुछ लोग राजनीति कर रहे हैं.

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