मध्यप्रदेश की चित्रकूट विधानसभा सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार की शानदार जीत से नि:संदेह सत्तारूढ़ भाजपा सरकार को झटका लगा है। इसके पहले पंजाब के गुरदासपुर संसदीय सीट पर कांग्रेस की जीत से भाजपा को झटका लगा था। क्योंकि इस संसदीय सीट को भाजपा का गढ़ माना जाता रहा है। हालांकि चित्रकूट की विधानसभा सीट पहले से ही कांग्रेस के पास थी, इसलिए इसे भाजपा की कोई बड़ी हार नहीं मानना चाहिए। फिर भी दोनों दलों ने इस सीट को अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना रखा था उसके चलते इस पर हार से भाजपा को निराश हाथ लगी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने चित्रकूट में तीन दिन रूक कर अपनी रणनीति बनाकर प्रचार किया। वहीं उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी जमकर प्रचार में भाग लिया। क्योंकि यह सीट उत्तर प्रदेश की सीमा से भी सटी है। लेकिन भाजपा की फिर भी यहां दाल नहीं गली। बिना शक यह एक सीट का नतीजा है जिसके आधार पर देश के विभिन्न राज्यों के मतदाताओं के रूख का अंदाज लगाना पूरी तरह वैज्ञानिक नहीं होगा मगर इतना जरूर कहा जा सकता है कि हवा किस तरफ मूड़ने का भी संकेत दे रही है। फिर भी चित्रकूट उप चुनाव के नतीजों के बाद स्थानीय लोगों की प्रतिक्रियाओं के मद्देनजर भाजपा नेतृत्व को जरूर ही आत्म चिंतन करना चाहिए। चुनाव नतीजों के बाद स्थानीय लोगों की यह खुली प्रतिक्रिया गौरतलब है कि वे भाजपा की वर्तमान मध्यप्रदेश सरकार से संतुष्ट नहीं है। लोग अब बदलाव की इच्छा रखते हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा महज वादे करती है और पूरे करने से कतराती है। लोगों की ऐसी प्रतिक्रिया समझी जा सकती है, क्योंकि पिछले कुछ महीनों में मध्य प्रदेश कई जगह सत्ता के खिलाफ लोगों में आक्रोश फूटता रहा है। किसानों का लंबा आंदोलन चला। किसानों ने कर्ज माफी के साथ कई मांगों को लेकर आंदोलन किया। सरकार ने आंदोलनकारियों पर गोलियां बरसाई थीं, जिसमें कई किसान मारे गए थे।
फसल बीमा फसलों की उचित कीमत न मिल पाने और औद्योगिक इकाइयों के लिए मनमाने तरीके से कृषि योग्य भूमि के आवंटन से भी किसानों में भारी नाराजगी है। चित्रकूट में प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री चौहान ने अपने-अपने को गरीबों का बड़ा हितकारी साबित करने की कोशिशें की लेकिन हकीकत में राज्य में गरीबों के चलाई जा रही योजनाओं का लाभ गरीबों को मिल ही नहीं रहा है। फिर केन्द्र सरकार की कई नीतियों को लेकर लोग नाराज हैं और यह नाराजगी चित्रकूट में असंतोष का कारण बनी। बेशक केन्द्र की सरकार नोटबंदी और जीएसटी को लागू करके बड़ी आत्म मुग्ध है और दावा कर रही है कि देश के विकास और भ्रष्टाचार से मुक्ति के लिए ये आवश्यक कदम हैं, मगर हकीकत यह है कि इन दोनों फैसलों के चलते लाखों लोगों को बेरोजगार होना पड़ा है। लोगों के काम धंधे प्रभावित हुए हैं।
साढ़े तीन साल का समय बीत जाने के बाद भी सरकार अपने चुनावी वादों को पूरा नहीं कर पाई है। फिर चित्रकूट का उपचुनाव हिमाचल विधानसभा के चुनावों के दिन यानी 9 नवंबर को हुआ। हिमाचल में 74 फीसदी मतदाताओं ने मतदान किया। लेकिन चित्रकूट उपचुनाव में भी 65 फीसदी मतदाताओं ने मतदान किया। इतना अधिक मतदान किसी उपचुनाव में शायद ही होता है। अब चित्रकूट का नतीजा तो सामने आ गया है और हिमाचल के नतीजों का इंतजार है। चित्रकूट में लोगों ने उप चुनाव के महत्व को समझा और अपना मंतव्य व्यक्त कर दिया है। जो राजनीतिक दल लोगों को मूर्ख समझते हैं, उनके लिए लोगों का यह संदेश मायने रखता है। फिलहाल तो इस संदेश और संकेत पर भाजपा को ही आत्म मंथन कर लेना चाहिए।