Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Sunday, October 5
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»विशेष»देश की आधी झुग्गी-बस्तियां 5 राज्यों में
    विशेष

    देश की आधी झुग्गी-बस्तियां 5 राज्यों में

    आजाद सिपाहीBy आजाद सिपाहीNovember 7, 2017No Comments3 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    वर्ष 2008-09 में प्रति 100 पर झुग्गी-बस्ती घरों की संख्या के अनुसार शीर्ष पांच राज्यों ( छत्तीसगढ़ (18), ओडिशा (17), झारखंड (14), तमिलनाडु (11) और बिहार (10) ) में देश के 51 फीसदी झुग्गी परिवार रहते थे, जैसा कि एक नए पत्र में बताया गया है।

    राजस्थान के ग्रामीण विकास विभाग में परियोजना निदेशक, एच एस चोपड़ा द्वारा सितंबर 2017 के एक पत्र के अनुसार प्रति 100 पर झुग्गी परिवारों की संख्या में सबसे ऊपर पांच वे राज्य / संघ शासित प्रदेश हैं, जिनकी झुग्गी बस्तियों में रहने वालों की आबादी 10 फीसदी से ज्यादा है।

    वर्ष 2008-09 में, भारत में तमिलनाडु ऐसा राज्य था, जहां, झुग्गी की संख्या सबसे ज्यादा थी। इस संबंध में आंकड़े 931,196 या 30 फीसदी दर्ज किए गए हैं। यह एकमात्र राज्य / संघ राज्य क्षेत्र था, जिसकी हिस्सेदारी दोहरे अंक में थी।

    भारत के आधिकारिक सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षक ‘नेशनल सर्वे सेंपल’ के वर्ष 2008-09 के सर्वेक्षण में ऐसे परिवार जहां एक ठोस छत, पीने के पानी, एक शौचालय और बंद जल निकासी की कमी थी, उन्हें मलिन बस्तियों या झुग्गी के रूप में गिना गया है। झुग्गी जनगणना समिति की अगस्त 2010 की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह मानदंड निर्धारित किया गया था।

    पत्र के अनुसार, एक झुग्गी को, “ऊपर की मापदंड में दी गई झुग्गी-शक्ल जैसी कम से कम 20 घरों की आबादी के रुप में परिभाषित किया गया है।”

    वर्ष 2008-09 में, कुल मिलाकर, 3.15 मिलियन ( 4.4 मिलियन के जनगणना 2011 के आंकड़े से लगभग 28 फीसदी कम ) या भारतीय परिवारों के 5 फीसदी झुग्गी परिवारों में थे।

    झुग्गी में रहने वाले 10 फीसदी से ज्यादा आबादी के साथ एकमात्र समुदाय अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजाति से थे, जो सरकारी सहायता के लिए भारत के संविधान में पहचाने गए वंचित समुदाय हैं।

    शहरी भारत में, शहरी स्थानीय निकायों की 40 फीसदी स्वामित्व के साथ 60 फीसदी झुग्गियां सरकारी भूमि पर हैं, जैसा कि ‘नेशनल अर्बन रेंटल हाउसिंग पॉलिसी’- 2015 के मसौदे से पता चलता है।

    झुग्गी बस्तियों पर आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय के 2015 सांख्यिकीय सम्पादन के अनुसार 1 किलोमीटर के भीतर एक स्वास्थ्य केंद्र और एक प्राथमिक विद्यालय के साथ मलिन बस्तियों के हिस्सेदारी में 16 और 3 प्रतिशत अंक की गिरावट हुई है।

    वर्ष 1993 में यह आंकड़े 63 फीसदी और 90 फीसदी थे, जो वर्ष 2009 में गिर कर 47 फीसदी और 87 फीसदी हुए हैं।

    मुंबई के ‘इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पॉपुलेशन साइंसेज’ की ओर से हुए एक सर्वेक्षण के मुताबिक, मुंबई में आबादी के अनुसार दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी झुग्गी धारावी में 90 फीसदी मौत श्वसन रोग से होती है, जैसा कि ‘इंडियन एक्सप्रेस’ ने 7 अगस्त 2015 की रिपोर्ट में बताया है। धारावी के अलावा, मुंबई के उपनगरों की झुग्गी बस्तियां भी धारावी की तरह ही बड़ी हो रही हैं। इस संबंध में ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ ने 6 जुलाई, 2011 की रिपोर्ट में विस्तार से बताया है। भारत की सबसे बड़ी झुग्गी बस्तियां होने के बावजूद महाराष्ट्र के 9.8 मिलियन घरों में सिर्फ 3.7 फीसदी जुग्गियों में रहते थे, और 2008-09 में राज्य में 100 घरों में से केवल एक झुग्गी-बस्ती में रहते थे।

    दिल्ली यूनिवर्सिटी के ‘इंस्टीट्यूट ऑफ इकॉनॉमिक ग्रोथ’ की सौदामिनी दास कहती हैं, “झुग्गियों में रहने वाले अक्सर सरकार द्वारा दिए गए घरों को बेच देते हैं, क्योंकि ये उनके कार्यस्थलों से काफी दूर होते हैं,” सिटी लैब्स ने 9 जून, 2017 को बताया है।

     

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleन्यूयार्क में हमला
    Next Article दलितों, आदिवासियों व अन्य पिछड़े वर्गों को प्राइवेट सेक्टर में भी आरक्षण दें मोदी सरकार : मायावती
    आजाद सिपाही
    • Website
    • Facebook

    Related Posts

    बिहार में इस बार भी दलों की टेंशन बढ़ायेंगे बागी

    October 4, 2025

    बिहार में एनडीए ने दिया ‘ट्रिपल एम’ का फार्मूला

    September 28, 2025

    बिहार विधानसभा चुनाव जीतने के लिए भाजपा ने पिछड़े वर्ग के दो राष्ट्रीय क्षत्रपों को तैनात कर दिया

    September 27, 2025
    Add A Comment

    Comments are closed.

    Recent Posts
    • बिहार में अब नहीं होगा पलायन, एनडीए सरकार युवाओं को राज्य में दे रही रोजगार के अवसर : प्रधानमंत्री
    • चुनाव आयुक्त के साथ बैठक में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने दो चरणों में मतदान कराने का दिया सुझाव
    • देश की छवि को धूमिल करने वाला है राहुल का बयानः भाजपा
    • कांग्रेस ने 26/11 के हमले पर अमेरिकी निर्देशों पर किया कामः गौरव भाटिया
    • गुजरात भाजपा के नए अध्यक्ष बने जगदीश विश्वकर्मा
    Read ePaper

    City Edition

    Follow up on twitter
    Tweets by azad_sipahi
    Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
    © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

    Go to mobile version