कैसी प्यारी बानी है, कितने प्यारे बोल हैं कि चैनल में आकर कानों में जलतंरग बन जाते हैं!
खबरों में बरसती घृणा भी आनंदकारी महसूस होती है और नंगी तलवार भी फूल की तरह कोमल नजर आती है!
एक कहता है : ‘अगर किसी ने उंगली उठाई तो काट देंगे। अगर किसी ने हाथ उठाया तो काट देंगे।’
शीश, नाक और केश पहले ही काटने का आर्डर हो चुका है। अब ‘उंगली काटन लीला’ और ‘हाथ काटन लीला’ चल रही है।
‘काटन लीला’ वाले जानते हैं कि काटने की कहेंगे तो चैनल चिल्लाएंगे : ‘नया शॉकर’ यानी ‘नया वीभत्स’! ‘नया भयानक’!!
एक दिन देश के दर्शक इस तरह के ‘रौद्र वीभत्स भयानक’ के प्रसारण के आदी हो जाने हैं।
‘रौद्र वीभत्स भयानक’ का बिजनेस करने वाले जानते हैं कि चैनलों के इस ‘शौक’ को अपने ‘शॉकरों’ से ‘शॉक’ दो। चैनल आएंगे, पूरे दिन आपका ‘शॉकर’ शौक से बजाएंगे। आप राष्टÑीय हीरो हो जाएंगे, देशभक्त कहलाएंगे।
चैनल आपके साथ हैं। आप जरा कह तो दीजिए, ये काटो वो काटो। आपके काटने की कला के प्रति चैनल श्रद्धवनत हो जाएंगे और जम के बजाएंगे।
‘हेट स्पीचों’ में भी कंपटीशन है: वो यहां तक बोला तो उसे पूरा दिन मिला, उससे आगे निकलना है, तो ऐसा बोलो कि दो-चार दिन बजे। कोई कटे न कटे, लेकिन अपनी बात न कटे और जो उसे काटे वही कट जाए!
घृणा टिकी रहे। डर ठहरा रहे और कुत्सा सुंदर लगने लगे। वीभत्स में खुशबू आने लगे! दिन-रात वीभत्स दिन-रात बनेगा तो वह भी ‘नया नारमल’ बन जाएगा!
दर्शकों का सौंदर्यशास्त्र बदल रहा है। जुगुप्सा का कंपटीशन हो रहा है। ‘रौद्र वीभत्स भयानक’ मुख्य रस बने जा रहे हैं।
यही ‘नया नारमल’ है! यही नया सौंदर्यशास्त्र है!

कल को कोई खबर बनाएगा तो वह स्टूडियो में दुनाली लेकर आएगा और एंकर उसको ससम्मान पास में बिठाएंगे कि वही न्यूज मेकर है!
पदमावती को लेकर भाजपा की हों या कांग्रेस की सरकारें, सभी प्रतिबंधवादी हैं। इन दिनों हम ‘प्रतिबंधिस्तान’ में रहते हैं!
हर रोज तलवारें देख-देख दर्शक चकित होते हैं कि काश इतने रणबांकुरे खिलजी के वक्त में होते तो पदमावती को जौहर न करना पड़ता! इतिहास बदला हुआ होता।
नहीं बदला तो अब बदल देते हैं। चैनल अपने साथ हैं, तो कुछ भी बदला जा सकता है। यही इसका ‘सब टेक्स्ट’ है।
चैनल न्यूज बे्रक करते हैं: ब्रिटेन सेंसर बोर्ड ने बिना किसी ‘कट’ के पदमावती को ओके किया। देखी! फिरंगी उपनिवेशवादियों की चाल। वे ‘रिकोलोनाइज’ करना चाहते हैं, लेकिन हम ‘डिकोलोेनाइज’ करके रहेंगे। वहां भी हैं राजपूत करेंगे विरोध!
भंसाली की भेदनीति देखो : पहले उसने कुछ एंकरों को दिखाया। हमें न दिखाया। फिर उनसे प्रोमो करवाया। ये सरासर अपमान है यही तो ‘फूट डालो और राज करो’ है!
एंकर एंकरी छोड़ प्रोमो करने लगे! ये कैसे एंकर हैं सरजी जो पहले ‘विशेष नागरिक’ की तरह पदमावती को देख कर हमें चिढ़ाते हैं कि हमने देखा पहला शो! और हम मान लें उनकी बात! क्यों?
बयानों के इस जौहर में भी एक और ‘शॉकर’ खबर, जिसने बनाई वह भी भाजपा के सरमा जी ही रहे। उन्होंने गीता कुरान का हवाला भी दिया और आप्त वचन बोल उठे : ‘कैंसर दैवी न्याय है’!

चैनल चिल्लाने लगे : ये देखिए ये रहा नया ‘शॉकर’।
अपने चैनल ‘शॉक प्रूफ’ हैं। आए दिन ‘नया शॉकर’, ‘नया शॉकर’ चिल्लाते रहते हैं और हम जैसे दर्शकों को ‘शॉक’ देते रहते हैं, लेकिन ये कभी नहीं बताते कि कितने बोल्ट का ‘शॉकर’ है। चार सौ चालीस बोल्ट का है कि ग्यारह सौ वाला है।
सप्ताह का तीसरा शॉकर था, जिसे यूथ कांग्रेस ने अपने आप को मारा। पीएम को एक ‘मीमी’ में ‘चाय वाला’ कह डाला तो जवाब आया : ‘बार वाला’ से अच्छा है ‘चाय वाला’!
एक प्रवक्ता जी चैनलों पर दूर की कौड़ी लेकर आए कि राहुल ‘खिलजी’ हैं या ‘औरंगजेब’ हैं! दस साल के शासन में कांग्रेस ने खिलजी की तरह काम किया.. हिंदुओं के प्रति अन्याय किया!
शुक्रवार तक आते आते ‘रौद्र वीभत्स भयानक’ मिक्स होते दिखे : ‘इंडिया टुडे’ ने एक भयानक खबर दी : जयपुर के पास, नाहरगढ़ के किले में एक व्यक्ति शव लटका मिला है। मिले परचे पर लिखा है : ‘हम पुतले नहीं जलाते, लटकाते हैं!’
दोपहर तक पुलिस ने प्राथमिक जांच के बाद बताया कि यह ज्वेलर चेतन का शव था, जिसे संभवत: मार कर लटकाया गया होगा। उसके पिता ने बताया कि वो फिल्मों का शौकीन नहीं था, न पदमावती- विरोध से उसका कोई संबंध था!

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