राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार को दिवालिया कानून (इन्सॉल्वेंसी और बैंकरप्सी कोड, 2016) में बदलाव के लिए अध्यादेश को मंजूरी दे दी। जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वाले अब दिवालिया कानून का फायदा नहीं उठा पाएंगे। बुधवार को ही केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में कानून में कुछ बदलाव करने के लिये अध्यादेश लाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी।

यह कानून पिछले साल दिसंबर में लागू हुआ था। इस कानून में कर्ज में फंसी कंपनियों की संपत्तियों का बाजार निर्धारित दर पर समयबद्ध निपटारा किये जाने का प्रावधान किया गया है। कानून को कार्पोरेट कार्य मंत्रालय द्वारा अमल में लाया जा रहा है।

अध्यादेश लागू होने के बाद जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वाले दिवालिया कंपनी खरीदने के लिए बोली नहीं लगा सकेंगे। ये रोक एक साल तक के लिए लागू होगी।

कानून के कुछ प्रावधानों को व्यक्त की गई थी चिंता
सरकार की ओर से यह पहल ऐसे समय की जा रही है जब कानून के कुछ प्रावधानों को लेकर कुछ क्षेत्रों में चिंता व्यक्त की गई। इसमें एक मुद्दा इसको लेकर भी उठा है कि कानून की खामियों का फायदा उठाते हुये दिवाला प्रक्रिया में आई कंपनी पर उसके प्रवर्तक फिर से नियंत्रण हासिल करने की जुगत लगा सकते हैं।

कार्पोरेट कार्य मंत्रालय ने कानून की कमियों की पहचान करने और उनका समाधान बताने के बारे में 14 सदस्यीय एक समिति गठित की है। कापोर्रेट कार्य सचिव इंजेती श्रीनिवास की अध्यक्षता में गठित दिवाला कानून समिति कानून के क्रियान्वयन में आने वाली समस्याओं पर गौर करेगी।दिवाला संहिता के तहत अब तक 300 मामले नेशनल कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में समाधान के लिये दर्ज किये जा चुके हैं। दिवाला कानून में एनसीएलटी से मंजूरी मिलने के बाद ही किसी मामले को समाधान के लिये आगे बढ़ाया जाता है।

Share.

Comments are closed.

Exit mobile version