रांची विश्वविद्यालय अक्सर उच्च शिक्षा में क्वालिटी एजुकेशन देने की बातें करते नहीं थकता. लेकिन इस यूनिवर्सिटी के कई कॉलेज इन दिनों महज डिग्री बांटने की फैक्ट्री बनकर रह गयी है.

डोरंडा कॉलेज कैम्पस में रांची यूनिवर्सिटी के क्वालिटी एजुकेशन के दावे का रोज दम निकलता है. इस कॉलेज में छात्रों की संख्या बहुत ज्यादा है, लेकिन शिक्षक अंगुली पर गिने जा सकते हैं. लिहाजा स्टूडेंट रोज क्लास की ललक में आते हैं, पर गुनगुनी धूप खाकर घर वापस लौटते हैं.

कुछ ऐसा ही हाल रांची के जगन्नाथ कॉलेज और सूरज सिंह मेमोरियल कॉलेज का भी है. यहां भी छात्र-छात्राओं की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है, लेकिन ना तो कायदे से क्लास होता है और ना ही सिलेबस ही पूरा हो पाते हैं. यानी दर्द चौतरफा, इलाज कुछ भी नहीं.

मामला ये नहीं है कि कॉलेजों में छात्रों की संख्या बढ़ रही है. छात्रों की संख्या बढ़नी चाहिए. लेकिन सवाल ये है कि क्या सिर्फ डिग्री दे देने भर से छात्रों को गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा प्राप्त हो जाएगी. सवाल लाख टके का है. जवाब में रांची यूनिवर्सिटी के खोखले दावे हैं.

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