तेहरान: ईरान का तेल आयात करने को लेकर लगे तमाम प्रतिबंधों के बाद भी कई देश क्रूड के इंपोर्ट के लिए कतार में हैं। इस्लामिक रिपब्लिक के कई ऐसे कस्टमर हैं, जो बड़ी खरीददारी की तैयारी में हैं। इस साल अप्रैल में वॉशिंगटन की ओर से कुछ प्रतिबंध लगाए जाने के बाद से ईरान के कच्चे तेल के निर्यात में 40 फीसदी तक की कमी आई है। अमेरिका की ओर से दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल उत्पादक देश से तेल खरीद पर लगे प्रतिबंधों में राहत दिए जाने के बाद अब एक बार फिर से कारोबार में तेजी आई है।
ईरान से तेल की खरीददारी करने वाले सभी प्रमुख खरीददारों ने अमेरिका से कुछ छूट दिए जाने की मांग की थी। इन देशों का कहना था कि ईरान से क्रूड की खरीद को जीरो लेवल पर ले जाने से उनकी एनर्जी इंडस्ट्री प्रभावित होगी और ईंधन की कीमतों में भी बड़ा इजाफा होगा। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी विदेश मंत्री माइकल पोम्पियो ने छूट का बचाव करते हुए कहा कि ट्रंप प्रशासन के ईरान पर दबाव डालने के लिए चलाए गए कैंपेन का नतीजा यह है कि ईरान का तेल निर्यात प्रतिदिन 1 मिलियन बैरल तक कम हुआ है। यह अभी और घटेगा।
ईरान से कच्चे तेल के आयात को लेकर 180 दिन यानी करीब छह महीने तक की छूट दी गई है। इस पर अमेरिकी सरकार अवधि समाप्त होने पर एक बार फिर से विचार करेगी। खासतौर पर भारत की बात करें तो केंद्र सरकार के लिए यह बड़ी राहत का सबब है।