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    Home»Breaking News»देशतोड़क पत्थलगड़ी की इजाजत नहीं देता संविधानः सुभाष कश्यप
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    देशतोड़क पत्थलगड़ी की इजाजत नहीं देता संविधानः सुभाष कश्यप

    azad sipahiBy azad sipahiNovember 11, 2018Updated:November 11, 2018No Comments3 Mins Read
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    रांची। संविधान विशेषज्ञ पद्म भूषण डॉ सुभाष कश्यप ने कहा कि देशतोड़क पत्थलगड़ी की इजाजत संविधान नहीं देता है। यह विधिसम्मत नहीं है। आर्यभट्ट सभागार में शनिवार को वह पांचवीं अनुसूची विषयक सेमिनार में बोल रहे थे। कहा कि पत्थलगड़ी आंदोलन को मैनेज किया गया, लेकिन यह समस्याओं का समाधान नहीं है। पत्थलगड़ी आंदोलन के बारे में कहा कि अगर ग्रामसभा कहती है कि वह राज्य और केंद्र सरकार की परवाह नहीं करती है, तो यह गलत है। आदिवासियों की परंपरा पत्थलगड़ी है, लेकिन अगर इसमें आजादी की बात होती है, तो राष्ट्रविरोधी होगा। भारत के लोग एक है, इसकी एकता और अखंडता सर्वोपरि है।

    डॉ कश्यप ने कहा कि हमारे देश में जो कानून कागज पर बने हैं, वह दूसरे देशों से अच्छे हैं। बस उन्हें जमीनी स्तर पर लागू करने की आवश्यकता है। कहा कि पेसा कानून पर पर राज्य सरकारों का रवैया निराशाजनक है। केंद्र ने इस पेसा कानून का मॉडल नियम बनाया है, लेकिन राज्य सरकारों ने उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया।

    ग्रामसभा निरकुंश हो, यह सही नहीं : डॉ कश्यप ने कहा कि ग्रामसभा निरकुंश हो जाये, तो यह सही नहीं है। यह संविधान के धाराओं के अनुकूल नहीं है। ग्रामसभा का सपना महात्मा गांधी ने देखा था। उनकी परिकल्पना थी कि वह संविधान में ग्रामसभा में केंद्र में रखें। कहा कि आदिवासियों को अधिकार मिले हैं, जिनकी चर्चा आज हम यहां कर रहे हैं। उससे लगता है कि आदिवासियों के बहुत सारे अधिकार प्राप्त हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। यह अधिकार सिर्फ कागजों पर मिले हैं।

    आदिवासियों के हालात में आज भी सुधार नहीं आया है। आदिवासियों की जमीन पर अधिग्रहण, खनन समेत कई ऐसे कदम सरकार के द्वारा उठाये जा रहे हैं, जो उनके हित में नहीं है। पंचायती राज मंत्रालय ने पेसा कानून को लागू करने में कई समस्याएं बतायी है। केंद्र सरकार ने मॉडल नियम बनाकर भेजा है, लेकिन उस पर राज्यों की तरफ से कोई जवाब नहीं आया। कहा कि अगर एक आदिवासी नेता की पत्नी जंगल की जमीन 700 एकड़ अपने नाम करा ले, तो यह भी आदिवासी हित में नहीं है। ट्राइबल और नन ट्राइवल में कोई फर्क नहीं है। किसी को भी अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है।

    इनकी रही मौजूदगी
    कार्यक्रम में कल्याण विभाग की सचिव हिमानी पांडेय, आरयू के कुलपति रमेश पांडेय, श्यामा प्रसाद मुखर्जी के कुलपति एसएन मुंडा समेत अन्य मौजूद थे।

    आदिवासियों को अधिकार की जानकारी नहीं: राज्यपाल
    राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि झारखंड में 26.2 प्रतिशत आदिवासियों की जनसंख्या है, लेकिन ट्राइवल अफेयर्स मिनिस्ट्री नहीं है। इस पर सरकार से बात हो गयी है, 15 नवंबर को इसकी घोषणा की जायेगी। उन्होंने कहा कि झारखंड के कुछ हिस्से पांचवीं अनुसूची में आते हैं, लेकिन इसके क्या अधिकार प्राप्त है, यह सभी को जानकारी नहीं है। इसकी जानकारी सभी को होनी चाहिए।

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