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    छत्तीसगढ़ चुनावः भाजपा और कांग्रेस की कमान संभाल रखी है झारखंडियों ने

    azad sipahiBy azad sipahiNovember 5, 2018No Comments6 Mins Read
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    रांची। देश में आम चुनाव से पहले का सेमीफाइनल चल रहा है। पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव का परिणाम अगले वर्ष होनेवाले लोकसभा चुनाव की दशा और दिशा तय करेगा। सभी राजनीतिक दलों ने इस चुनाव में अपनी ताकत झोंक दी है। खासकर देश की दो सबसे बड़ी राष्ट्रीय पार्टी भाजपा और कांग्रेस के लिए पांच राज्यों का चुनाव प्रतिष्ठा का विषय बन गया है। दोनों दलों के रणनीतिकार कैंप किये हुए हैं। छत्तीसगढ़ में पिछले 15 वर्षों से लगातार भाजपा का शासन है। भाजपा जहां इस राज्य को किसी भी हाल में अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहती है, वहीं कांग्रेस अपने पुराने दिन की वापसी के लिए जद्दोजहद कर रही है। इन सबके बीच सबसे बड़ी बात यह है कि चुनाव तो छत्तीसगढ़ में हो रहा है, लेकिन भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टी की चुनावी कमान झारखंडियों ने संभाल रखी है।

    शुरुआत भाजपा से करते हैं। भाजपा का छत्तीसगढ़ चुनाव में प्रबंधन झारखंड के नेताओं के हाथ में है। सौदान सिंह, राजेंद्र सिंह, धर्मपाल सिंह के हाथों चुनाव प्रबंधन का काम है, तो जनता को भाजपा के पक्ष में गोलबंद कर रहे हैं झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास और पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा। ये दोनों वहां भाजपा के स्टार प्रचारक हैं। अर्जुन मुंडा तीन बार दौरा कर चुके हैं, वहीं मुख्यमंत्री दोबारा जानेवाले हैं।

    सौदान सिंह: डॉ रमण सिंह भले ही वहां मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं, लेकिन चुनावी रणनीति पूरी तरह से सौदान सिंह ने संभाल रखी है। छत्तीसगढ़ में तीन बड़ा जोन है। सभी जोन का प्रबंधन और चुनावी रणनीति सौदान सिंह बना रहे हैं। मुख्य रूप से इनके जिम्मे राजधानी रायपुर और आसपास का एरिया है। इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा विधानसभा की सीटें है। पिछले दो महीने से सौदान सिंह यहां कैंप किये हुए हैं। प्रदेश भाजपा कार्यालय से वह चुनावी रणनीति और प्रबंधन का काम देख रहे हैं। भाजपा में सौदान सिंह को बड़ा चुनावी रणनीतिकार माना जाता है। झारखंड में भी विधानसभा चुनाव के समय सौदान सिंह ही रणनीतिकार थे और भाजपा को सबसे बड़ी सफलता दिलायी थी। छत्तीसगढ़ के हर बूथ की जानकारी इन्हें है। भाजपा प्रदेश मुख्यालय से वह राज्य के हर बूथ का रोज जायजा ले रहे हैं।

    राजेंद्र सिंह: छत्तीसगढ़ के एक बड़े संभाग बस्तर की जिम्मेवारी राजेंद्र सिंह को सौंपी गयी है। वह पिछले दो महीने से इसी इलाके में कैंप किये हुए हैं। इस इलाके में बारह विधानसभा सीटें हैं। इनके साथ झारखंड, यूपी और बिहार के तपे-तपाये कार्यकर्ता हैं। वह जगदलपुर में कैंप किये हुए हैं और प्रथम चरण के चुनाव की रणनीति बना रहे हैं। लगातार क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं, कार्यकर्ताओं के साथ संवाद कर रहे हैं। कांकेर से लेकर चित्रकोट और सुकमा से लेकर अंतागढ़ तक 12 विधानसभा सीटें है। यहां प्रथम चरण में चुनाव होना है। सभी घोर नक्सली क्षेत्र है। लाल सलाम वाले इलाके को भगवामय करने का काम इन्होंने संभाल रखा है। इनके साथ रांची के राकेश भास्कर, बलिया के छोटेलाल यादव, पलामू के संजय सिंह, गाजीपुर के बृजनंदन सिंह और बिहार के रिंकू पांडेय लगातार क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं। भाजपा का मुख्य फोकस बूथ है। बूथ जीतो चुनाव जीतो की तर्ज कर भाजपा ने पूरे छत्तीसगढ़ में मजबूत बूथ कमेटी तैयार कर रखी है।

    धर्मपाल सिंह: अंबिकापुर संभाग की कमान झारखंड भाजपा के संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह के पास है। इनके साथ झारखंड भाजपा के उपाध्यक्ष प्रदीप वर्मा, डॉ अमित प्रकाश उपाध्याय समेत दर्जनों नेता लगातार कैंप किये हुए हैं। इस क्षेत्र में जशपुर की तीन विधानसभा, अंबिकापुर, सामरी, सरगुजा के इलाके हैं। चुनाव की घोषणा के साथ ही धर्मपाल सिंह इस क्षेत्र में भाजपा के लिए रणनीति बना रहे हैं और चुनाव प्रबंधन का भी काम देख रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि इन तीनों नेताओं की भाजपा संगठन पर कमान है और कार्यकर्ताओं में अच्छी पकड़ भी है। कार्यकर्ताओं का भी इन्हें भरपूर सहयोग मिल रहा है।

    रघुवर दास, अर्जुन मुंडा: मुख्यमंत्री रघुवर दास और पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा छत्तीसगढ़ चुनाव में स्टार प्रचारक हैं। मुख्यमंत्री रघुवर दास को विलासपुर संभाग में लगाया गया है। उन्होंने नामांकन के समय कई सभाओं को संबोधित किया है। चुनाव प्रचार के लिए वह फिर छत्तीसगढ़ जानेवाले हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा तीन बार कई इलाकों में चुनाव प्रचार कर चुके हैं। आदिवासी बहुल क्षेत्रों में इनकी सभाएं हो रही हैं। बात कांग्रेस की करें तो छत्तीसगढ़ चुनाव में कांग्रेस की चुनावी कमान भी झारखंडियों के हाथ में है।

    डॉ अरुण उरांव: कांग्रेस की तरफ से पिछले पौने दो साल से डॉ अरुण उरांव बस्तर संभाग में काम कर रहे हैं। डॉ अरुण आइपीएस अधिकारी रह चुके हैं। उन्होंने भारतीय पुलिस सेवा की नौकरी भाजपा के लिए छोड़ी थी। बाद में वह कांग्रेस में शामिल हो गये। कांग्रेस पार्टी ने उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का सचिव बनाया।

    पिछले पौने दो साल से वह छत्तीसगढ़ के सह प्रभारी के रूप में काम कर रहे हैं। कांग्रेस के लिए डॉ अरुण ने आदिवासी इलाके में बहुत काम किया है। इस चुनाव में यदि कांग्रेस कुछ अच्छा कर पायेगी तो इसमें बड़ी भूमिका डॉ अरुण उरांव की होगी। कोई नहीं जनता था कि वह पौने दो साल से मिशन छत्तीसगढ़ की कमान संभाले हुए हैं। डॉ अरुण ने जगदलपुर को कैंप बनाया है। 12 विधानसभा क्षेत्र देख रहे हैं। इनके साथ झारखंड कांग्रेस के कुछ और साथी भी हैं। छत्तीसगढ़ का बस्तर का इलाका आदिवासी बहुल इलाका है। एक जमाने में इस क्षेत्र में कांग्रेस की पूरी धमक थी। इस क्षेत्र में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है। कहा जाता है कि अजित जोगी के कांग्रेस छोड़ने के बाद उनका प्रभाव यहां से जाता रहा। जिस तरह से डॉ अरुण उरांव ने इस क्षेत्र में काम किया है, उससे कांग्रेस काफी उत्साहित है।

    डॉ अजय कुमार, सुबोधकांत सहाय: पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय को भी छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में महत्वपूर्ण जिम्मेवारी सौंपी गयी है। कांग्रेस पार्टी उड़नदस्ता की तरह इनका उपयोग कर रही है। उन्हें पार्टी की ओर से छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश का आब्जर्वर बनाया गया है। मुख्य रूप से इनके जिम्मे अंबिकापुर संभाग है और इस क्षेत्र में वह लगातार कांग्रेस पार्टी के लिए काम कर रहे हैं। दो दिन पहले वह जगदलपुर भी गये थे। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ अजय कुमार को भी छत्तीसगढ़ चुनाव में लगाया गया है।

    झारखंडियों ने संभाली कमान
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