नई दिल्ली: फेसबुक के स्वामित्व वाले मेसेजिंग प्लैटफॉर्म वॉट्सऐप के खुलासे से भारतीयों की निजता को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। दरअसल, वॉट्सऐप ने अमेरिका में एक मुकदमे में खुलासा किया है कि एक इजरायली फर्म के स्पाइवेयर के जरिए भारतीय पत्रकारों और ऐक्टिविस्टों की भी जासूसी की गई। गुरुवार को यह खबर भारतीय मीडिया में आने के बाद सरकार ने वॉट्सऐप से जवाब मांगा है। बताया जा रहा है कि हैकर्स ने भारत में जिन लोगों को शिकार बनाया, वे मुख्य रूप से मानवाधिकार कार्यकर्ता, वकील और पत्रकार हैं, जो आदिवासियों और दलितों के लिए अदालत में सरकार से लड़ रहे थे या उनकी बात कर रहे थे।

मानवाधिकार कार्यकर्ता और पेशे से वकील शालिनी गेरा ने बताया कि अक्टूबर की शुरुआत में उनसे टोरंटो यूनिवर्सिटी की सिटिजन लैब के जॉन स्कॉट-रेल्टन ने संपर्क किया। उन्होंने कहा, ‘जॉन ने मुझे बताया कि मैं डिजिटली तौर पर मुश्किल में फंस गई थी और उन्होंने मुझसे इसकी जांच करने को कहा।’ गेरा उस कानूनी टीम की मेंबर हैं जो एल्गार परिषद मामले की आरोपी सुधा भारद्वाज का बचाव कर रही है। सुधा ने कथित तौर पर भीमा कोरेगांव हिंसा का नेतृत्व किया था।

स्वीडन से आए थे संदिग्ध विडियो कॉल?
जब गेरा से पूछा गया कि क्या उन्हें वॉट्सऐप पर कोई संदिग्ध मिस्ड कॉल आया था, उन्होंने कहा, ‘जिस वक्त के बारे में उन्होंने (सिटिजन लैब) मुझे बताया, उस दौरान स्वीडन में एक अंतरराष्ट्रीय नंबर से कई संदिग्ध विडियो कॉल आए थे। मैंने उन्हें पिक नहीं किया था क्योंकि मैं स्वीडन में किसी को नहीं जानती थी। जॉन ने बताया कि मेरे लिए यह जरूरी नहीं था कि वह शिकार होने के लिए फोन उठाएं लेकिन वे बार-बार फोन करते रहे।’

Share.

Comments are closed.

Exit mobile version