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    Home»Top Story»भाजपा के छिटकते वोट समेट गये शाह
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    भाजपा के छिटकते वोट समेट गये शाह

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskNovember 22, 2019No Comments3 Mins Read
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    रांची। केंद्रीय गृह मंत्री सह भाजपा के राष्टÑीय अध्यक्ष अमित शाह ने झारखंड के लोहरदगा और मनिका में चुनावी सभाओं को संबोधित करते हुए कई समीकरणों को एक साथ साधने की कोशिश की। फर्स्ट फेज में जिन 13 सीटों पर चुनाव हो रहा है, उनमें सबसे चर्चित सीट है लोहरदगा। इस सीट को लेकर भाजपा-आजसू गठबंधन में सबसे ज्यादा जिच थी। दोनों में से कोई इस सीट पर दावा छोड़ने को तैयार नहीं थी। आखिरकार दोनों ने अपने योद्धा उतार दिये। इस सीट पर लोगों की खास निगाह इसलिए भी है कि इसपर कांग्रेस के प्रत्याशी रामेश्वर उरांव झारखंड कांग्रेस के प्रमुख भी हैं। अमित शाह ने यहां राम मंदिर कार्ड खेलकर भाजपा के पक्ष में मतों के ध्रुवीकरण के लिए एक तरीके से अमोघ अस्त्र चला दिया है। मनिका में भाजपा के रघुपाल सिंह मैदान में हैं। यहां के भाजपा विधायक हरेकृष्ण सिंह का टिकट काट दिया गया था। मनिका से ही अमित शाह लातेहार, पलामू और गढ़वा के नौ विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं को यह संदेश दे गये कि अगर विकास चाहते हैं, तो हर सीट पर कमल खिलाना होगा।
    पलामू के इलाके में चुनावी लड़ाई में सत्ता और विपक्ष बराबरी की स्थिति में माने जा रहे हैं। अमित शाह की कोशिश रही कि वह यहां विपक्ष पर स्कोर कर लें। सीटों पर नजर डालें, तो भाजपा पिछले विधानसभा चुनाव में अपने बूते पलामू की चार सीटों छतरपुर, मनिका, गढ़वा और विश्रामपुर पर कब्जा कर पायी थी। डालटनगंज से विधायक चुने गये आलोक चौरसिया चुनाव जीतने के बाद भाजपा में शामिल हुए थे। इस इलाके की चार सीटों लातेहार, हुसैनाबाद, भवनाथपुर और पांकी में विपक्ष के उम्मीदवार चुनाव जीते थे। भाजपा यहां हर हाल में बढ़त लेना चाहती है। यही वजह है कि प्रचार की शुरुआत अमित शाह को करनी पड़ी। इस इलाके में कई सीटों पर आजसू का उम्मीदवार उतारे जाने से भी भाजपा की परेशानी बढ़ सकती है। अमित शाह ने बिखरते वोटों को पूरी तरह समेटने की कोशिश की। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों के काम के आधार पर दोनों जगहों पर वोट मांगा। इलाके में पकड़ रखनेवाले लोगों का दावा है कि पहले चरण की 13 विधानसभा सीटों में भाजपा की राह उतनी आसान नहीं है, जितना पार्टी के नेता समझ बैठे हैं। कम से कम छह सीटों पर विपक्ष बराबरी की स्थिति में है। भाजपा यहां विपक्ष के वोट में सेंध लगाना चाहती है। अमित शाह के बाद भाजपा के कद्दावर नेता नितिन गडकरी पलामू इलाके में रहेंगे। झारखंड में किसकी सरकार बनेगी, प्रथम चरण का मतदान कुछ हद तक इसकी रूपरेखा भी तय कर देगा। भाजपा अगर इस इलाके को साध गयी, तो उसकी राह धीरे-धीरे अन्य चरण के लिए आसान हो सकेगी और सत्ता का द्वार नजदीक नजर आने लगेगा। अमित शाह बड़ी चालाकी से यह संकेत भी दे गये कि राज्य का गठन भाजपा के शासनकाल में हुआ है और इसका लालन पोषण वही बेहतर ढंग से कर सकती है। झामुमो और कांग्रेस पर जमकर हमला बोला। अमित शाह आदिवासी वोट को भाजपा की ओर मोड़ने की पूरी कोशिश कर गये।
    पार्टी के दूसरे नेता थोड़ा मेहनत करेंगे, तो इस समुदाय का बिखरा वोट कमल की ओर जा सकता है। लोहरदगा की सीट गठबंधन के कारण दो बार आजसू की झोली में चली गयी। इस बार भाजपा ने भी वहां से मौजूदा विधायक सुखदेव भगत के रूप में मजबूत उम्मीदवार को उतारा है। लोहरदगा से ही वह गुमला और विशुनपुर विधानसभा सीटों को भी साध गये। शाह बार-बार यह बताने की कोशिश कर रहे थे कि राज्य को लुटने से बचाना है, तो यहां के लोगों को फिर से भाजपा की सरकार चुनना होगा।

    Strategy for scoring on opposition in first phase
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