Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Sunday, June 8
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»Top Story»इस विधानसभा चुनाव ने चौंकाया है
    Top Story

    इस विधानसभा चुनाव ने चौंकाया है

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskNovember 22, 2019No Comments5 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    सरयू का सीएम के खिलाफ लड़ना और सुखदेव का भाजपा में आना चौंकाऊं
    जमशेदपुर पूर्वी झारखंड की सबसे ज्यादा चर्चित सीट बन गयी है। वजह है, मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ उनके ही मंत्रिमंडलीय सहयोगी सरयू राय का ताल ठोंककर खड़ा होना। वर्ष 1995 से इस सीट पर रघुवर दास लगातार जीतते रहे हैं, पर सरयू राय के उनके मुकाबले में उतरने और कांग्रेस के गौरव बल्लभ के दम-खम आजमाने की कोशिशों के कारण यहां स्थिति रोचक हो गयी है। इस मुकाबले का दिलचस्प पहलू यह है कि सरयू राय चाहे घोषित या अघोषित तौर पर रघुवर पर निशाना साधते रहे हों, पर मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस पूरे प्रकरण में संयम रखा है।
    इस चुनाव में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे सुखदेव भगत का भाजपा में आना भी चौंकाऊं रहा है, तो राधाकृष्ण किशोर का भाजपा छोड़ आजसू का दामन थामना भी। प्रदीप बलमुचू को कांग्रेस का स्तंभ कहा जाता था। उनका कांग्रेस छोड़ना भी स्तब्धकारी रहा। भाजपा की ओर से इस विधानसभा चुनाव में अपने 13 विधायकों का टिकट काटना भी कम चौंकाऊं नहीं है। वहीं कांके विधानसभा से समरीलाल जैसे कार्यकर्ताओं को टिकट देकर सम्मान देना भी चौंकाऊं है।

    जुबां से किसी ने बोला नहीं, लेकिन अटूट माना जा रहा गठबंधन दरक गया
    इस चुनाव ने यह भी साबित कर दिया है कि राजनीति में कोई भी रिश्ता अटूट नहीं होता। इस चुनाव में महत्वाकांक्षाओं का पारा भाजपा और आजसू के बीच ऐसा चढ़ा कि फिर उसके बाद दोनों दलों के बीच का गठबंधन टूट कर रह गया। इसके बाद आजसू ने 27 सीटों पर प्रत्याशी भी उतार दिये। वहीं भाजपा से टिकट कटने पर पार्टी छोड़कर आये छतरपुर विधायक राधाकृष्ण किशोर को न सिर्फ अपना लिया, बल्कि उन्हें उनकी सीट से उम्मीदवार भी बना दिया। इस पूरे प्रकरण में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ ने गठबंधन टूटने का दोष आजसू पर मढ़ते हुए कहा कि आजसू के लिए सारे दरवाजे खोल रखे थे लेकिन खुद उसी ने गठबंधन तोड़ दिया। हम आजसू का साथ जन्म-जन्म तक निभाने के लिए तैयार थे। 13 सीट देने को भी तैयार थे, पर आजसू तैयार नहीं हुआ और अलग हो गया। आजसू के केंद्रीय प्रवक्ता डॉ देवशरण भगत ने इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया नहीं दी। उन्होंने साफ किया कि वे अभी इस मुद्दे पर कुछ कहना नहीं चाहते। जाहिर है कि आजसू इस मुद्दे पर अभी साइलेंट रहने के मूड में है।

    सबसे बड़ी टूट के बाद भी झुके नहीं
    बार-बार चोट खाकर भी हो गये खड़े
    विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने झाविमो के आठ में से छह विधायकों को तोड़ लिया और इसके बाद कुछ ऐसी परिस्थितियां बनी कि झाविमो को छोड़ कर नेता जाते रहे। चाहे वह नवीन जायसवाल हों या अमर बाउरी, जानकी यादव हों या रणधीर सिंह, आलोक चौरसिया हों या गणेश गंझू और अभी हाल में पार्टी छोड़नेवाले लातेहार से विधायक प्रकाश राम या फिर सत्यानंद भोक्ता। इन हालात में भी बाबूलाल मरांडी टूटने की जगह फौलाद बनकर उभरे। उन्होंने अकेले झारखंड की सभी 81 सीटों पर प्रत्याशी उतारने की न सिर्फ घोषणा की बल्कि पार्टी में नयी ऊर्जा भरकर सभी को चौंका दिया। चुनाव से पहले उन्होंने न सिर्फ पांच लाख नये सदस्य बनाये, बल्कि धुर्वा के प्रभात तारा मैदान में जो सभा की, उसमें उमड़ी भीड़Þ ने सबको चौंकाया। सोशल मीडिया प्रचार मेें भी बाबूलाल मरांडी सबसे आगे रहे और इस मोड का बखूबी इस्तेमाल कर रहे हैं। झारखंड की राजनीति के जानकारों का कहना है कि इस विधानसभा चुनाव में झाविमो कोई चमत्कार कर दिखाये, तो यह अप्रत्याशित नहीं होगा।
    वर्ष 2009 में जब उन्होंने अपनी पार्टी बनाकर पहली बार चुनाव लड़ा, तो उनके 11 विधायकों ने जीत हासिल की। वहीं वर्ष 2014 में उनके आठ विधायक जीते। इस दफा बाबूलाल 81 सीटों पर उम्मीदवार उतार रहे हैं तो यह प्रत्याशा स्वाभाविक है कि उनके विधायकों की संख्या में आशानुरूप बढ़ोत्तरी हो, क्योंकि झारखंड के पहले मुख्यमंत्री के रूप मेंं उनके 28 महीने के कार्यकाल को जनता ने अब भी याद रखा है।

    पौलुस सुरीन का टिकट कटना
    तोरपा विधायक पौलुस सुरीन का टिकट कटना भी झामुमो के खेमे की अप्रत्याशित घटना है। हालांकि पार्टी ने शशिभूषण सामड का भी टिकट काटा है, पर जितनी चर्चा राजनीति के गलियारों में पौलुस सुरीन का टिकट कटने की है उतनी शशिभूषण की नहीं। पौलुस सुरीन का टिकट काटकर पार्टी ने तपकरा पंचायत के मुखिया सुदीप गुड़िया को दिया है। पौलुस का टिकट कटने की कई वजहें हैं, जिनमें उनका पार्टी लाइन से अलग जाना और हाइकमान के दरबार में हाजिरी न लगाना भी है। झामुमो से टिकट काटे जाने के बाद पौलुस झापा के टिकट पर चुनाव के मैदान में हैं और उन्हें यह उम्मीद है कि तोरपा की जनता के बीच उनकी लोकप्रियता उनकी चुनावी नैया पार लगायेगी। झारखंड पार्टी में शामिल होने के बाद उन्होंने कहा कि झापा झारखंड की माटी की पार्टी है और इसने झारखंड अलग राज्य की नींव रखी थी। एनई होरो ने झारखंड राज्य निर्माण के लिए लंबी लड़ाई लड़ी। हम चुनाव जीतकर उनके सपनों को पूरा करेंगे। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि झामुमो की माटी से छिटककर पौलुस के झापा की माटी में जाने का फैसला तोरपा की राजनीति में क्या गुल खिलाता है।

    कुंदन पाहन और राजा पीटर का चुनाव मैदान में आना
    तमाड़ में नक्सली रहे कुंदन पाहन और गोपाल कृष्ण पातर उर्फ राजा पीटर के मैदान में उतरने से मामला त्रिकोणीय हो गया है। यहां तीसरा कोण झामुमो प्रत्याशी और इस क्षेत्र के सीटिंग विधायक विकास सिंह मुंडा बना रहे हैं। राजा पीटर पर आरोप है कि उन्होंने कुंदन पाहन के सहयोग से विकास सिंह मुंडा के पिता तत्कालीन मंत्री रमेश सिंह मुंडा की हत्या करा दी थी। कुंदन पाहन के दस्ते के सहयोग से ही वे विधायक बने और इसका खुलासा एनआइए के हाथों मंत्री हत्याकांड में गिरफ्तार कुंदन पाहन के सहयोगी रहे भजोहरि मुंडा ने जांच एजेंसियों के समक्ष किया था। जिस कुंदन पाहन पर हत्या का आरोप है और जिस राजा पीटर पर हत्या के लिए सुपारी देने का आरोप है, वे दोनों यहां मैदान में एक-दूसरे के खिलाफ हैं।

    This assembly election has surprised
    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleआने वाले समय मे किसी से कोई गठबंधन नहीं होगा: अखिलेश यादव
    Next Article भाजपा के छिटकते वोट समेट गये शाह
    azad sipahi desk

      Related Posts

      झारखंड में आदिवासी लड़कियों के साथ छेड़छाड़, बाबूलाल ने उठाए सवाल

      June 7, 2025

      पूर्व मुख्यमंत्री ने दुमका में राज्य सरकार पर साधा निशाना, झारखंड को नागालैंड-मिजोरम बनने में देर नहीं : रघुवर दास

      June 7, 2025

      गुरुजी से गुरूर, हेमंत से हिम्मत, बसंत से बहार- झामुमो के पोस्टर में दिखी नयी ऊर्जा

      June 7, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • झारखंड में आदिवासी लड़कियों के साथ छेड़छाड़, बाबूलाल ने उठाए सवाल
      • पूर्व मुख्यमंत्री ने दुमका में राज्य सरकार पर साधा निशाना, झारखंड को नागालैंड-मिजोरम बनने में देर नहीं : रघुवर दास
      • गुरुजी से गुरूर, हेमंत से हिम्मत, बसंत से बहार- झामुमो के पोस्टर में दिखी नयी ऊर्जा
      • अब गरीब कैदियों को केंद्रीय कोष से जमानत या रिहाई पाने में मिलेगी मदद
      • विकसित खेती और समृद्ध किसान ही हमारा संकल्प : शिवराज सिंह
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version