रांची। केंद्र से राज्य सरकार को 15वें वित्त का पैसा इस साल जुलाई में मिल चुका है। इस पैसे के उपयोग, योजनाओं के संचालन, मॉनिटरिंग पर सवाल खड़े होने लगे हैं। 14वें वित्त से कंप्यूटर आॅपरेटर, जेइ को हर माह मानदेय भुगतान किया जाता था। लगभग 1500 कर्मियों की सेवाएं इसमें ली जी रही थीं, पर 15वें वित्त की राशि में कर्मियों के भुगतान के लिए कोई प्रोविजन नहीं किया गया है। जिन चुनिंदा पंचायतों में 14वें वित्त का पैसा बचा हुआ है, वहां कर्मी काम कर रहे हैं। जहां पैसे खत्म हो गये हैं, वहां वे नियमों के मुताबिक स्वत: विमुक्त हो चुके हैं। ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने इस संबंध में केंद्र सरकार को लेटर लिखा है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को लिखे पत्र में उन्होंने 15वें वित्त से अनुदान मद में पैसे खर्च करने की अनुमति मांगी है, ताकि कर्मियों का भुगतान किया जा सके।

14वें वित्त में पेमेंट के लिए थी 10 फीसदी राशि

आलमगीर आलम के मुताबिक 15वें वित्त की 75 फीसदी राशि पंचायतों को जारी की गयी है। 15 प्रतिशत पंचायत समिति को और 10 प्रतिशत जिला परिषद को उपलब्ध करायी जा रही है। 15वें वित्त की राशि का उपयोग किसी प्रकार के वेतन या मानदेय भुगतान में नहीं किया जा सकता। 14वें वित्त आयोग के अनुदान मद से प्रशासनिक और तकनीकी मद में ग्राम पंचायतों को 10 फीसदी राशि खर्च करने का अधिकार था। इसी राशि के जरिये 14वें वित्त के कर्मियों का भुगतान किया जाता था, चूंकि पंचायतों के दायित्वों, कार्यक्षेत्र में बढ़ोत्तरी हुई है। ऐसे में एकाउंटेंट सह कंप्यूटर आॅपरेटर और जेइ की जरूरत बनी हुई है। 15वें वित्त में अब तक कर्मियों के भुगतान के लिए स्थापना मद में प्रावधान नहीं किया गया है, जिन जगहों पर कर्मी नहीं हैं, वहां 15वें वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित अनुदान से ली जानेवाली योजनाओं का सही से अनुश्रवण नहीं हो पा रहा है।  14वें वित्त से एकाउंटेंट सह कंप्यूटर आॅपरेटर को हर माह 12 हजार का भुगतान किया जाता था। जेइ के लिए 18 हजार मानदेय तय था। दोनों पदों पर ये कर्मी कांट्रैक्ट पर काम करते थे। फिलहाल जिन पंचायतों में 14वें वित्त का पैसा बचा हुआ है, वहीं अब ये सेवा दे रहे हैं।

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