रांची। केंद्र सरकार की कथित मजदूर विरोधी नीतियों और निजीकरण के खिलाफ भारतीय मजदूर संघ को छोड़ कर अन्य सभी मजदूर संगठनों की ओर से गुरुवार को देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया गया है। इसमें तमाम मजदूर संगठन शामिल होंगे। इधर वामदल ने हड़ताल की पूर्व संध्या पर बुधवार को रांची में प्रदर्शन किया।
विभिन्न ट्रेड यूनियन, मजदूर संगठन, कोयला मजदूर, श्रमिक संघ, बैंक कर्मचारी संघ, मनरेगा कर्मी, आंगनबाड़ी के कर्मचारी समेत इस तरह के तमाम संगठन हड़ताल में शामिल होंगे। इसे लेकर पिछले कई दिनों से झारखंड समेत कई राज्यों में संगठन तैयारियों में जुटे हैं। झारखंड में बोकारो, धनबाद, बेरमो, गोमिया, फुसरो, रामगढ़, खलारी, पतरातू आदि इलाकों में संगठन ने लगातार बैठक कर हड़ताल को सफल बनाने का संकल्प लिया है। इससे बैंक, कोयला खनन, सरकारी कारखानों और अन्य खनन क्षेत्रों में भी कामकाज प्रभावित होने की आशंका जतायी जा रही है। इसे देखते हुए कोयला कंपनी सीसीएल, बीसीसीएल, इसीएल, सेल और बीएसएल आदि कंपनियों ने कर्मचारियों को नोटिस देकर अनुपस्थित रहने पर वेतन काटने की चेतावनी दी है। इससे मजदूरों में और भी उबाल है और उन्होंने एकजुटता दिखाने की बात कही है।

बैंक भी हड़ताल में शामिल
अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ ने केंद्र सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ आम हड़ताल में केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की भागीदारी की घोषणा की है। इसके तहत, भारतीय मजदूर संघ को छोड़कर 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने देशव्यापी आम हड़ताल की घोषणा की है। ग्रामीण बैंक संगठनों के एक आम मंच ने इस हड़ताल को सफल बनाने के लिए देश भर के ग्रामीण बैंकों में काम करने वाले सभी अधिकारियों और कर्मचारी संगठनों को पत्र जारी किया है। इसमें कहा गया है कि सभी अधिकारियों-कर्मचारियों को हड़ताल पर जाने के लिए प्रेरित करें और श्रमिक संगठनों के साथ विरोध प्रदर्शनों में भाग लें।

मजदूर-कर्मचारियों का पक्ष
तीन नये श्रम कानून पारित किये हैं और कारोबार करने में आसानी के नाम पर 27 मौजूदा कानूनों को समाप्त कर दिया है। ये कानून विशुद्ध रूप से कॉर्पोरेट जगत के हित में हैं। इस प्रक्रिया में 75 प्रतिशत श्रमिकों को श्रम कानूनों के दायरे से बाहर रखा गया है। इससे निजीकरण को बढ़ावा मिलेगा। श्रमिकों को अधिकार से वंचित किया जा रहा है।
हड़ताल वापस लेने की अपील
बीसीसीएल सीएमडी गोपाल सिंह ने हड़ताल को बेमानी बताया है। कहा कि कोल इंडिया के किसी ब्लॉक को निजी स्वामित्व में नहीं दिया जा रहा। कोल इंडिया के पास 463 कोल ब्लॉक हैं। 329 परियोजनाएं प्रक्रियाधीन हैं। यह हड़ताल हमारे बढ़ते कदम को रोक देगी। इससे सिर्फ नुकसान ही होगा। जब कोल इंडिया एवं बीसीसीएल का निजीकरण ही नहीं हो रहा, तो हड़ताल क्यों। उन्होंने संगठनों से हड़ताल वापस लेने की अपील की है।

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