रांची। राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने टीएसी की फाइल दोबारा झारखंड सरकार को वापस कर दी है। राजभवन की तरफ से इस बार दो नामित सदस्यों पर आपत्ति जतायी गयी है। इनमें प्रस्तावित दोनों नामों की जगह राजभवन की तरफ से दो अन्य नामों के सुझाव दिये गये हैं। इससे पहले सरकार ने समिति में जिन बाहरी नामित सदस्यों को शामिल किया था, उस पर राजभवन ने आपत्ति जतायी थी। कहा गया था कि नियमानुसार इन सबका चारित्रिक स्वच्छता प्रमाण पत्र संलग्न होना चाहिए।
राज्यपाल ने सरकार को निर्देशित किया था कि नियमानुसार पहले इन व्यक्तियों का चारित्रिक स्वच्छता प्रमाण पत्र स्पेशल ब्रांच और अन्य स्रोतों से मंगा लिया जाये। सही पाये जाने के बाद ही समिति के गठन से संबंधित अधिसूचना जारी की जा सकती है। कल्याण विभाग की तरफ से मांगी गयी जानकारियों के साथ फाइल को राज्यपाल के पास भेजा गया, लेकिन एक बार फिर से राज्यपाल ने फाइल वापस कर दी है।
कमेटी में था इनका नाम
राज्य सरकार ने 31 अक्टूबर 2020 को हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में आदिवासी कल्याण योजनाओं की निगरानी और क्रियान्वयन को प्रभावी बनाने के लिए जनजातीय सलाहकार परिषद के गठन का प्रस्ताव बना कर राज्यपाल के पास भेजा था। मुख्यमंत्री इसके पदेन अध्यक्ष और जनजातीय कल्याण मंत्री चंपाई सोरेन पदेन उपाध्यक्ष हैं। 16 सदस्य विधायकों में स्टीफन मरांडी, बंधु तिर्की, चमरा लिंडा, दशरथ गगरई, विकास मुंडा, दीपक बिरुआ, कोचे मुंडा, राजेश कच्छप, भूषण तिर्की, नमन विक्सल कोनगाड़ी, सोनाराम सिंकू, सुखराम उरांव को रखा गया था। साथ ही चार नामित सदस्यों में विक्टर माल्टो, करमा उरांव, जमला उरांव, पूर्व विधायक सनातन मांझी तथा एक विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में विश्वनाथ सिंह सरदार शामिल थे।