अजय शर्मा
दुमका (आजाद सिपाही)। दुमका में सीएम हेमंत सोरेन को लेकर यहां के आदिवासियों के बीच गजब की उम्मीदें हैं। दुमका पूरी तरह से आदिवासी बहुल इलाका है। चुनाव प्रचार के क्रम में सीएम जहां-जहां जा रहे हैं, भारी भीड़ उमड़ती है। हेमंत आदिवासियों की आवाज बन कर उभरे हैं। जो आवाज कभी दबा दी जाती थी या कुचल दी जाती थी, अब उसी आवाज पर सरकार फैसले ले रही है। सरना धर्म कोड लागू हो, इसकी सिफारिश का फैसला सीएम को यहींं लेना पड़ा।
राज्य की गठबंधन की सरकार ने इसके पहले भी आदिवासी, अल्पसंख्यक और पिछड़ों के हित में कई बड़े फैसले लिये हैं। इन फैसलों में स्थानीय नीति की समीक्षा के लिए कमेटी का गठन करना, नौकरियों में आरक्षण बढ़ाने, गरीबों के लिए 10 रुपये में धोती-साड़ी देने का फैसला भी शामिल है। बाहर से आये मजदूरों के लिए बिरसा हरित ग्राम योजना, शहीदों ने नाम मेडिकल कॉलेज करने, मुख्यमंत्री दाल-भात योजना, शहीद निर्मल महतो श्रमिक महासंघ का गठन शामिल है। दिसंबर के अंतिम सप्ताह में सरकार के एक साल पूरे होंगे। इसमें सात माह तो लॉकडाउन में गुजर गया। इसके पहले दिसंबर में सरकार बनते ही वैसी सारी योजनाओं को पलट दिया था, जिन्हें गैर-जरूरी माना गया था। इसमें एक रुपये में महिलाओं के नाम रजिस्ट्री भी शामिल है। सीएम और उनकी टीम वैसी योजनाओं पर फोकस कर रही है, जिनका लाभ समाज के अंतिम पायदान पर खड़े लोगों को मिले, जिसमें कर्ज माफी भी शामिल है। इसकी प्रक्रिया चल रही है।

करीब साढ़े 11 लाख राशन कार्ड रद्द कर दिये गये थे। अब वर्तमान सरकार 15 लाख नये राशन कार्ड बनाने की प्रक्रिया शुरू कर रही है। सीएम वैसी योजनाओं पर ज्यादा बल दे रहे हैं, जिनका सीधा लाभ आदिवासियों के खाते में जरूर जाये। भारी संख्या में आदिवासियों को वन पट्टा देकर उन्हें जमीन मालिक बनाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गयी है। आदिवासियों के बड़े नेता के रूप में दिशोम गुरु शिबू सोरेन जाने जाते हैं। उनकी उम्र ज्यादा हो गयी है और वह बीमार भी रहते हैं। उनकी विरासत को हेमंत अच्छी तरह संभाल रहे हैं। दुमका में चुनाव प्रचार के दौरान उनका हमलावर तेवर देखने को मिला। केंद्र और पूर्व की राज्य सरकार पर जमकर बरसने में वह नहीं चूके। वह यह बताने में भी गुरेज नहीं करते कि आदिवासियों के बीच पकड़ उन्हीं की है। हेमंत आगे आने वाले दिनों में कई और बड़े फैसले लेंगे। इसके संकेत चुनावी सभाओं में वह दे रहे हैं।

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