रांची। बंगाल और झारखंड के सबसे बड़े अवैध कोयला कारोबारी अनुप मांझी उर्फ लाला और जयदेब मंडल हर महीने इन दोनों राज्यों की राज्य के नेताओं को दो सौ करोड़ रुपये देते हैं। सीबीआइ द्वारा गिरफ्तार किये गये इन दोनों के बारे में कहा जाता है कि इनकी रगों में खून नहीं, कोयले की कालिख दौड़ती है। इन्होंने इस अवैध कारोबार की मदद से 20 हजार करोड़ रुपये का साम्राज्य खड़ा कर लिया है। फिलहाल सीबीआइ इन दोनों से पूछताछ कर रही है। कई अन्य एजेंसियां भी पूछताछ में जुटी हैं।
सीबीआइ सूत्रों ने बताया कि लाला और जयदेब अवैध खनन से लेकर कोयला तस्करी के बड़े नेटवर्क का संचालन करते हैं। इन्होंने इस अवैध कारोबार को छिपाने के लिए कई कंपनियां भी बना रखी हैं। इन दोनों के ठिकानों पर पिछले सप्ताह छापामारी की गयी। इस दौरान उनके कारोबार का पता चला और इसमें करीब 20 हजार करोड़ रुपये लगे होने का दावा किया गया है। सूत्रों ने कहा कि ये दोनों पिछले 14 साल से फरार चल रहे थे। पहली बार जब इन्हें गिरफ्तार करने के लिए छापामारी की गयी, तब ये दोनों क्वालालंपुर, सिंगापुर, बर्लिन, म्यूनिख, जिनेवा, लंदन और दुबई जैसी जगहों पर जाकर छिप गये। दोनों ने विदेशों से ही अपने अवैध कारोबार का संचालन जारी रखा। इन दोनों की गिरफ्तारी के लिए धनबाद के एसएसपी असीम विक्रांत मिंज ने बड़ा जाल बिछाया। उन्होंने जीटी रोड पर कृत्रिम जाम लगवाया और फिर कोयला लदे ट्रकों की जांच शुरू की। जिन ट्रकों पर अवैध कोयला लदा था, उनके चालकों और खलासियों को गिरफ्तार कर लिया गया। 19 अक्टूबर को हुई इस गिरफ्तारी के बाद चालकों ने पूरे नेटवर्क का खुलासा कर दिया। उसके अगले ही दिन लाला और मंडल के ठिकानों पर छापामारी की गयी और 40 करोड़ से अधिक की संपत्ति का पता लगा। बाद में लाला और मंडल को भी गिरफ्तार कर लिया गया।
नेताओं को देते हैं चंदा
सीबीआइ सूत्रों के अनुसार लाला ने बंगाल और झारखंड के नेताओं को हर महीने दो सौ करोड़ रुपये का चंदा देने की बात स्वीकार की है। उसने कहा है कि अपने अवैध कारोबार को जारी रखने के लिए ही वह यह रकम खर्च करता है। इन नेताओं में स्थानीय स्तर से लेकर पार्टियों के केंद्रीय नेता तक शामिल हैं।

ऐसे खड़ा किया साम्राज्य
लाला और मंडल के अवैध कारोबार का सरगना बनने की कहानी भी बेहद रोमांचक है। बंगाल में एक बड़ा कोयला कारोबारी हुआ करता था। उसका नाम कृष्ण मुरारी कोयल था। उसे बिल्लू के नाम से जाना जाता था। बंगाल के राजनीतिज्ञों से संबंध बिगड़ने के बाद पिछले साल जनवरी में उसे दुर्गापुर के पास कंस्का नामक जगह से गिरफ्तार किया गया। इसके बाद लाला और मंडल ने उसके कारोबार को अपने हाथ में ले लिया और एक साल के भीतर ही इस मुकाम पर पहुंच गये। ये दोनों बिल्लू के यहां नौकर थे और कोयला चोरी करना इनका काम था। बिल्लू की पहुंच इतनी ऊपर तक थी कि वह बंगाल सरकार के प्रतिनिधि मंडल में शामिल होकर सिंगापुर तक पहुंच गया था। कहा जाता है कि वह कोयले के अलावा लौह अयस्क के अवैध खनन और रियल इस्टेट के कारोबार में भी शामिल था। आसनसोल के लोग कहते हैं कि वह मुकुल राय के बेहद करीब था। राय उस समय टीएमसी में थे। बाद में जब वह भाजपा में आये, तो बिल्लू से रिश्ता खत्म कर लिया।

आसनसोल में पले-बढ़े हैं
लाला और मंडल आसनसोल के सालनपुर इलाके के हैं। दोनों की आयु करीब 42 साल है। इनका परिवार बेहद गरीब था। लाला के परिवार में चार भाई और तीन बहनें हैं। तीनों की शादी हो चुकी है। लाला ने मछली बेचने का धंधा शुरू किया और बाद में तीन अन्य दोस्तों के साथ मिल कर कोल ब्रिकेट बनाने की फैक्टरी खोली। यह फैक्टरी बाद में चल कर लाला के अवैध कारोबार का अड्डा बन गयी। इस दौरान उसने स्थानीय लोगों की खूब मदद की। इसलिए लोग उसे हीरो मानते थे। धीरे-धीरे राजनीतिक संपर्क बढ़े, तो धंधा भी बढ़ता गया। स्थानीय सांसद और विधायक उसकी मदद करने लगे। प्रशासन भी कुछ करने में हिचकने लगा। कहा जाता है कि वह अपनी स्कॉर्पियो गाड़ी में हर वक्त कम से कम 40 बैग रखता था, जिसमें रुपये भरे होते थे। वह नेताओं और दूसरे लोगों के पास हर दिन खुद रुपये पहुंचाता था। बाद में लाला ने दुर्गापुर के राजू झा को अवैध कारोबार में पीछे छोड़ दिया। उसी दौरान जयदेब मंडल उसके साथ आ गया।

Share.

Comments are closed.

Exit mobile version