रांची । झारखंड विधानसभा के 22वें स्थापना दिवस के दूसरे दिन बुधवार को आयोजित केंद्र राज्य के संबंधों के राष्ट्रीय सम्मेलन में राज्यपाल की भूमिका और उनके कार्य पर चर्चा हुई। मौके पर रायपुर के राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर उदय शंकर ने कहा कि अगर राज्यपाल राज्यहित में काम न कर रहे हों तो उन्हें हटाने का अधिकार राज्य के पास होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि विधानसभा में प्रस्ताव पास कर उसे राष्ट्रपति के पास भेजने का अधिकार विधानसभा के पास होना चाहिए लेकिन इसकी भी एक गाइडलाइन तय होनी चाहिए, ताकि राज्यपाल विधानसभा कि कठपुतली बनकर न रह जाए। वह विधानसभा में आयोजित केंद्र राज्य के संबंधों के राष्ट्रीय सम्मेलन में राज्यपाल की भूमिका और उनके कार्य पर चर्चा से संबंधित विषय पर अपने विचार रख रहे थे। उन्होंने कहा कि हमेशा यह बात होती है कि राज्यपाल कि नियुक्ति और उन्हें हटाने में राज्य का भी रोल होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि देशों में संघ और राज्य होल्डिंग टुगेदर और कमिंग टुगेदर दो सिस्टम से काम करते हैं। कमिंग टुगेदर यूएस मॉडल है जबकि भारत में होल्डिंग टुगेदर सिस्टम में केंद्र और राज्य जुड़े हैं। भारत के संविधान में संघीय ढांचे में केंद्र को ज्यादा पवार मिला है। केंद्र अपने रिप्रेजेंटेटिव के रूप में राज्यपाल कि नियुक्ति करते हैं। जब केंद्र और राज्य में अलग अलग दलों की सरकार होती है तो कई बार केंद्र और राज्य में विवाद होता है। राज्यपाल पर केंद्र के एजेंट के रूप में काम करने का आरोप लगता है। ऐसे में राज्यपाल की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए।