Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Saturday, May 10
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»विशेष»सर्टिफिकेशन के नाम पर देश में हो रहे आठ लाख करोड़ हलाक
    विशेष

    सर्टिफिकेशन के नाम पर देश में हो रहे आठ लाख करोड़ हलाक

    adminBy adminNovember 23, 2023Updated:November 24, 2023No Comments11 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    -आदित्यनाथ योगी का वार, हलाल सर्टिफाइड उत्पादों पर लगाया वैन
    -कैसे मांस से शुरू हुआ, आज आटा, दाल, चावल भी हलाल हो गये
    -कोई इंडस्ट्री नहीं बाकी, बिल्डिंग और मॉल भी हो रहे हलाल सर्टिफाइड
    -नेल पॉलिश से लेकर लिपिस्टिक तक सब हलाल, यहां तक कि सुबह की चाय भी
    -विश्व में 166 लाख करोड़ का मार्केट, भारत में आठ लाख करोड़ का मार्केट तैयार

    नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
    आपने एफएसएसएआइ सर्टिफिकेशन सुना होगा, जिसका पूरा नाम फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड आॅथरिटी है। यह एक प्रकार का फूड लाइसेंस है, जिसे भारत सरकार द्वारा दिया जाता है। जिन्हें भी फूड बिजनेस करना होता है, उनके लिए यह लाइसेंस लेना अनिवार्य है, ताकि खाद्य उत्पादों की क्वालिटी और स्टैंडर्ड का पता चल सके। लेकिन हम दूसरे सर्टिफिकेशन की बात कर रहे हैं। आपने हलाल मीट के बारे में तो सुना होगा, लेकिन क्या आपने हलाल सर्टिफिकेशन के बारे में सुना है। अगर नहीं, तो यह जानना आपके लिए बहुत जरूरी है। खासकर भारत के लोगों को इसके बारे में पता होना चाहिए। हलाल सर्टिफिकेशन अब बहुत से फूड प्रोडक्ट्स पर आपको दिखता होगा। फूड प्रोडक्ट्स तो छोड़िये, कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स, बिल्डिंग, मॉल, आॅर्गेनिक इंडस्ट्री, आप जो चाय पीते हैं वह भी सर्टिफाइड किये जा रहे हैं। एक वक्त आइआरसीटीसी का भोजन भी हलाल सर्टिफाइड मिलता था।
    आइटीडीसी भी हलाल सर्टिफाइड हुआ था। आप जो पिज्जा हट, केएफसी और मैक डॉनल्ड्स में खाते हैं, वह भी हलाल सर्टिफाइड है। यहां तक कि एयरवेज भी। अब तो हलाल डिजिटल करेंसी चालू हो गयी है। फैशन इंडस्ट्री, वेबसाइट्स भी हलाल सर्टिफाइड हो रहे हैं। अब हाल तो यह है कि शुद्ध शाकाहारी चीजें भी हलाल सर्टिफाइड हो रही हैं। हलाल सर्टिफिकेशन का विश्व भर में 166 लाख करोड़ का मार्केट तैयार हो चुका है। वहीं भारत में हलाल प्रोडक्ट का मार्केट आठ लाख करोड़ का बन चुका है। धर्म के आधार पर कई कंपनियां धर्म विशेष के अंदर अपनी बिक्री बढ़ाने के लिए हलाल सर्टिफिकेट का इस्तेमाल कर रही हैं। लेकिन यह प्रोडक्ट सिर्फ धर्म विशेष ही इस्तेमाल नहीं कर रहा, हर कोई इस्तेमाल कर रहा है, क्योंकि लोगों को कहां आदत है सर्टिफिकेट देखने की। सिर्फ मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपायरी डेट चेक होती है। लेकिन चेक करना जरूरी है कि जो आप खा रहे हैं, वह आपके लिए सही है या नहीं। भारत की बात की जाये, तो यहां एक अलग से ही पैरलल इकोनॉमी खड़ा करने की कोशिश की जा रही है, हलाल इकोनॉमी। कंपनियां भी सिर्फ मुनाफा देख रही हैं। आपको हलाल प्रोडक्ट्स बहुत सारी बड़ी-बड़ी कंपनियों के स्टोर्स में दिख जायेंगे। आप अचंभित भी होंगे कि यह हो कैसे रहा है। यह सर्टिफिकेशन निजी कंपनियां देती हैं, सरकार नहीं। तो यह भारत जैसे देश में फल-फूल कैसे रहा है। जहां तक कानूनी प्रावधानों का सवाल है, तो किसी भी उत्पाद की वैधता और सत्यता की अंतिम गारंटी सरकार की होती है, न कि किसी धार्मिक संगठन की। ऐसे में भारत के लोगों को यह जानना बहुत जरूरी है कि हलाल सर्टिकेशन द्वारा अर्जित पैसा कहां इस्तेमाल हो रहा है। मांस से शुरू हुआ हलाल अचानक आटा, दाल, चावल, मेथी, मसाला, दवा, साबुन, तेल, नेल पॉलिश, लिपस्टिक सब हलाल कैसे हो रहे हैं। इस विषय की गहराई में जाना भी बहुत जरूरी है। यह कोई साधारण विषय नहीं है। वैसे इस विषय को गंभीरता से लिया है उत्तरप्रदेश की आदित्यनाथ योगी सरकार ने। योगी सरकार हलाल सर्टिफिकेशन को लेकर एक्शन में है। उत्तरप्रदेश की योगी सरकार ने राज्य में किसी भी उत्पाद के हलाल प्रमाणन पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी है। सरकार को शक है कि यह एक एजेंडा के तहत किया जा रहा है। क्या है हलाल सर्टिफिकेशन, हलाल मांस से शुरू हुआ सिलसिला कैसे शाकाहारी प्रोडक्ट तक को हलाल किया जा रहा है, क्या है इसका एजेंडा, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

    देश की प्रीमियम ट्रेन वंदे भारत में 2023 के जुलाई महीने में एक चौंकानेवाली घटना हुई थी। इस घटना का वीडियो बहुत तेजी से वायरल भी हुआ था। इस वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि वंदे भारत ट्रेन के स्टाफ और एक यात्री के बीच बहस चल रही है। यह बहस हलाल चाय को लेकर हुई। यात्री की शिकायत थी कि सावन का महीना चल रहा है, उसे पूजा करने जाना है और उसे हलाल सर्टिफाइड चाय क्यों दी गयी। दरअसल, यात्री को हलाल सर्टिफाइड चाय का प्री-मिक्स दिया गया था। यात्री का कहना था कि उसने एफएसएसएआइ सर्टिफाइड सुना है, जो सरकार देती है, लेकिन यह हलाल सर्टिफाइड क्या होता है। स्टाफ का कहना था, देखिये यहां हरा मार्क भी है, यह वेज होने का प्रतीक है। चाय दुनिया में कहीं भी वेज ही होती है। लेकिन यात्री का कहना था कि सब ठीक है, लेकिन हलाल सर्टिफिकेशन क्या होता है। मैं हलाल चाय क्यों पियूं। यहां यात्री की बात में दम था, क्योंकि आज तक भारत में ज्यादातर लोग हलाल मीट के बारे में ही जानते थे, कब कैसे चाय भी हलाल हो गयी, उसे कैसे पता। यह विषय सिर्फ उस यात्री के लिए आश्चर्य का नहीं होगा, यह विषय भारत के उन करोड़ों लोगों के लिए आश्चर्य का विषय होगा कि आखिर वेज प्रोडक्ट्स हलाल कैसे हो रहा है। यह तो छोड़िये, आप अपने किचन में अगर झांकेंगे, तो पायेंगे कि आप हलाल प्रोडक्ट्स का सेवन कर रहे हैं। हलाल प्रोडक्ट्स आपको बगल की दुकान, मॉल में भी मिल जायेंगे। क्या है हलाल सर्टिफिकेशन, यह जानना देश को बहुत जरूरी है।
    क्या है हलाल सर्टिफिकेशन
    हलाल एक अरबी शब्द है, जिसका अर्थ जायज होता है। हलाल उत्पाद वह है, जिसे इस्लामी कानून का पालन करते हुए तैयार किया गया है। साल 1974 में हलाल प्रमाणिकता की शुरूआत हुई थी। यह साल 1993 तक सिर्फ स्लॉटर मांस उत्पादों पर लागू था, लेकिन अब अन्य खाद्य उत्पादों, दवाओं, सौंदर्य प्रसाधनों, बिल्डिंग, मॉल, हाउसिंग सोसाइटी, आटा, दाल, चावल, कसूरी मेथी, चाय, मिठाई, नमकीन, साबुन, शैंपू, टूथपेस्ट, नेल पॉलिश, लिपस्टिक सब कुछ हलाल सर्टिफाइड किया जा रहा है। हलाल सर्टिफिकेशन इस्लामिक देशों में इस्लामिक संगठन देते हैं। वहीं भारत में करीब 12 ऐसी कंपनियां हैं, जो हलाल सर्टिफिकेशन जारी करती हैं। यह सर्टिफिकेट इस्लामिक कानून के तहत होता है। भारत में इसका व्यापार आठ लाख करोड़ के पार है। यह व्यापार इतना कैसे फैल गया, आम लोगों को इसकी जानकारी तक नहीं है। वैसे दुनिया भर में यह कारोबार 166 लाख करोड़ का हो चुका है। हलाल सर्टिफिकेशन का हवाला देते हुए कारोबारियों का मानना है कि प्रोडक्ट्स का हलाल सर्टिफिकेशन होने के बाद इस्लामिक देशों में प्रोडक्ट्स का एक्सपोर्ट आसान हो जाता है। कई इस्लामिक देशों में सिर्फ हलाल प्रोडक्ट्स की ही अनुमति है। ग्लोबल फूड मार्केट का लगभग 19% हलाल प्रोडक्ट्स हैं।
    कौन जारी करता है हलाल सर्टिफिकेट
    हलाल सर्टिफिकेट जारी करने के लिए देश में कोई आधिकारिक सरकारी संस्था है नहीं। कुछ संस्थाएं हैं, जिन्हें मुस्लिम धर्म के अनुयायी और दुनिया के तमाम इस्लामिक देश मान्यता देते हैं और मानते हैं कि उस संस्था की ओर से जारी हलाल सर्टिफिकेट सही होगा। हलाल सर्टिफिकेट प्रमुख रूप से हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, हलाल सर्टिफिकेशन सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, जमीयत उलेमा-ए-महाराष्ट्र (जमीयत उलेमा-ए-हिंद की एक राज्य इकाई) और जमीयत उलेमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट देते हैं।
    भारत में सरकारी संस्था ऐसा कोई सर्टिफिकेट जारी नहीं करती है। इस्लामिक देशों में निर्यात के लिए उत्पाद का हलाल सर्टिफाइड होना जरूरी है। इसकी देखादेखी देश में भी हलाल सर्टिफाइड उत्पादों की मांग बढ़ गयी। इसका फायदा सर्टिफाई करने वाली कंपनियां उठा रही हैं।
    15 फीसदी आबादी के चलते 85 फीसदी आबादी का मौलिक हनन
    इस सर्टिफिकेशन को लेकर देश में कई बार बहस हो चुकी है। यहां तक कि 2022 में यह मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गयी और हलाल सर्टिफिकेशन पर पूरी तरह से बैन लगाने की मांग की गयी थी। याचिका में कहा गया है कि देश के 15 फीसदी लोगों के लिए 85 फीसदी आबादी को उनकी इच्छा के विरुद्ध हलाल प्रमाणित वस्तुओं के इस्तेमाल के लिए मजबूर किया जा रहा है। यह गैर मुस्लिमों के मूल अधिकारों का हनन है। एक धर्मनिरपेक्ष देश में किसी एक धर्म की मान्यता और विश्वास को दूसरे धर्म पर थोपा नहीं जा सकता। याचिका में पूछा गया है कि क्या शरिया कानून के तहत दिया जाने वाला हलाल सर्टिफिकेशन भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 से 21 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं करता। क्या यह गैर मुसलमानों के मौलिक अधिकार का प्रत्यक्ष उल्लंघन नहीं है, जो उन्हें भारत के संविधान द्वारा भोजन के अधिकार के रूप में अनुच्छेद 21 के तहत दिया गया है। आखिर किस आधार पर उन्हें हलाल सर्टिफाइड प्रोडक्ट्स को खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में यह भी सवाल उठाया गया है कि क्या जमीयत उलेमा-ए-हिंद और कुछ अन्य निजी संगठनों द्वारा हलाल सर्टिफिकेशन की मंजूरी का मतलब यह नहीं है कि प्रोडक्ट्स पर आइएसआइ और एफएसएसएआइ जैसे मौजूदा सरकारी सर्टिफिकेशन पर्याप्त नहीं हैं। क्या प्रोडक्ट्स का हलाल सर्टिफिकेशन अन्य समुदायों के प्रति भेदभावपूर्ण नहीं है। क्या यह गैर अनुयायियों पर भी धार्मिक विश्वास थोपता नहीं है।

    हलाल सर्टिफिकेशन के नाम पर अरबों की कमाई
    हलाल सर्टिफिकेशन के नाम पर अरबों की कमाई हो रही है। अकेले भारत में लगभग चार सौ एफएमसीजी कंपनियों ने हलाल सर्टिफिकेट लिया है। लगभग 32 सौ उत्पादों का यह सर्टिफिकेशन हुआ है। यह सर्टिफिकेट लेने की कतार में यूपी सहित देशभर के फाइव स्टार होटलों से लेकर रेस्टोरेंट तक शामिल हैं। विमानन सेवाओं, स्विगी-जोमैटो और फूड चेन इसके बिना काम नहीं करते हैं। यूपी में हलाल सर्टिफिकेट लेने वाले होटलों और रेस्तरां की संख्या लगभग 14 सौ है। यहां हलाल सर्टिफाइड उत्पादों का बाजार 30 हजार करोड़ रुपये का है। ऐसे में इससे कहीं अधिक कमाई का लालच कंपनियों को है। इसके प्रभाव का असर ऐसे समझा जा सकता है कि वर्ष 2020 में योग गुरु रामदेव की कंपनी पतंजलि को भी हलाल सर्टिफिकेट लेना पड़ा था। दरअसल आॅर्गेनाइजेशन आॅफ इस्लामिक कोआॅपरेशन के तहत आने वाले 57 देशों में उत्पाद बेचने के लिए यह सर्टिफिकेट जरूरी है। आचार्य बालकृष्ण को सफाई देनी पड़ी थी कि आयुर्वेदिक दवाओं के लिए हलाल सर्टिफिकेट लिया है, जिनकी अरब देशों में काफी मांग है। हलाल सर्टिफिकेट के एवज में कंपनियों को बड़ी रकम का भुगतान करनी पड़ती है। पहली बार की फीस 26 हजार से 60 हजार रुपये तक है। प्रत्येक उत्पाद के लिए 15 सौ रुपये तक अलग से देने पड़ते हैं। सालाना नवीनीकरण फीस 40 हजार रुपये तक है। इसके अलावा कनसाइनमेंट सर्टिफिकेशन और आॅडिट फीस अलग से है। इसमें जीएसटी अलग से शामिल है। यानी एक कंपनी को एक बार में लगभग दो लाख रुपये देने पड़ते हैं। इसके बाद सालाना नवीनीकरण अलग से है।
    ऐसे में तो हर धर्म जारी करे सर्टिफिकेट
    वंदे भारत एक्सप्रेस के स्टाफ के जवाब पर सोशल मीडिया में बहस छिड़ गयी। लोगों ने तर्क दिया कि क्या अकाल तख्त उपभोक्ता वस्तुओं को अपनी मुहर और प्रमाणन देता है?
    /क्या इसाइयों के सर्वोच्च धर्मगुरु वेटिकन सिटी से इस तरह का सर्टिफिकेट देते हैं? क्या तिब्बती बौद्धों द्वारा उपयोग किये जाने वाले उत्पादों पर दलाई लामा अपनी मुहर लगाते हैं? हिंदू आखिर कहां आवेदन करते हैं? ये भी सवाल उठे कि हलाल प्रमाणपत्र स्वीकार करने का मतलब है कि आइएसआइ और एफएसएसएआइ जैसे उपभोक्ता उत्पादों पर मौजूदा सरकारी प्रमाणपत्र किसी काम के नहीं है।
    योगी सरकार ने किया हलाल सर्टिफिकेशन को बैन
    यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने हलाल सर्टिफिकेट वाले प्रोडक्ट्स को बैन कर दिया है। इसके पीछे हवाला दिया गया है राजधानी लखनऊ के हजरतगंज थाने में दर्ज एक एफआइआर को, जिसे दर्ज करवाया है लखनऊ में रहने वाले भारतीय जनता युवा मोर्चा के एक अधिकारी शैलेंद्र कुमार शर्मा ने। इसमें कहा गया है कि कुछ कंपनियां एक खास समुदाय में अपने प्रोडक्स की बिक्री बढ़ाने के लिए हलाल सर्टिफिकेट का इस्तेमाल कर रही हैं, जिससे जनभावनाएं आहत हो रही हैं। 17 नवंबर को दर्ज इस एफआइआर के बाद 18 नवंबर को ही योगी सरकार ने इस तरह के सर्टिफिकेट वाले प्रोडक्ट्स को पूरे यूपी में बैन कर दिया। पुलिस ने भी चेन्नई की हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, दिल्ली की जमीयत उलेमा हिंद हलाल ट्रस्ट और मुंबई के हलाल काउंसिल आॅफ इंडिया और जमीयत उलेमा पर गैर कानूनी तरीके से हलाल सर्टिफिकेट जारी करने का केस दर्ज कर लिया है। इस बीच जमीयत उलेमा-ए-हिंद ट्रस्ट ने योगी सरकार के फैसले को अदालत में चुनौती देने का एलान किया है। ट्रस्ट के सीइओ नियाज अहमद फारुकी ने यूपी में हलाल लिखे उत्पादों की बिक्री पर शासन द्वारा प्रतिबंध लगाने को गलत करार दिया है। फारुकी ने कहा कि वह इस मुद्दे को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटायेंगे।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleचुनाव आयोग ने राहुल को भेजा नोटिस, प्रधानमंत्री के लिए उपयोग शब्दों पर जताई आपत्ति
    Next Article भारतीय मूल के छात्र की मौत के बाद मादक पदार्थ तस्कर को जेल भेजा गया
    admin

      Related Posts

      भारत में हजारों पाकिस्तानी महिलाएं शॉर्ट टर्म वीजा पर भारत आयीं, निकाह किया, लॉन्ग टर्म वीजा अप्लाई किया

      May 1, 2025

      पाकिस्तान के शिमला समझौता रोकने से कहीं भारत उसके तीन टुकड़े न कर दे

      April 29, 2025

      सैन्य ताकत में पाकिस्तान पीछे लेकिन उसकी छाया युद्ध की रणनीति से सतर्क रहना होगा भारत को

      April 28, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • झारखंड में सूरज उगल रहा आग, आज से चलेगी लू; 6 जिलों में यलो अलर्ट
      • Auto Draft
      • भारत-पाकिस्तान के बीच और तेज हुआ हवाई संघर्ष, पीओके में आतंकवादी लॉन्च पैड नष्ट
      • भारत के 26 स्थानों पर ​फिर दिखे पाकिस्तानी ड्रोन, सभी हमले नाकाम​ किए गए
      • डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय का नाम बदलना दुर्भाग्यपूर्ण: बाबूलाल मरांडी
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version