मुंबई । भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और नगालैंड के पूर्व राज्यपाल पद्मनाभ बालकृष्ण आचार्य (92 वर्ष) का निधन हो गया। आचार्य ने शुक्रवार को अंधेरी के वर्सोवा स्थित आवास पर अंतिम सांस ली। उनका अंतिम संस्कार शुक्रवार शाम को ओशिवरा श्मशान घाट में किया जाएगा।

केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी ने अपने शोक संदेश में कहा है कि भाजपा नेता पद्मनाभ आचार्य के निधन की खबर सुनकर गहरा दुख हुआ। आचार्यजी जीवनभर विचारधारा और संगठन के प्रति समर्पित रहे। उन्हें जो भी जिम्मेदारी दी गई, उसे निभाने में उन्होंने कभी कोई कसर नहीं छोडी। पूर्वोत्तर भारत में उनके काम को हमेशा याद किया जाएगा। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें।

पद्मनाभ बालकृष्ण आचार्य का जन्म 8 अक्टूबर 1931 को हुआ था। वे दक्षिण भारत के उडुपी के संघ स्वयंसेवक के रुप में समाज सेवा शुरु की थी। उच्चविद्याविभूषित पद्मनाभ बालकृष्ण आचार्य को 1948 में गिरफ्तार किए गए थे। वे छह महीने तक जेल में रहे थे। वर्ष 1995 से 2001 तक पद्मनाभ नरेन्द्र मोदी के साथ भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सचिव रहे। नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद पद्मनाभ बालकृष्ण आचार्य को वर्ष 2014 से 2019 तक नगालैंड, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा का राज्यपाल नियुक्त किया। अपने कार्यकाल के दौरान आचार्य ने पूर्वांचल के सातों बहन राज्यों को राष्ट्रीय धारा में लाने के लिए महती प्रयास किया। पद्मनाभ ने भौगोलिक दूरी और वहां के अस्थिर वातावरण के कारण पूर्वांचल के नागरिकों के बीच की दूरी को पाटने के लिए यशवंतराव केलकर के साथ एसई आईएल (अंतर-राज्य छात्र जीवन दर्शन) की शुरुआत की। आचार्य की इस अभिनव पहल के माध्यम से पूर्वाचल के छात्रों को देश के महानगरों में अलग-अलग परिवारों के साथ रहने की व्यवस्था की गई और छात्रों में एकता की भावना पैदा हुई।

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