मृत्युंजय दीक्षित
पांच सौ वर्ष के अथक संघर्ष के पश्चात अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर श्री रामलला के भव्य–दिव्य मंदिर का निर्माण कार्य तीव्र गति से सम्पूर्णता की दिशा में अग्रसर है । मंदिर के भूतल का लगभग 95 प्रतिशत का कार्य पूर्ण हो चुका है। अगले साल 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कर कमलों से भव्य प्राण प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन होना भी सुनिश्चित हो गया है। कुछ वर्ष पूर्व तक जो अयोध्या हिन्दुओं के संघर्ष की धरती थी। वह 22 जनवरी 2024 को सर्व संतोषकारिणी नगरी बनने जा रही है। लंबे संघर्ष के बाद प्रभु श्रीराम लला अपनी जन्मभूमि पर पधारेंगे। प्रत्येक सनातनी यह सोचकर हर्षित और प्रफुल्लित हो रहा है कि अयोध्या में श्रीरामलला के विराजमान हो जाने के बाद उनके सभी दुखों व चिंता का निवारण हो जाएगा। उत्तर प्रदेश ही नहीं संपूर्ण भारत में आनंद की बयार बह रही है और हो भी क्यों न, हम सबके श्रीराम अपने घर आ रहे हैं। यही कारण है कि अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में प्रदेश सरकार अयोध्या को अखिल विश्व की सुंदरतम नगरी बनाने के लिए अथक प्रयास कर रही है।
एक समय था जब रामभक्त अयोध्या दर्शन करने जाते अवश्य थे किंतु हनुमानगढ़ी और कनक भवन के दर्शनों तक सीमित रह जाते थे और बहुत कम श्रद्धालु श्री रामजन्मभूमि के दर्शन करने के लिए जाते थे, क्योंकि तम्बू में बैठे भगवान तक पहुंचना सरल नहीं था। किन्तु सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के बाद परिवर्तन आया। और अब 22 जनवरी के बाद परिस्थितियां पूरी तरह से बदल जाएंगी। रामभक्तों की प्रतीक्षा पूर्ण हो जाएगी। श्रीराम मंदिर के उद्घाटन के पश्चात श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ने की उम्मीद है। अयोध्या में उनके भव्य स्वागत, रहने -ठहरने व दिव्य दर्शन सुलभ करने के लिए व्यापक प्रबंध किए जा रहे हैं। अयोध्या व उसके आसपास के समस्त क्षेत्र को इस प्रकार से निर्मित किया जा रहा है कि श्रद्धालुओं को त्रेतायुग के समय का आभास हो। विगत कई वर्षों से अयोध्या में भव्य दीपोत्सव का आयोजन किया जा रहा है जिसमें प्रभु श्रीराम माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ उसी प्रकार पुष्पक विमान से उतरते हैं जिस प्रकार वह त्रेता युग में उतरे थे।अयोध्या को विश्व स्तर की धार्मिक नगरी के रूप में विकसित करने के लिए करीब तीन हजार करोड़ रुपये लागत की विभिन्न अवस्थापना परियोजनाओं पर काम चल रहा है।
अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के नाम पर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बन रहा है और संभावना व्यक्त की जा रही है कि दिसंबर में उड़ानें भी प्रारंभ हो जायेंगी। वंदेभारत ट्रेन लखनऊ से अयोध्या के बीच शुरू हो चुकी है।अयोध्या से रामेश्वरम तक सीधी रेलगाड़ी चलाई गई है। अयोध्या रेलवे स्टेशन को भव्य बनाया जा रहा है। पर्यटन विभाग अयोध्या को जोड़ने वाले सुल्तानपुर, बस्ती, गोंडा, अंबेडकरनगर और रायबरेली हाइवे पर बड़े द्वारों का निर्माण कर रहा है। अयोध्या व आसपास के जिलों व कस्बों में बड़ी संख्या में होटल बन रहे हैं।
तीर्थयात्रियों को आकर्षित करने के लिए कई योजनाएंः तीर्थयात्री केवल अयोध्या मंदिर दर्शन तक ही सीमित न रह जाएं इसलिए तीर्थाटन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाओं पर भी कार्य चल रहा है। पंचकोसी, चौदह कोसी तथा चौरासी कोसी परिक्रमा मार्ग पर स्थित धार्मिक स्थलों का भी सुंदरीकरण किया जा रहा है। सरयू नदी में विहार के साथ मंदिरों के दर्शन के लिए क्रूज सेवा और रोमांचक वाटर स्पोर्टस सेवा भी प्रारंभ हो गई है। साथ ही अभी कई और योजनाएं प्रारंभ होने वाली हैं। 2017 में पहली बार मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ अपने प्रथम कार्यकाल में 46 बार अयोध्या पहुंचे और इस कार्यकाल में भी उनका आगमन निरंतर हो रहा है। मुख्यमंत्री के नेतृत्व में अयोध्या में हर वर्ष दीपोत्सव का आयोजन होने से अयोध्या को नई पहचान मिली है। हर वर्ष दीपों की संख्या गिनीज बुक में अपना ही रिकॉर्ड तोड़ती है।
अयोध्या तीर्थ विकास परिषद का गठनः अयोध्या पर आयोजित बैठक में अयोध्या जी तीर्थ विकास परिषद व देवी पाटन धाम तीर्थ विकास परिषद के गठन को स्वीकृति दी गई है।अयोध्या कैबिनेट में शुक तीर्थक्षेत्र विकास परिषद के गठन का भी ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है। ज्ञातव्य है कि अयोध्या के समग्र विकास के लिए पहले से ही केंद्र व राज्य सरकार के सहयोग से 30,500 करोड़ रुपये की कुल 178 परियोजनाएं चल रही हैं। बलरामपुर जिले में स्थित देवीपाटन के भी समग्र विकास के लिए देवी पाटन धाम तीर्थ विकास परिषद व मुजफ्फरनगर के शुक तीर्थ धाम के विकास के लिए शुक तीर्थ धाम विकास परिषद के गठन का निर्णय लिया गया है। सभी विकास परिषद अपने -अपने क्षेत्रों में किसी भी परियोजना व विकास के प्रस्ताव में परामर्श व मार्गदर्शन करेंगे। बलरामपुर जनपद की अयोध्या से दूरी सड़क मार्ग से मात्र 90 किलोमीटर है। यहां स्थित मां पाटेश्वरी धाम एक महत्वपूर्ण तीर्थ है जहां नेपाल के श्रद्धालु भी आते हैं।
भारत मंदिर संग्रहालय बनाने का निर्णयः योगी सरकार ने अयोध्या की तहसील सदर के ग्राम माझा जमधरा की नजूल की 25 एकड़ भूमि पर्यटन विभाग को उपलब्ध करते हुए यहां भारतीय मंदिर वास्तुकला संग्रहालय का निर्माण कराने का निर्णय लिया है, जिससे अयोध्या दर्शन के लिए आने वाले लोग भारत के वास्तु के बारे में भी जान सकेंगे। अलग -अलग कालखंड में किस- किस प्रकार के मंदिर बने, उन मंदिरों के इतिहास को इस संग्रहालय के माध्यम से सामने रखा जा सके इसके लिए प्रस्ताव पारित किया गया है। अयोध्या शोध संस्थान को विस्तार देते हुए अंतरराष्ट्रीय शोष संस्थान का स्तर दिये जाने का भी निर्णय हुआ है। इससे विश्व में रामकथा साहित्य पर अध्ययन एवं शोध हो सकेंगे।
वैश्विक स्तर पर सांस्कृतिक आदान- प्रदान के क्रम में उन देशों की रामलीला का मंचन अयोध्या में सांस्कृतिक प्रचार- प्रसार की दृष्टि से किया जाएगा। ध्यातव्य है कि श्रीराम के आदर्शों एवं व्यक्तित्व पर आधारित रामलीला विश्व के 40 देशों में आयोजित होती है। संस्थान के द्वारा शोध किये गये साहित्य को कम मूल्य पर उपलब्ध कराया जाएगा। इसके लिए विदेश के विश्वविद्यालयों एवं संस्थाओं से समझौता किया जाएगा। दिव्य एवं भव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण हो जाने के बाद अयोध्या नगरी वैश्विक पटल पर छा जाएगी। परिक्रमा पथ हो या प्राचीन कुंड मार्ग हो या फिर मठ मंदिर, नव्य अयोध्या में चहुं ओर भव्यता-दिव्यता दृष्टिगोचर हो रही है और हो भी क्यों न, हमारे प्रभु श्रीराम अपने मंदिर में विराजने आ रहे हैं।