उत्तरकाशी। जिले के यमुनोत्री हाइवे पर निर्माणाधीन सिलक्यारा टनल के अंदर पिछले 7 दिनों से फंसे 41 श्रमिकों के सकुशल बाहर निकालने के लिए प्रार्थनाओं का दौरा शुरू हो गया है। पहाड़ों में कहावत है कि जब दवा काम नहीं करती है तो दुआ काम आती है।

जी हां, सिलक्यारा निर्माणाधीन टनल में भी दुनिया भर के वैज्ञानिकों और अमेरिका की हाई पावर ऑगर ड्रिलिंग मशीन लाई गई। इससे ह्यूम पाइप डालने में भी बांधा उत्पन्न हो गई, जिससे रेस्क्यू ऑपरेशन को शुक्रवार को रोक दिया गया है। शनिवार को इंदौर, मध्यप्रदेश से भी दूसरी ऑगर मशीन भी टनल के पास पहुंच चुकी है,लेकिन ऐसा लग रहा है कि रेस्क्यू कार्यों में विज्ञान-तकनीक पूरी तरह से फेल होती नजर आ रही है। अब पूजा पाठ प्रार्थनाओं का दौर शुरू हो चुका है।

गौरतलब है कि बीते सात दिनों से सिलक्यारा निर्माणाधीन टनल के अंदर 41 जिंदगियां फंसी हैं, जहां इनको रेस्क्यू करने की जद्दोजहद जारी है वहीं श्रमिकों के सकुशल रेस्क्यू कार्य के लिए उत्तरकाशी अष्टादश महापुराण समिति और अन्य धार्मिक संगठनों ने शनिवार को बाबा काशी विश्वनाथ में पूजा-पाठ ,हवन यज्ञ प्रार्थनाओं की बाद में भगवान शिव के महामृत्युंजय जाप किया।

इस अवसर पर अष्टादश पुराण समिति के अध्यक्ष हरि सिंह राणा, संरक्षक प्रेम सिंह पंवार, आचार्य घनानंद नौटियाल,श्वनाथ मंदिर के महंत जयेंद्र पुरी, विंदा प्रसाद शास्त्री,उमेश प्रसाद बहुगुणा, अरविंद राणा, राजेंद्र चौहान, सविता भट्ट अनीता राणा, नत्थीलाल शाह, प्रसाद भट्ट आदि मौजूद रहे।

दुनिया भर की नजरें टिकी हैं उत्तरकाशी रेस्क्यू ऑपरेशन पर-
दुनिया भर देशों की नजरें उत्तरकाशी स्थित सिलक्यारा निर्माणाधीन टनल में फंसे 41 श्रमिकों के रेस्क्यू आपरेशन पर नजरें गड़ाए बैठे हुए हैं। बीते सात दिनों से दिन -रात की कड़ी मेहनत के बाद भी कोई सफलता हाथ न लगना सिलक्यारा निर्माणाधीन टनल दुनिया भर के एक्सपर्ट के लिए चुनौती के विषय बना हुआ है।

दूसरी ओर जैसे -जैसे समय बीत रहा है टनल में फंसे मजदूर भी कहीं न कहीं निराश और हताश होते जा रहे हैं। उनके परिजनों के साथ ही हर देशवासी चिंतित हैं कि ये मजदूर जिंदा भी रहेंगे? देश, दुनिया की नजरें टनल के रेस्क्यू ऑपरेशन पर बनी हुई हैं।

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