तृणमूल नेता कुणाल घोष के बयान पर विपक्ष का हमला
कोलकाता। तृणमूल कांग्रेस के राज्य महासचिव कुणाल घोष ने अपने बयान से नया राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने 2026 के विधानसभा चुनावों के बाद सरकार विरोधी रवैया अपनाने वाले पुलिसकर्मियों को सुंदरबन में बाघों की सुरक्षा में भेजने की चेतावनी दी। इस बयान को लेकर राजनीतिक गलियारों में बहस तेज हो गई है। विपक्षी दलों ने इसे धमकी और तृणमूल की तानाशाही मानसिकता का प्रतीक बताया है।
गुरुवार को नंदीग्राम में सहकारी चुनावों के दौरान हुई हिंसा और पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल उठाते हुए तृणमूल ने एक सभा आयोजित की। इसी सभा में कुणाल घोष ने पुलिसकर्मियों पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि जो पुलिसकर्मी वर्तमान सरकार के अधीन होते हुए भी अपनी प्रशासनिक जिम्मेदारियों को भूलकर सरकार विरोधी रवैया अपना रहे हैं, वे 2026 के बाद सुंदरबन में बाघों की सुरक्षा के लिए भेजे जाएंगे। उन्हें इसके लिए तैयार रहना चाहिए। साथ ही, उन्होंने पुलिसकर्मियों से राजनीति से दूर रहकर अपने कर्तव्यों का पालन करने की अपील की।
कुणाल घोष के इस बयान पर विपक्ष ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। भाजपा नेता शमिक लाहिड़ी ने शुक्रवार को इसे सरकारी कर्मचारियों को डराने की साजिश बताया। वहीं, माकपा नेता सुजन चक्रवर्ती ने कहा कि तृणमूल सरकार में पुलिस को उनके अनुसार काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। जो भ्रष्टाचार और वसूली का समर्थन नहीं करते, उन्हें इस तरह धमकाया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि इसी दिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी पुलिस के निचले स्तर के अधिकारियों पर लापरवाही का आरोप लगाया था। विपक्ष का दावा है कि तृणमूल सरकार पुलिस बल का दुरुपयोग कर रही है और इसे अपने राजनीतिक हितों के लिए साध रही है।
कुणाल घोष के इस बयान ने बंगाल की राजनीति में गर्मी बढ़ा दी है। अब देखना होगा कि सरकार इस विवाद पर क्या रुख अपनाती है और यह मामला कहां तक जाता है।