कोलकाता। कोलकाता पुलिस के एसीपी सह ज्वाइंट कमिश्नर (क्राइम) मुरलीधर शर्मा का बुधवार को अचानक तबादला कर दिया गया। उन्हें बैरकपुर पुलिस अकादमी का निदेशक नियुक्त किया गया है। यह तबादला कोलकाता पुलिस और राज्य प्रशासन में चर्चा का विषय बन गया है, क्योंकि मुरलीधर शर्मा कोलकाता पुलिस के दक्ष और लोकप्रिय अधिकारियों में गिने जाते हैं।
कोरोना संकट में ‘मसीहा’ बने थे मुरलीधर
कोरोना महामारी के कठिन समय में, जब कोलकाता समेत पूरी दुनिया संकट से जूझ रही थी, मुरलीधर शर्मा ने लाखों लोगों की मदद की। सोशल मीडिया पर एक ट्वीट भर से लोगों तक आवश्यक सहायता पहुंच जाती थी। उनकी नेतृत्व क्षमता और संवेदनशीलता ने कोलकाता पुलिस को जनता के बीच अत्यधिक लोकप्रिय बनाया।
आरजी कर कांड और त्वरित कार्रवाई
हाल ही में हुए आरजी कर मेडिकल कॉलेज कांड में उनकी भूमिका सराहनीय रही। पीड़िता के परिवार को न्याय दिलाने के लिए उन्होंने व्यक्तिगत रूप से पहल की। तत्कालीन कोलकाता पुलिस आयुक्त विनीत गोयल के विवादास्पद बयानों के बावजूद, मुरलीधर शर्मा की निगरानी में मुख्य आरोपित सिविक वॉलंटियर संजय राय को 24 घंटे के भीतर गिरफ्तार कर लिया गया। सीबीआई जांच में भी उनके दावे सही साबित हुए। इस गिरफ्तारी के बाद सीबीआई किसी को भी गिरफ्तार नहीं कर पाई और जितना कोलकाता पुलिस ने दावा किया था केवल इस दावे को कोर्ट में पेश किया गया है।
हिंसा और अपराध नियंत्रण में असाधारण भूमिका
खिदिरपुर में हुए दो गुटों की सांप्रदायिक हिंसा के दौरान उनकी उपस्थिति और त्वरित कार्रवाई ने हालात को नियंत्रण में लाने में अहम भूमिका निभाई। अपराध नियंत्रण में उनकी सक्रियता और तत्परता ने उन्हें कोलकाता के हर वर्ग में लोकप्रिय बनाया। चाहे आम जनता हो या विपक्ष, हर किसी ने उनके कार्यों की प्रशंसा की।
एसटीएफ के डीसी रहते बजा था दुनिया में कोलकाता पुलिस का डंका
मुरलीधर शर्मा जब कोलकाता पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स के डीसी थे, उस समय अमेरिकी संसद में साउथ एशिया में आतंकवाद और उग्रवाद नियंत्रण में क्षेत्रीय एजेंसियों की भूमिका को लेकर एक रिपोर्ट पेश की गई थी। उसमें कोलकाता पुलिस की जमकर सराहना हुई थी। उस दौर में राष्ट्र के लिए खतरा बने कई आतंकियों की गिरफ्तारी कोलकाता पुलिस के हाथों हुई थी, जिनकी निगरानी और केंद्रीय एजेंसियों के साथ कोऑर्डिनेशन की भूमिका मुरलीधर शर्मा ने ही निभाई थी।
बहुमुखी प्रतिभा
मुरलीधर शर्मा न केवल एक कुशल और संवेदनशील अधिकारी हैं, बल्कि वे एक उम्दा शायर भी हैं। कोलकाता के हर वर्ग, चाहे वह गरीब हो या संपन्न, हर किसी के दिल में उन्होंने अपनी जगह बनाई।
तबादले पर सवाल
उनके तबादले को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। यह निर्णय प्रशासनिक मजबूरियों का नतीजा है या उनके काम को लेकर कोई सियासी दबाव था? मुरलीधर शर्मा को जिस पद से हटाया गया है, वह कोलकाता पुलिस की रीढ़ माना जाता है। ऐसे में उनकी विदाई ने कोलकाता पुलिस की कार्यप्रणाली और प्रशासनिक फैसलों पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है।