फिल्ममेकर आनंद एल राय अपने सिनेमा की भावनात्मक ईमानदारी, मानवीय रिश्तों की बारीकी और खुलकर बात करने वाले स्वभाव के लिए हमेशा सराहे गए हैं। धनुष और कृति सेनन स्टारर फिल्म ‘तेरे इश्क में’ 28 नवंबर को हिंदी, तमिल और तेलुगु में थिएटरों में दस्तक देगी। फिल्म रिलीज़ की तैयारी के बीच निर्देशक राय खुलकर बताते हैं कि किस तरह उनकी रचनात्मक सोच बदली है।
‘मेरे बदलने के साथ कहानियों का नज़रिया भी बदला’
सालों के सफर में आनंद राय के किरदारों और रिश्तों को देखने का तरीका विकसित हुआ है। वे स्वीकारते हैं कि समय के साथ उनके भीतर नए विचार जन्मे हैं। वह कहते हैं, “अगर मैं बदल रहा हूं, तो मुझे चाहिए कि मेरी ऑडियंस भी मेरे साथ बदले। मैं किसी पुरानी कहानी को नए नज़रिए से बताने से कभी नहीं डरूंगा। लंबे समय तक मैन वुमन रिलेशनशिप बराबरी से नहीं दिखाए गए, यह मेरी सीख है। शायद ‘तनु वेड्स मनु’ या ‘रांझणा’ के समय मैं इस तरह नहीं सोचता था, अब सोचता हूं।”
सफलता का दबाव कहानी को बदल देता है
आनंद राय बताते हैं कि कैसे सफलता की उम्मीदें कभी-कभी कहानी कहने की सरलता पर भारी पड़ जाती हैं। वे कहते हैं, जब मैं कहानी को लेकर निर्भीक था और सिर्फ उसे ईमानदारी से सुनाने का दबाव लेता था, तब मेरी दुनिया सही चल रही थी। लेकिन जब लगा कि लोग एक ‘सक्सेसफुल डायरेक्टर’ से ज़्यादा उम्मीदें लगाने लगे हैं, और मुझे बड़ा सोचना चाहिए, तभी मैं लड़खड़ाया।”
आनंद राय स्वीकारते हैं कि उन्हें बार-बार अपनी जड़ें याद दिलानी पड़ती हैं। वे कहते हैं, “जुड़े रहना बहुत ज़रूरी है। मेरी ज़मीन छूटती है तो मुझे उसे फिर पकड़ना पड़ता है। मैं अपने पेंटहाउस में चला जाता हूं, फिर खुद को याद दिलाता हूं, तू वही दिल्ली का लड़का है, तेरी आधी ज़िंदगी उन पीले घरों में गुज़री है। तेरी कहानियां वहीं हैं, तू सोच क्यों नहीं रहा?”
फिल्म की रिलीज़ नज़दीक आते-आते आनंद राय के ये विचार संकेत देते हैं कि वे अपने सबसे ईमानदार, संवेदनशील और ज़मीन से जुड़े फिल्ममेकिंग स्टाइल में लौट रहे हैं। उनकी बातों से साफ है कि ‘तेरे इश्क में’ केवल एक फिल्म नहीं, बल्कि उनकी कहानी कहने की नई समझ और पुरानी आत्मा का मिलन है।

