रांची: नोटबंदी के दौर में बैंक आपके घर पहुंच जाये और आपको आपके ही अकाउंट से पैसे निकाल कर हाथ में थमा दे, तो राहत तो मिलेगी ही। रांची के नगड़ी प्रखंड में यह सुविधा गरीब और किसानों की मुश्किलें आसान कर रही है। बेड पर लेटे बीमार बुजुर्ग और खेतों में पटवन कर रहे मजदूर के हाथों में उनके अकाउंट से पैसे थमाये जा रहे हैं। इलाके के किसानों और गरीबों को राहत देने का यह काम कर रहे हैं इसराइल अंसारी। नगड़ी प्रखंड में इसराइल अंसारी अपने झोला में बैंक को लिये गांव-गांव घूम रहे हैं। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री रघुवर दास ने नगड़ी प्रखंड से ही कैशलेस अभियान की शुरुआत की है। बैंकिंग की भाषा में इसे माइक्रो-एटीएम कहते हैं। इसराइल अंसारी इसके जरिये 12 गांवों के करीब दस हजार लोगों को उनके दरवाजे पर ही बैंकिंग की सुविधा उपलब्ध कराते हैं। जिसे जरूरत होती है, उनके माइक्रो एटीएम में कार्ड स्वाइप करते है और वह जरूरत की राशि उसे दे देते हैं। इस सुविधा के लिए ग्रामीण को सिर्फ आधार कार्ड और अपने अंगूठे का ठप्पा देना होता है।
नोटबंदी के बाद से इसराइल अंसारी नगड़ी प्रखंड का सबसे सम्मानित नाम बन चुका है। गांव की पगडंडी हो या सुदूर जंगल, हर उस जगह इसराइल पहुंच रहे हैं, जहां उन्हें याद किया जाता है। माइक्रो एटीएम के जरिये इसराइल अंसारी लोगों को उनके खाते से पैसे निकालने की सुविधा उनके घर की चौखट, खेत-खलिहान तक पहुंचकर उपलब्ध करा रहे हैं। इस काम को वह पिछले चार साल से कर रहे हैं, जिसके बदले में बैंक से कुछ कमीशन और लोगों की अनमोल दुआएं मिल रही हैं। इसराइल भावुक हो कर कहते हैं, जब जरूरतमंद के हाथों में उनके ही अकाउंट से पैसे थमाता हूं, तो दुआओं से मेरी झोली भर जाती है।
मंगरू खेत को छोड़ बैंक जाने में लाचार है, लेकिन बीज खरीदने के लिए पैसे चाहिए। ऐसे में उसके लिए इसराइल किसी मसीहा से कम नहीं हंै। बस एक कॉल किया और चंद मिनटों में इसराइल खेत में हाजिर। उसी तरह से बुधन जो गांव में मजदूरी कर रहा है, लेकिन मजदूरी छोड़ नहीं जा सकता है। उसके लिए भी झोला लिये इसराइल पहुंच जाते हैं। ग्रामीण कहते हैं कि पेंशन, विधवा पेंशन आदि के लिए तो इसराइल की गांव में बहुत कद्र है। कई लोग ऐसे हैं, जो बिस्तर से उठ तक नहीं पाते, उन्हें इसराइल हाथों पर पैसा थमाते हैं। इसराइल बैंक आॅफ इंडिया में बतौर बैंक मित्र वर्ष 2012 से काम कर रहे हैं। बीओआइ के बैंक मैनेजर बिरसेन बोयापाई के मुताबिक उनके बैंक का आधा भार इसराइल कम कर देते हैं। इतना हीं नहीं, इसराइल को रोल मॉडल मान 7 और युवाओं को तैयार किया गया है, जो बैंकर्स की भूमिका निभा रहे हैं। नोटबंदी के बाद से जहां हर कोई अपनी परेशानी बयां करने में लगा है, इसराइल अंसारी एक मिसाल बन कर उभरे हैं। सुदूर ग्रामीण इलाके में घर-घर जाकर बैंकिंग की सुविधा देनेवाले इसराइल अंसारी जैसे लोगों की अभी समाज को दरकार है।