लखनऊ:  बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने कहा है कि अयोध्या में विवादित ढांचा ध्वस्त करने के लिए साजिशन छह दिसम्बर की तारीख रखी गयी थी।
सुश्री मायावती ने आज यहां डा़ भीमराव अम्बेडकर की 60वीं पुण्यतिथि पर आयोजित श्रद्धाजंलि सभा में कहा कि यह सोचने का विषय है कि अयोध्या में विवादित बाबरी ढांचा ध्वस्त करने के लिए छह दिसम्बर की तिथि ही क्यों चुनी गयी। इसकी तह में जाने पर पता चलता है कि तिथि चुनने में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सोची समझी साजिश थी। उन्होंने कांग्रेस और भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा कि दोनों पार्टियों ने पिछड़े समाज को बांटने की कोशिश की। हमारे लोग बाबा साहब भीमराव अंबेडकर को भारत रत्न दिया जाए, इसके लिए बहुत संघर्ष किया।

उन्होंने कहा कि मैं अति पिछड़े वर्ग के लोगों को बताना चाहती हूं कि वीपी सिंह की जब सरकार बनी थी, तब हमारी पार्टी के तीन सांसद चुने गए थे। मैं खुद लोकसभा में चुनकर गई थी। उस समय वीपी सिंह की सरकार ने बसपा से समर्थन मांगा।

बसपा ने वीपी सिंह को तीन शर्त पर समर्थन दिया था। इनमें से तीन शर्त में पहली शर्त बाबा साहब को भारत रत्न दिए जाने की मांग थी। इसके अलावा दूसरी मंडल कमीशन की रिपोर्ट लागू करना और तीसरी भाजपा की कमंडल यात्रा का एजेंडा नहीं लागू होने देना थी।

तीनों शर्तों को मानने के बाद भाजपा ने वीपी सिंह की सरकार से समर्थन वापस ले लिया था, तब सरकार गिर गई थी। इससे साबित होता है कि भाजपा दलित, अल्पसंख्यक आदि के साथ साथ बाबा साहब की विरोधी है। पीएम मोदी ने ओबीसी वर्ग का हक मारने के साथ साथ उनके साथ छलावा करने का भी काम किया है।

उन्होंने कहा कि बाबा साहब ने सभी को ध्यान में रखकर संविधान का गठन किया लेकिन भारतीय जनता पार्टी को ये अच्छा नहीं लगा। वे बाबा साहब को मान सम्मान नहीं देना चाहते इसलिए छह दिसंबर को ही विवादित ढांचे को खंडित किया।

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