मुंबई: संसद के शीतकालीन सत्र में कामकाज नहीं होने को लेकर भाजपा पर निशाना साधते हुये शिवसेना ने आज सत्तारूढ़ गठबंधन सहयोगी से अपने पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की ‘पीड़ा’ का संज्ञान लेने और नोटबंदी पर चर्चा के लिए एक विशेष सत्र बुलाने की मांग की। आडवाणी को भारतीय राजनीति का ‘भीष्म पितामह’ करार देते हुये शिवसेना ने कहा कि उन्होंने देश में संसदीय लोकतंत्र को लेकर एक सवालिया निशान खड़ा किया है।

शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के एक संपादकीय में कहा गया है, ‘‘यह गौर किया जाना चाहिए कि आडवाणी कांग्रेस के नेता नहीं हैं। इस बात को ध्यान में रखा जाना चाहिए कि वह गैर-कांग्रेसी राजनीति के अगुवा रहे हैं।’’ मई 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसद भवन में प्रवेश को याद करते हुये इसमें कहा गया है कि उन्होंने संसद की सीढ़ियों पर माथा टेका था और उनके आंसू भी छलक आए थे। इसमें कहा गया है, ‘‘लेकिन पिछले दो साल से संसदीय कार्यवाही के ‘तमाशा’ के कारण संसद (इमारत) की आत्मा खो गयी है और यह आंसू बहा रही है।’’

शिवसेना ने कहा है, ‘‘संसद का मतलब लोगों की समस्या के मुद्दे पर गंभीर बहस करना होता है। लेकिन विपक्ष सवाल उठाता है और हंगामा करता है जबकि सरकार इन मुद्दों से दूर भागती है। यह आज की तस्वीर है।’’ मुखपत्र में कहा गया है, ‘‘लोग 1,000 और 2,000 रूपये के लिए कतार में खड़े हैं। हालांकि, करोड़ों ‘गुलाबी’ (2000 रूपये के नये नोट) अमीर लोगों के घरों से बरामद किये जा रहे हैं।’’

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