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    Home»विशेष»संपादकीयः खतरे का परीक्षण
    विशेष

    संपादकीयः खतरे का परीक्षण

    आजाद सिपाहीBy आजाद सिपाहीDecember 1, 2017No Comments3 Mins Read
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    कुछ समय से परमाणु हथियारों के परीक्षण और इससे संबंधित गतिविधियों को लेकर उत्तर कोरिया जिस तरह के आक्रामक रवैए का प्रदर्शन कर रहा है, उसे लेकर स्वाभाविक ही सारी दुनिया चिंतित है। हालांकि उत्तर कोरिया के इस रुख के चलते उसके खिलाफ आर्थिक पाबंदी लगाई गई, लेकिन ऐसा लगता है कि संयुक्त राष्ट्र या अनेक देशों की ओर से जारी चेतावनियों का उस पर कोई असर नहीं पड़ा है। ताजा उदाहरण बुधवार को उत्तर कोरिया के प्योंगयांग से अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण है। गौरतलब है कि पांच हजार से दस हजार किलोमीटर तक मार करने और भारी मात्रा में परमाणु हथियार ले जा सकने वाली इस बैलिस्टिक मिसाइल की खासियत यह है कि लक्ष्य तय करके इसमें दिशा बताने वाला यंत्र लगा दिया जाता है, जिससे इसका निशाना अचूक हो जाता है। फिर, पिछले दिनों उत्तर कोरिया ने बाकायदा यह धमकी जारी की थी कि उसके परमाणु हथियारों से लैस मिसाइलों की मारक क्षमता काफी बढ़ गई है और अब वह अमेरिका के भीतर भी मार कर सकने मेंसक्षम है।

    दरअसल, जुलाई में अपने पहले ऐसे ही परीक्षण के बाद, हाल के दिनों में उत्तर कोरिया ने लगातार ऐसे कई प्रयोग किए हैं। करीब दो महीने पहले उसने अपने छठे परमाणु परीक्षण के कुछ दिन बाद बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया था। लिहाजा, दक्षिण कोरिया सहित पड़ोसी देशों के अलावा खासतौर पर अमेरिका में उत्तर कोरिया के प्रति क्षोभ बढ़ता जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने किसी भी तरह के परमाणु हथियार और उसे निशाने पर ले जा सकने वाली मिसाइल विकसित करने के कारण उत्तर कोरिया पर पाबंदी लगा रखी है। लेकिन उत्तर कोरिया की जिद का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि अब वह मध्यम दूरी या अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल श्रेणी के स्तर पर हर महीने या डेढ़ महीने में एक मिसाइल परीक्षण कर रहा है। यह समझना मुश्किल है कि जिस देश पर संयुक्त राष्ट्र से लेकर अनेक देशों की ओर से प्रतिबंध आयद है, उसे इस बात की कोई फिक्र नहीं है कि आने वाले दिनों में उसकी सीमा में लोगों को कैसे हालात का सामना कर पड़ सकता है।

      उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग-उन को तानाशाही और युयुत्सु प्रवृत्ति के लिए जाना जाता है। ऐसे शख्स से संवेदनशील होने की उम्मीद शायद बेमानी है! खबरों के मुताबिक अमेरिका अब उत्तर कोरिया के खतरे से निपटने के लिए दक्षिण कोरिया में सामरिक संसाधनों की तैनाती की योजना पर काम कर रहा है। इसके साथ ही अमेरिका ने सुरक्षा परिषद की आपातकालीन बैठक बुलाई है और उत्तर कोरिया पर दबाव बढ़ाने की बात कही है। लेकिन उत्तर कोरिया पहले से ही दुनिया से अलग-थलग है। उस पर संयुक्त राष्ट्र की ओर से लागू प्रतिबंधों से लेकर रूस या चीन जैसे देशों की सलाहों का कोई असर अब तक नहीं दिखा है। उलटे अपने एटमी कार्यक्रम को आगे बढ़ा कर वह एक तरह से उकसावे की कार्रवाई कर रहा है। अगर वैश्विक स्तर पर समय रहते कोई ठोस कूटनीतिक पहलकदमी नहीं हुई और उत्तर कोरिया के आक्रामक रुख में बदलाव नहीं आया तो उसका नतीजा एक बड़ी त्रासदी के रूप में सामने आ सकता है।
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