भाजपा हमारे घरों में घुसने की कोशिश कर रही: महबूबा
नयी दिल्ली। राज्यसभा में हंगामा की वजह से तीन तलाक से जुड़ा नया विधेयक सोमवार को सदन में पेश नहीं हो सका। सदन की कार्यवाही दो जनवरी तक स्थगित कर दी गयी। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल तीन तलाक बिल को सिलेक्ट कमेटी को भेजे जाने की मांग कर रहे हैं। इससे पहले भाजपा और कांग्रेस ने व्हिप जारी कर अपने सांसदों से सदन में मौजूद रहने को कहा था। तीन तलाक से जुड़ा यह बिल लोकसभा से पारित हो चुका है।

इस बीच, जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि वे (भाजपा) हमारे घरों में घुसने की कोशिश कर रहे हैं। इससे हमारी जिदंगी और परिवार अस्तव्यस्त हो जायेगा। इससे महिलाएं और पुरुषों को लिए आर्थिक रूप से ज्यादा परेशानी होगी। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस पहले ही अपना रुख साफ कर चुकी है। उधर, बीजेडी सांसद पी आचार्य ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ हैं। इस बिल को सदन में पास होना चाहिए। हालांकि, कुछ हिस्से को हटाया जाना चाहिए।

हमारे पास पर्याप्त संख्याबल: रविशंकर
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक पेश करेंगे। उन्होंने दावा किया है कि बिल को राज्यसभा में पर्याप्त समर्थन मिलेगा। राज्यसभा में मोदी सरकार के पास पर्याप्त संख्याबल नहीं है। इस बिल को पारित कराना सरकार के लिए चुनौती है। इससे पहले दिसंबर 2017 में भी तीन तलाक विधेयक लोकसभा से पारित हुआ था, लेकिन राज्यसभा में यह अटक गया था।

बिल को रोकने के लिए अन्य दलों के साथ: कांग्रेस
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि इस बिल को रोकने के लिए पार्टी अन्य दलों के साथ रहेगी। उन्होंने बताया कि जब मुस्लिम महिला विधेयक को लोकसभा में पेश किया गया था, तब 10 पार्टियों ने इसका खुले तौर पर विरोध जताया था। वेणुगोपाल ने कहा कि सरकार का कई मुद्दों पर साथ दे चुकी एआइएडीएमके भी इस बिल पर सरकार का विरोध कर रही है।

लोकसभा में बिल के पक्ष में 245 वोट पड़े थे
लोकसभा में गुरुवार को विधेयक के पक्ष में 245 और विरोध में 11 वोट पड़े थे। वोटिंग के दौरान कांग्रेस, अन्नाद्रमुक, द्रमुक और सपा के सदस्यों ने वॉकआउट किया था। सरकार शीतकालीन सत्र में ही इसे राज्यसभा से भी पारित कराना चाहती है। इसी साल सितंबर में तीन तलाक पर अध्यादेश जारी किया गया था।

राज्यसभा से विधेयक पास नहीं हुआ, तो सरकार को फिर अध्यादेश लाना पड़ेगा
सरकार ने तीन तलाक को अपराध करार देने के लिए सितंबर में अध्यादेश जारी किया था। इसकी अवधि 6 महीने की होती है। अगर इस दरमियान संसद सत्र आ जाये, तो सत्र शुरू होने से 42 दिन के भीतर अध्यादेश को बिल से रिप्लेस करना होता है। मौजूदा संसद सत्र 8 जनवरी तक चलेगा। अगर इस बार भी बिल राज्यसभा में अटक जाता है, तो सरकार को दोबारा अध्यादेश लाना पड़ेगा।

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