रांची। उषा मार्टिन कंपनी के डायरेक्टर, उषा ब्रेको के चेयरमैन, उषा मार्टिन यूनिवर्सिटी के चांसलर प्रशांत झवर ने पहली बार अपना मुंह खोला। उन्होंने सोमवार को प्रेस कांफ्रेंस में अपने भाई राजीव झवर (चचेरा) पर खुल कर आरोप लगाया। उन्होंने कहा: मेरे पिता बसंत कुमार झवर ने चाचा ब्रज किशोर झवर और उनके पुत्र राजीव झवर पर जो विश्वास किया था, उन्होंने उसकी हत्या कर दी।
उन्होंने कहा कि पिता जी ने जिस भाई के हाथ में फैक्ट्री सौंपी, उसने विश्वासघात कर दिया। अब वह एक साजिश के तहत यह कहते फिर रहा है कि हमारे और उसके बीच पारिवारिक विवाद है। यह बिल्कुल गलत है। यह कारपोरेट फ्रॉड है। मेरे पिता अब 85 साल के हो चुके हैं। उनका मानना है कि जिस भी फैक्टरी में फाइनेंशियल हेराफेरी हो गयी है, उसे बेच देना ही श्रेयस्कर है। राजीव झवर ने उषा मार्टिन स्टील डिवीजन यूनिट को गलत तरीके से और खुद के लिए इस्तेमाल किया। इसलिए यूनिट को टाटा ग्रुप के हाथों बेचने का निर्णय लेना पड़ा। उन्होंने संतोष जताया कि यूनिट अच्छे हाथों में जा रही है। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि अगर आप गाड़ी चला रहे हैं, तो रोड को देखें, अन्यथा एक्सीडेंट होना तय है।
उषा मार्टिन के ऊपर कितना कर्ज है के सवाल पर प्रशांत झवर ने कहा कि कंपनी पर कर्ज बढ़ कर टर्न ओवर से ज्यादा हो गया। बैंकर्स ने पिताजी के नाम पर भरोसा किया। बिजनेस में उतार-चढ़ाव आता रहता है। स्टील मार्केट भी खराब था, अब स्थिति अच्छी है। उन्होंने कहा कि उषा मार्टिन कंपनी अब अच्छी चल रही है। हम लोगों से कुछ भूल हुई है। उस यूनिट में हमारा 26 प्रतिशत शेयर है। अब कंपनी अच्छे हाथों में चली गयी। अगर हमने बेचने में सहयोग नहीं दिया होता, तो कंपनी बैंकर्स के पास चली जाती। इसमें सभी का नुकसान होता। कंपनी का भी नाम खराब होता।
नीयत में खोट हो, तो पनप नहीं सकते
टाटीसिलवे यूनिट की स्थिति कैसी है? के जवाब में श्री झवर ने कहा कि आपकी नीयत में खोट हो, तो आप पनप नहीं पाओगे। हमें चिंता है। इस यूनिट में मैनेजमेंट प्रैक्टिस है। मैनेजमेंट प्रैक्टिस में लीकेज नहीं हो, चोरी नहीं हो। कंपनी बिना उसूल के आगे नहीं बढ़ सकती। लेकिन दुख की बात है कि यहां अब उसूल नहीं रहे, उसूल बदल गये हैं। ऐसा नहीं है कि दूसरी कंपनियों में सब जगह ऐसा होता है। आज भी बहुत सारी कंपनियां आगे बढ़ रही हैं। वहां प्रोफेशनल मैनेजर ही कंपनी चला रहे हैं।
प्रशांत झवर ने कहा कि सोमवार को ही हमने झारखंड के उद्यमियों के साथ चर्चा की है। उनसे पूछा कि झारखंड में निजी कंपनी में टाटा पहले और ऊषा मार्टिन दूसरे नंबर पर है। लेकिन तीसरे, चौथे, पांचवें स्थान पर कौन है, तो किसी ने कोई नाम नहीं बताया। कहा कि आप आगे आयें, हम और हमारे पिताजी साथ देंगे। झारखंड के विकास में सहयोग देंगे। उन्होंने कहा कि रांची और झारखंड पिता बसंत कुमार झवर की कर्मभूमि है। हम कर्मभूमि से मुंह नहीं मोड़ सकते। अभी हम यूनिवर्सिटी पर ध्यान दे रहे हैं। आगे और भी इंडस्ट्री लेकर आयेंगे।
उषा मार्टिन यूनिवर्सिटी के विस्तार पर फोकस
प्रशांत झवर ने कहा कि मैं 18 साल से इग्लैंड में रह रहा हूं। चार साल बाद झारखंड आया हूं। मेरे पिता बसंत कुमार झवर ने 1961 में ऊषा मार्टिन का निर्माण किया। अभी ऊषा मार्टिन यूनिवर्सिटी चला रहा हूं। दो साल से पांच सौ बच्चे पढ़ रहे हैं। सोमवार को हमने व्यवस्था का जायजा भी लिया था। बच्चों से बातचीत की। इससे पहले गवर्नर द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि 2019 में अनगड़ा में 30 एकड़ का नया कैंपस चालू होगा। प्रथम फेज में तीन हजार बच्चों का एडमिशन होगा। 1500 बच्चों के लिए हॉस्टल बनाया जायेगा। गर्ल्स के लिए विशेष सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी। दस साल में दस हजार बच्चे हो जायेंगे। चाहते हैं कि यूनिवर्सिटी का नाम देश-विदेश में हो। झारखंड में निजी कंपनियों में पहले स्थान पर टाटा और दूसरे स्थान पर ऊषा मार्टिन है। यह व्यवस्था करनी है, ताकि एजुकेशन में भी झारखंड के बच्चे बाहर जाकर राज्य का नाम रोशन करेंगे।
मैं भागा नहीं, झारखंड में भूल हो गयी
मार्केट में हल्ला है कि आप भाग गये हैं? इस पर प्रशांत झवर ने कहा कि 18 साल से इंग्लैंड में हूं। इंग्लैंड के अलावा साउथ अफ्रीका में काम किया। झारखंड में भरोसा किया, लेकिन भूल हो गयी। अब दायित्य भी तो है। आना-जाना लगा रहेगा। जो यूनिट चल रही है, वह सुरक्षित रहे। पिछले साल बैंक का कर्ज कम करना था। उन्होंने कहा कि वायर रोप बिजनेस नहीं बेचेंगे। इसे सही तरीके से चलायेंगे। उन्होंने कहा कि जरूरी है कि बैलेंस सीट चेक हो। इस यूनिट में इन्वेस्ट करने की जरूरत है। अगर कंपनी में इन्वेस्ट नहीं हुआ, तो मशीनें पुरानी हो जायेंगी। फिर उसका डूबना तय है।
उन्होंने कहा कि उषा मार्टिन में जो इंप्लाइज हैं, अगर वे सही तरीके से काम कर रहे हैं, तो चिंता नहीं। लेकिन गलत कर रहे हैं, तो आगे नहीं चलाया जा सकता। उन्होंने कहा कि उषा मार्टिन के आंकड़े बताते रहे हैं कि चोरी हो रही है। चूंकि मामला न्यायालय में है, इसलिए बहुत कुछ नहीं कहा जा सकता है। समय जरूर लगेगा, लेकिन जीत सच्चाई की होगी। चेक एंड बैलेंसिग होनी चाहिए। इंटर्नल आॅडिट होनी चाहिए। पैसे की देखरेख होनी चाहिए। लोगों पर विश्वास करना चाहिए, लेकिन सभी पर विश्वास नहीं किया जा सकता।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अभी डिजिटल मीडिया का जमाना है। इस क्षेत्र में आजाद सिपाही की टीम ने बेहतर काम किया है। इस टीम को काफी सफलता भी मिली है। इसे और आगे तक ले जाने में मैं सहभागी बनूंगा। मैं और भी संभावनाओं पर विचार कर रहा हूं। प्रशांत झवर ने राजधानी के प्रमुख उद्यमियों, स्माल स्केल इंडस्ट्री के पदाधिकारी और झारखंड चैंबर आॅफ कामर्स के पदाधिकारी के साथ भी बैठक की। उसके बाद झारखंड चैंबर आॅफ कामर्स ने उन्हें अपने कार्यालय में आमंत्रित किया। वे वहां गये। वहां उनका स्वागत किया गया।
इसमें प्रमुख उद्यमी विनोद नेमानी, विनोद अग्रवाल, चैंबर आॅफ कामर्स के पूर्व अध्यक्ष ललित केडिया, पूर्व अध्यक्ष पवन शर्मा, रंजीत गाड़ोदिया, झारखंड चैंबर आॅफ कामर्स के अध्यक्ष दीपक मारू, महासचिव कुणाल आजमानी, उपाध्यक्ष दीनदयाल वर्णवाल, पूर्व विधायक रामचंद्र बैठा, समाजसेवी प्रणवकुमार बब्बू, स्वच्छता अभियान के झारखंड प्रभारी, समाजसेवी बिंदुभूषण दुबे, समाजसेवी अमरेंद्र सिंह सहित काफी संख्या में पदाधिकारी और उद्यमी उपस्थित थे।