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    Home»Breaking News»रांची: आइपीएस अधिकारी ने पास कर ली राजनीति की परीक्षा
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    रांची: आइपीएस अधिकारी ने पास कर ली राजनीति की परीक्षा

    azad sipahiBy azad sipahiDecember 25, 2018Updated:December 25, 2018No Comments3 Mins Read
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    रांची। भारतीय पुलिस सेवा की नौकरी छोड़ राजनीति में नये-नये आये डॉ अरुण उरांव ने पहले ही चांस में राजनीति की परीक्षा पास कर ली। लगातार पौने दो साल तक मेहनत कर बदल दी छत्तीसगढ़ की सत्ता। जिस उम्मीद के साथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने झारखंडी डॉ अरुण उरांव को छत्तीसगढ़ संगठन को संगठित करने की कमान सौंपी थी, उस पर वह शत-प्रतिशत खरे उतरे। बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जिनका जन्म तो अच्छे परिवार में होता है, लेकिन उनका बचपन एक सामान्य परिवार के बच्चे की तरह बीतता है।

    झारखंड के नामदार पुलिस अधिकारी बंदी उरांव, जो बाद में बिहार सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बने, उनके पुत्र हैं डॉ अरुण उरांव। डॉ अरुण के पिता बंदी उरांव ने भी भारतीय पुलिस सेवा की नौकरी से वीआरएस लेकर राजनीति में कदम रखा था। 1980 में बंदी उरांव ने भारतीय पुलिस सेवा से अपने को अलग किया और राजनीति ज्वाइन कर ली। चार टर्म सिसई से विधायक रहे। बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री चंद्रशेखर सिंह की सरकार में कैनिनेट मंत्री थे। रीजनल कांग्रेस के अध्यक्ष भी थे। बंदी उरांव के पुत्र अरुण उरांव ने भी वही काम किया। भारतीय पुलिस सेवा की नौकरी को त्याग कर राजनीति में कदम रखा। पहले भाजपा में जाने की बात हुई, लेकिन शायद भाजपा इन्हें समझ नहीं पायी और कांग्रेस पार्टी ने इनको लपक लिया।

    डॉ उरांव राहुल ब्रिगेड के मजबूत योद्धा हैं। इनके बचपन की बात करें तो गिरिडीह के बाल शिक्षा मंदिर स्कूल में वह दूसरी कक्षा तक पढ़े। पूर्णिया के उर्सूलाइन स्कूल में सातवीं कक्षा तक पढ़ाई की। सीतामढ़ी से आठवीं और इसके बाद ग्यारहवीं तक की पढाई राजकुमार कॉलेज पब्लिक स्कूल रायपुर से की। दरभंगा के सीएम साइंस कॉलेज से इंटर किया और रांची के सेंट जेवियर कॉलेज से स्नातक। इसी दरम्यान इनका चयन मेडिकल में हुआ और रांची का रिम्स, जो उस समय राजेंद्र मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के नाम से जाना जाता था, से मेडिकल की शिक्षा पूरी की। इसके बाद संघ लोक सेवा आयोग की कंबाइंड हेल्थ सर्विस में इनका चयन हुआ। लगातार साढ़े चार वर्षों तक प्रधानमंत्री की मेडिकल टीम में रहे। चार पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी, वीपी सिंह, चद्रशेखर और नरसिम्हा राव के मेडिकल अधिकारी रहे।

    वहीं से इन्होंने 1991 में सिविल सर्विस की परीक्षा पास की और इनका चयन भारतीय पुलिस सेवा में हुआ। डॉ अरुण बताते हैं कि भले ही इनके पिता पुलिस अधिकारी थे, लेकिन बचपन सामान्य परिवार के बच्चों की तरह ही बीता। वर्ष में एक बार दीपावली में नया कपड़ा मिलता था। बड़े भाई दिलीप उरांव का उतारा हुआ कपड़ा पहनते थे। स्कूल साइकिल से जाते थे। बहन को साइकिल पर साथ बिठाकर स्कूल ले जाते थे। कभी अपने सहपाठी को यह नहीं बताया कि पिताजी बड़े पुलिस अधिकारी हैं। कहते हंै कि शिद्दत से कोई चाह ले तो कोई भी काम मुश्किल नहीं होता। डॉ अरुण उरांव ने इसे कर दिखाया। बतौर पुलिस अधिकारी इनका काम आज भी झारखंड के लोग याद करते हैं। राजनीति में कदम रखा तो पहला काम पार्टी ने छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव का दिया और उसमें 15 वर्षों के बाद कांग्रेस को सत्ता में वापसी दिलायी। सोमवार को डॉ अरुण उरांव आजाद सिपाही के दफ्तर आये थे।

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