रांची। राज्य सरकार की नियोजन नीति पर झारखंड हाईकोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि पहली नजर में यह संवैधानिक नहीं लगता। किसी जिले में शत प्रतिशत आरक्षण देने से वहां के सभी पद वहीं के लोगों के लिए आरक्षित हो जायेंगे। बाहरी लोगों के लिए नियुक्तियां पूरी तरह बंद हो जायेंगी। सभी पदों पर स्थानीय लोग ही रहेंगे। ऐसा नहीं हो सकता। किसी भी पद को किसी के लिए शत प्रतिशत आरक्षित नहीं किया जा सकता।

जस्टिस एस चंद्रशेखर की अदालत ने हाईस्कूल शिक्षकों की नियुक्ति के लिए निकाले गये विज्ञापन को चुनौती देने वाली सोनी कुमारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। कोर्ट ने इस मामले को गंभीर बताते हुए इसे सुनवाई के लिए खंडपीठ में स्थानांतरित कर दिया। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामले में सुप्रीम कोर्ट के भी कई निर्देश हैं।

पलामू निवासी सोनी कुमारी ने इस संबंध में एक याचिका झारखंड हाईकोर्ट में दायर की है। याचिका में उसने बताया है कि सरकार ने हाईस्कूल शिक्षकों की नियुक्ति में जो विज्ञापन निकाला है इसमें अनुसूचित जिलों में गैर अनुसूचित जिलों के उम्मीदवारों की नियुक्ति पर रोक लगा दी है। ऐसा नियोजन नीति को आधार बनाते हुए किया गया है। सरकार ने 13 जिलों को अधिसूचित और 11 जिले को गैर अधिसूचित घोषित किया है। इस व्यवस्था में राज्य के लोग अपने राज्य के ही कुछ जिलों में नियुक्तियों के लिए अयोग्य हो गए हैं। प्रार्थी ने कहा सरकार के विज्ञापन को निरस्त किया जाये।

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