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    बदले जायेंगे रघुवर सरकार के एक दर्जन फैसले

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskDecember 27, 2019No Comments14 Mins Read
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    रांची। झारखंड में चुनाव संपन्न हो गये हैं। जनता ने गठबंधन को भारी बहुमत से झारखंड की सत्ता सौंप दी है। इस चुनाव में झामुमो, कांग्रेस और राजद पर जनता ने भरोसा किया। ये तीनों ही सत्ता के हिस्सेदार हंै। इस सरकार से यहां के लोगों को काफी उम्मीदें हैं। माना जा रहा है कि नयी सरकार में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और लोहरदगा से नवनिर्वाचित विधायक डॉ रामेश्वर उरांव की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। उनकी मानें तो पूर्व की भाजपानीत सरकार के कई फैसले या तो पलटे जायेंगे या उनमें संशोधन होगा। सबसे चर्चित और विवादास्पद स्थानीय नीति, धर्मांतरण बिल, पारा शिक्षकों का वेतनमान, सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन, उद्योगपतियों को उद्योग लगाने के लिए दी गयी जमीन की समीक्षा, सरकारी व्यवस्था के तहत शराब की बिक्री, छोटे मामले में बंद जेल में आदिवासियों को बाहर निकालने और विवादास्पद पत्थलगड़ी जैसे मुद्दों पर डॉ रामेश्वर उरांव से आजाद सिपाही के राज्य समन्वय संपादक अजय शर्मा ने बेबाक बातचीत की। प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश:

    नियोजन नीति में स्थानीय लोगों को ही नौकरी पर विचार

    सवाल : पूरे देश में एनआरसी एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है। नयी सरकार झारखंड में इसे लागू करेगी या नहीं?
    जवाब : हम पार्टी पॉलिसी के आधार पर चलेंगे। हमलोग सीएए के खिलाफ हैं। एनआरसी के भी खिलाफ हैं। मैं समझता हूं, इसकी झारखंड में कोई जरूरत नहीं है। हमारे यहां वसुधैव कुटुंबकम की परंपरा है। धर्म के आधार पर नागरिकता तय करना गलत है। हमारे मुद्दे स्पष्ट हैं। दरअसल एनआरसी का हौवा दिखा कर भाजपा पूरे देश के लोगों में विभाजन रेखा खींचनी चाहती है। वोट बैंक के लिए वह लोगों के दिलों के बांटना चाहती है।

    सवाल : मेरा सीधा सवाल है। एनआरसी झारखंड में लागू होगा या नहीं?
    जवाब : यह निर्भर करता है, हमारी पार्टी पर। पार्टी पॉलिसी के तहत फैसला होगा। इसे मैं व्यक्तिगत रूप से फिजूलखर्ची मानता हूं। एनआरसी के नाम पर असम में जितना खर्चा हुआ है, वह फिजूलखर्ची है। असम में क्या हासिल हुआ एनआरसी से। उसकी जरूरत नहीं थी शायद। राजीव गांधी जी के जमाने में जो हुआ था, उससे हमें सबक लेना है।

    सवाल : मामला झारखंड में रहनेवाले बांग्लादेशियों का है। वे यहां रहेंगे या उन्हें बाहर जाना होगा?
    जवाब: ये देश का मुुद्दा है, राज्य का नहीं है। हमें पूरा देश घूमने का अवसर मिला है। जगह-जगह गये हैं। अंडमान में एक टापू है, जहां स्पेशली बांग्लादेशियों को बसाया गया है। ऐसा है कि जो भी पीड़ित होकर बाहर से आ रहे हैं, उन्हें कहीं तो शरण मिलेगी। आखिर इंसान तो वो भी हैं। बाउंड्री में इंसान को बांध दीजिएगा, तो वसुधैव कुटुंबकम का क्या होगा? हां, उतना ही रखिये, जिससे आपके लोग सुखी रह सकें और बाहर के लोगों को भी कुछ मिल सके। ऐसा नहीं है कि बाहर से आकर हमीं को आउट कर दें, ऐसा नहीं चलेगा।

    सवाल : भाजपानीत सरकार ने धर्मांतरण बिल लाया, आपकी सरकार उसे लागू रखेगी या उसमें बदलाव करेगी?
    जवाब: देखिये, अभी इस पर टिप्पणी करना ठीक नहीं है। सभी मिल बैठकर तय करेंगे। लेकिन इतना जरूर कहेंगे किसी को इतना अधिकार नहीं मिलना चाहिए कि वह जबरन धर्मांतरण कराने लगे। इच्छानुसार जा सकते हैं, हम विवश नहीं कर सकते। जबरन नहीं होना चाहिए।

    सवाल : भाजपा ने स्थानीय नीति बनायी है, उस नीति से कांग्रेस थोड़ी अलग राय रखती है। अब नयी सरकार क्या करेगी?
    जवाब : जो लोग जिस जगह रहते हैं, उनका हक हो जाता है, वहां की जमीन पर, पानी पर और हवा पर। नियोजन नीति भी बनायी गयी है। स्थानीय नीति और नियोजन नीति अलग-अलग है। अब देखना होगा कि कौन सी नीति यहां सही होगी। जो लोग दस साल से हैं, उन्हीं को नियोजन यानी नौकरी मिलती चली जाये और यहां के लोग उपेक्षित रहें, यह भी उचित नहीं है। इससे लोगों में असंतोष बढ़ेगा। नियोजन नीति से बाहर के लोगों को ज्यादा नौकरी मिली है। अभी आंकड़ा मेरे पास नहीं है। अभी बहुत कुछ नहीं कह सकता, लेकिन ऐसे कई उदाहरण हैं कि बाहरी को नौकरी मिल गयी, स्थानीय को नहीं मिली।

    सवाल : झारखंड में यह परंपरा चली है कि अनुबंध पर अपने चहेतों को नौकरी दे दी जाये, बाद में वह स्थायी हो ही जायेगा। करीब 22 हजार ऐसे लोग हैं, जो अनुबंध पर हैं। ये नौकरी पर रहेंगे या हटाये जायेंगे?
    जवाब: इसको देखा जायेगा। गलत ढंग से बहाल हुए लोग हटाये जायेेंगे। जहां जगह है और लोग काम कर रहे हैं, उनके साथ न्याय होना चाहिए।

    सवाल : खूंटी इलाके में पत्थलगड़ी एक मुद्दा रहा है, जम कर लोगों पर केस भी हुए। अब वे मामले वापस होंगे क्या?
    जवाब : मैं पुलिस में रहा हूं। अनुसंधान करने का काम पुलिस का है। मैं खूंटी गया हूं। गांव-गांव घूमा हूं। उस समय मैंने बयान भी दिया। उस बयान पर मैं आज भी कायम हूं। उस समय नादानियां हुई थीे। इतनी भी नादानियां नहीं होनी चाहिए कि आप छोटी सी बात पर देशद्रोह का मामला दर्ज कर दें। देशद्रोह का मामला दर्ज कर सरकार लोगों को परेशान कर रही थी। हम समीक्षा करेंगे कि किस हद तक उनकी गलती है, उसी आधार पर निर्णय होगा। आखिर वे भी हमारे ही लोग हैं। हम क्षमादान क्यों नहीं कर सकते हैं। लोगों को सुधारना भी तो सरकार का ही काम है।

    सवाल : झारखंड नक्सलग्रस्त राज्य है। इसके लिए एक पॉलिसी बनी। समय-समय पर सरकार इसे बदलती रही है। नयी सरकार आत्मसमर्पण नीति में परिवर्तन करेगी क्या?
    जवाब : मुझे इसपर बहुत जानकारी नहीं है, पहले देखूंगा। ईमानदारी से कहूंगा कि मैं इसे जानता नहीं हूं। अखबारों में पढ़ा हूं। देखूंगा कि इसकी क्या जरूरत है। लेकिन ये भटके हुए लोग हैं। इन्हें मुख्य धारा में लाना सरकार का
    काम है।

    सवाल : जेएमएम और कांग्रेस को आदिवासियों और ईसाई धर्मावलंबियों का सपोर्ट मिला है। जम कर उन्होंने वोट किया है। करीब 5200 लोग छोटे-छोटे मामले में जेल में बंद हैं। उन्हें रिहा किया जायेगा या वे जेल में ही रहेंगे?
    जवाब: ऐसा है, इसकी समीक्षा होनी चाहिए। कुछ लोग तो सात साल से जेल में बंद हैं, जबकि जिस आरोप में वह जेल में बंद हैं, उसमें सजा ही छह महीने होती है। यह कोई व्यवस्था है। यह कोई सरकार है। क्या किसी सरकार को ऐसा करना चाहिए। छह महीने की सजा है, तो उन्हें छह महीने के बाद छोड़ देना चाहिए। ट्रायल हो या न हो। ट्रायल का बहाना बना कर हम उनका जीवन बर्बाद नहीं कर सकते। जितना जुर्म किया है, उसे उतनी ही सजा मिलनी चाहिए।

    सवाल : सीएनटी एक्ट में बदलाव होगा क्या?
    जवाब : देखिये, मैं यह मानता हूं कि सीएनटी और एसपीटी एक्ट नहीं होता, तो आदिवासियों की जमीन छीन ली जाती। उनके पास जमीन के अलावा कुछ नहीं है। पढ़िये इतिहास संथाल हूल का। सरदारी मूवमेंट का। बिरसा मुंडा आंदोलन का। जड़ में क्या था? जमीन थी। अंग्रेजों ने इसे समझा और 1908 में इसका कानून बनाया। यहां की जमीन जो आदिवासियों की थी, उसपर बाहर से आकर लोग कब्जा कर लेते हैं। इसे बचाने के लिए यह एक्ट बनाया गया। इसलिए आंदोलन और विद्रोह हुआ। इसको बचाना होगा। इनके पास जमीन के अलावा कुछ नहीं है। सोना-चांदी थोड़े ही है उनके पास। उसकी संपत्ति से बेदखल करेंगे, तो कैसे होगा? इसको मजबूत करने की जरूरत है। जरूरत पड़ेगी, तो सरकार उनसे लेगी जमीन, लेकिन उतनी ही लेगी, जितनी जरूरत है। एचइसी और राउरकेला में जरूरत से ज्यादा जमीन ली गयी। राउरकेला का स्टील प्लांट ईमानदार है, उसने जो ज्यादा जमीन ली थी, उसे सरेंडर किया। लेकिन एचइसी ने सरेंडर नहीं किया। सरकार को चाहिए कि जिस रैयत की जमीन ली है, जरूरत नहीं होने पर उसे वापस करे। 2013 में बने कानून के अनुसार जिस उद्देश्य से जमीन ली गयी है, अगर पांच साल तक उस पर काम नहीं होता है, तो उसे मूल रैयत को वापस किया जाता है। हमारी सरकार जरूरत के अनुसार भूमि अर्जित करेगी, लेकिन फालतू खर्च नहीं करेगी।

    सवाल : पूर्व की सरकार ने जो जमीन अधिग्रहीत की है, जिस पर काम नहीं हुआ है, उसका क्या होगा?
    जवाब : हमारी पार्टी के घोषणा पत्र में साफ है कि वैसी जमीन को हम वापस करा देंगे।

    सवाल : यह काम कितने दिनों में पूरा होगा? कितने दिनों में प्रक्रिया पूरी करेंगे?
    जवाब : हमारी सरकार के कॉमन मिनिमम प्रोग्राम में यह भी रहेगा। क्योंकि घोषणा पत्र में हमारे सभी दलों के लोगों ने कहा है कि 2013 के कानून का पालन करेंगे।

    सवाल : सीएनटी एक्ट में थाना सीमा में परिवर्तन का मामला है? आपकी सरकार शायद इस एक्ट में परिवर्तन करनेवाली है?
    जवाब: मैं कमीशन का अध्यक्ष रहा हूं। उस समय भी पत्र लिखा था कि थाना की सीमा को हटा दिया जाये। मैंने मुख्यमंत्री को पहले भी पत्र लिखा था कि थाना सीमा की बाध्यता को बदला जाये। यह तो हास्यास्पद लगता है कि ओड़िशा से कोई आदमी आ जाये। वह यहां जमीन खरीद ले, घर बना ले। कोर्ट में मामला गया। कोर्ट कहता है कि मुआवजा देकर वह रह सकता है। तो उसके लिए तो कोई बंधन नहीं हुआ। ओड़िशा का आदमी यहां जमीन खरीदा और रह गया। लेकिन जो आदिवासी दुमका से आया, तो उसे जमीन क्यों नहीं मिलेगी। इससे आदिवासियों के मूवमेंट पर बंधन हो गया। संथाल के लोग अगर रांची में नहीं रह सकते हैं, रांची के आदिवासी संथाल में नहीं रह सकते हैं, यह ठीक नहीं। मूवेबिलिटी पूरे राज्य में बनी रहे, यह जरूरी है।

    सवाल : महाराष्ट्र में जब शिवसेना की सरकार बनी, तो उसने फडणवीस सरकार के कई फैसलों को बदल दिया। झारखंड में भाजपा सरकार के कौन-कौन से निर्णय बदले जायेंगे?
    जवाब: 29 को सरकार बेनगी। उसकी समीक्षा करेंगे। जो जनहित में नहीं है, उसे जरूर बदलेंगे। हम देखेंगे कि कौन से फैसले जनहित में नहीं हैं।

    सवाल : कौन-कौन से फैसले को आप जनहित में नहीं मानते?
    जवाब : सरकार बनेगी। हम पढ़ेंगे, देखेंगे कि कौन-कौन से फैसले जनहित में नहीं हैं। तब निर्णय लेंगे।

    सवाल : झारखंड में स्थानांतरण-पदस्थापन एक मुद्दा है। इसके लिए कोई नीति होगी या मंत्री-विधायक जो चाहेंगे, वही पदस्थापित होंगे?
    जवाब : किसी भी सरकार की नीति होनी चाहिए। चाहे वह पुरानी हो या नयी, ताकि अधिकारियों को लगे कि वे कम से कम तीन साल तक नयी स्थान पर रहें। मैं अगर नियमानुसार काम करूंगा तो तीन साल तक वहां रहूंगा, यह अफसरों के दिमाग में रहना चाहिए। मुझे आश्चर्य होता है कि जब लोग कहते हैं कि पांच से छह महीने में हटा देते हैं। तब मुझे लालू जी का राज याद आता है। छह महीना या छह दिन में ट्रांसफर नहीं होता था। कोई गड़बड़ी भी करता था, तो उसे सुधरने का मौका दिया जाता था। हर पदाधिकारी सुधार लाता था।

    सवाल : झारखंड में क्या नीति होगी? जो पहले कागज में बना है, वही चलेगी या बदलेगी?
    जवाब: ऐसा है कि सरकार में पहले से नियम बने हुए हैं। नियम में सब कुछ लिखा हुआ है कि कैसे तबादले होंगे। अंग्रेज काल से सब कुछ बना हुआ है। अच्छा है, परिवर्तन की गुंजाइश नहीं है।

    सवाल : आपकी सरकार मुफ्त शिक्षा की ओर जायेगी या नहीं?
    जवाब : एकदम जायेंगे। शिक्षा को मुफ्त करेंगे। ये संविधान भी सिखाता है कि शिक्षा मुफ्त होनी चाहिए। अगर हम पढ़ायेंगे ही नहीं, तो समाज कैसे शिक्षित होगा। आज जो स्थिति पैदा हुई है। सरकारी स्कूल में सुधार की जरूरत है। स्टैंडर्ड बढ़ाने की जरूरत है। दूसरी बात, प्राइवेट स्कूल मनमाने ढंग से फीस बढ़ा रहे हंै। वह भी नहीं होना चाहिए। उस पर कंट्रोल होना चाहिए। हमने अपने घोषणा पत्र में लिखा है कि हम उस पर नियंत्रण रखेंगे।

    सवाल : पारा टीचर स्थायी होंगे?
    जवाब : पारा टीचरों के लिए एक नीति बनेगी। अन्य राज्यों में जो नीति है, वैसे ही बनेगी। उनका मानदेय बहुत कम है। मानदेय बढ़ाया जायेगा। आज आठ हजार रुपये में किसी का परिवार कैसे चलेगा।

    सवाल : आप चर्चित पुलिस अफसर थे, राजनीति में क्यों आये? कौन सी ऐसी घटना हुई, जो आप राजनीति में आये?
    जवाब : देखिये, मैं नौकरी में था। बिहार सरकार ने बहुत सम्मान दिया। मैं एहसानमंद हूं, उन मुख्यमंत्रियों का, जो मुझे बहुत प्रोत्साहित करते थे। झारखंड सरकार में भी बहुत बढ़िया था, लेकिन दायरा छोटा पड़ जाता है। राजनीति में ऐसा नहीं है। बड़ा दायरा है। लोगों की सेवा करने का मौका मिलता है। लोगों के बीच रहना मुझे पसंद है।

    सवाल : इससे कितने संतुष्ट हैं आप?
    जवाब: बहुत संतुष्ट हूं। नौकरी से भी संतुष्ट हूं और राजनीति से भी संतुष्ट हूं। बहुत इज्जत मिली। सम्मान मिला। कांग्रेस ने तो हाथोंहाथ लिया है।

    सवाल : नयी सरकार बनेगी, तो तीन दलों की होगी। बाबूलाल शामिल होंगे, तो चार दल होंगे। क्या यह स्थायी सरकार होगी?
    जवाब: कॉमन मिनिमम प्रोग्राम से अगर सरकार चलेगी, तो स्थायी होगी। जनता ने हमें किसलिए चुना है, हमको यह देखना है। अपनी मनमानी नहीं करनी है। अपनी इच्छा के अनुसार नहीं चलना है। जनता ने यह संदेश दिया है कि एक रहो। मैं गांव-गांव घूमता था। लोग यही कहते थे कि अलग-अलग लड़िएगा, तो छितरा जाइयेगा। वोट का बंटवारा होगा। नहीं आ पाइयेगा। हम लोग चाहते हैं कि आपलोग सरकार बनाइये। लेकिन कंडीशन यह है कि आप एक हो जाइये।

    सवाल : पूर्व की सरकार शराब बेचती थी। आप भी बेचेंगे क्या?
    जवाब : नहीं, ऐसा नहीं होगा। सरकार शराब नहीं बेचेगी।

    सवाल : इस चुनाव में एक चेहरा बहुत चर्चा में रहा। नाम सरयू राय है। क्या आप चाहेंगे कि उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया जाये?
    जवाब: अच्छे व्यक्ति हैं। वे निर्दलीय हैं। उनका क्या रोल रहेगा। मेरी पसंद के व्यक्ति हैं। उनके बारे में अच्छी राय रखता हूं मैं। वे सरकार में आयें न आयें, वे वेबाक बोलते हैं। लोग उनका सम्मान करेंगे। अगर हम लोगों से कोई गलती हो रही है, वे हमलोगों को बतायेंगे, तो हम जरूर सुधार करेंगे।

    सवाल : मतलब वे सरकार की स्टीयरिंग सीट पर होंगे?
    जवाब : ऐसा नहीं कह सकते हैं। वे हमारे पार्ट तो नहीं हैं। अलग हैं। हमसे अलग हैं।

    सवाल : उनकी सलाह को सरकार किस रूप में लेगी?
    जवाब : हमलोग राय जी की राय का सम्मान करते हैं। निश्चित रूप से हम उनकी राय को तवज्जो देंगे।

    बचपन से ही पढ़ाई में तेज थे डॉ रामेश्वर उरांव
    पुलिस सेवा से राजनीति में आये डॉ रामेश्वर उरांव का जन्म 14 फरवरी 1947 को पलामू के चियांकी गांव में हुआ। बचपन से ही पढ़ाई में काफी तेज होने के कारण परिवार के लोगों को उनसे काफी उम्मीदें थीं। पिता पुलिस में थे, जिसके कारण पुलिस की सेवा के प्रति रामेश्वर उरांव का झुकाव हुआ। 1972 में वे आइपीएस बने। बतौर एसपी उनकी पहली पोस्टिंग बिहार के रोहतास जिले में हुई। इसके बाद बिहार के कई जिलों में एसपी के रूप में काम किया। बेहतर कार्यशैली के कारण इन्हें पुलिस सेवा सम्मान से भी सम्मानित किया गया। 23 नवंबर 1990 को बीजेपी के कद्दावर नेता लालकृष्ण आडवाणी को इन्होंने गिरफ्तार किया था। लंबे समय तक पुलिस सेवा में रहने के बाद धीरे-धीरे रामेश्वर उरांव का झुकाव राजनीति की ओर होता गया। 2004 में इन्होंने पुलिस सेवा से वीआरएस लेकर सियासत की ओर कदम बढ़ाया। कांग्रेस के टिकट पर लोहरदगा लोकसभा सीट से संसदीय चुनाव लड़े और विजयी हुए। इसके बाद इन्हें केंद्र में मंत्री बनाया गया। सोनिया गांधी से काफी नजदीकी के कारण पार्टी में काफी सम्मान मिलता रहा। हालांंकि 2009 के लोकसभा चुनाव में रामेश्वर उरांव लोहरदगा सीट पर बीजेपी के सुदर्शन भगत से छह हजार वोट से हार गये, लेकिन कांग्रेस ने इन्हें सम्मान देते हुए राष्ट्रीय एसटी-एससी आयोग का चेयरमैन बना दिया। बतौर चेयरमैन उन्होंने आदिवासियों के लिए काफी काम किया। 2014 में एक बार फिर रामेश्वर उरांव कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर लोहरदगा सीट से लोकसभा चुनाव लड़े, लेकिन इस बार भी किस्मत ने साथ नहीं दिया। बीजेपी के सुदर्शन भगत से 5500 वोट से हार गये, लेकिन उन्होंने अपनी सियासी सक्रियता नहीं छोड़ी। लोकसभा चुनाव के बाद लातेहार के मनिका से विधानसभा चुनाव लड़े, लेकिन उसमें भी जीत हासिल नहीं हुई। 2019 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस ने इन्हें प्रदेश अध्यक्ष बना कर नयी जिम्मेवारी सौंपी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रामेश्वर उरांव ने बीजेपी प्रत्याशी सुखदेव भगत को हरा कर लोहरदगा विधानसभा सीट जीत ली है। रामेश्वर उरांव ने बीजेपी प्रत्याशी सुखदेव भगत को 30242 मतों से हराया।

    A dozen decisions of Raghuvar government will be changed
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